- एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इजरायल पर गाजा में जानबूझकर भुखमरी की नीति लागू करने का गंभीर आरोप लगाया है.
- गाजा में बच्चे और महिलाएं बिना भोजन के मर रहे हैं, जिससे संयुक्त राष्ट्र ने अकाल की चेतावनी दी है.
- इजरायल ने गाजा में मानवीय सहायता पर कड़ी पाबंदियां लगाई हैं. भुखमरी को हथियार बनाने के दावे खारिज किए हैं.
दुनियाभर में मानवाधिकार को लेकर मुहिम चलाने वाले समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को इजरायल पर गाजा में भुखमरी की "जानबूझकर नीति" लागू करने का आरोप लगाया. एमनेस्टी ने यह दावा उस समय किया है जब गाजा में लोग, जिसमें बच्चे और महिलाओं की संख्या ज्यादा है, बिना खाए मर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र और सहायता समूहों ने फिलिस्तीनी क्षेत्र में अकाल की चेतावनी दी है.
इजरायल ने एक तरफ तो गाजा पट्टी में दी जाने वाली मानवीय सहायता पर भारी प्रतिबंध लगाया है. दूसरी तरफ उसने इस 22 महीने पुराने युद्ध में जानबूझकर भुखमरी को हथियार बनाने के दावों को बार-बार खारिज किया है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इजरायल पर "फिलिस्तीनी जीवन के स्वास्थ्य, कल्याण और सामाजिक ताने-बाने को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने" का आरोप लगाया है. एमनेस्टी ने कहा, "यह उन योजनाओं और नीतियों का चाहा हुआ परिणाम है, जिन्हें इजरायल ने पिछले 22 महीनों में डिजाइन किया है और जमीन पर लागू किया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि गाजा में फिलिस्तीनियों को जानबूझकर उनके भौतिक विनाश की स्थिति में झोंका जा सके. यह गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के चल रहे नरसंहार का हिस्सा है."
यह रिपोर्ट हाल के सप्ताहों में तीन अस्थायी शिविरों में शरण लिए हुए 19 विस्थापित गाजावासियों के साथ-साथ गाजा शहर के दो हॉस्पिटल में तैनात दो चिकित्सा कर्मचारियों के साथ किए गए इंटरव्यू पर आधारित है.
न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार जब उन्होंने संपर्क किया तो, इजरायली सेना और विदेश मंत्रालय ने एमनेस्टी की इस रिपोर्ट पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की.
इससे पहले अप्रैल में, एमनेस्टी ने इजरायल पर गाजावासियों को जबरन विस्थापित करके और घिरे क्षेत्र में मानवीय तबाही पैदा करके फिलिस्तीनियों के खिलाफ "लाइव-स्ट्रीम नरसंहार" करने का आरोप लगाया था. उस दावे को भी इजरायल ने उस समय "सरासर झूठ" कहकर खारिज कर दिया था.