ईरान को इजरायल ने उस समय बड़ा झटका दिया जब उसने देश की कुख्यात इविन जेल को ही निशाना बना दिया. ईरान की सरकारी तस्नीम एजेंसी की तरफ से बताया गया है कि तेहरान के उत्तर में स्थित इविन के इलेक्ट्रिसिटी फीडर पर इजरायल ने निशाना बनाया है. वहीं ईरान की सरकारी मीडिया ने भी जेल के मेन गेट पर इजरायली हमले की पुष्टि की है. इस जेल पर कई पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है और इसे ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर की तरफ से चलाया जाता है.
विरोधी आवाजों की पहचान
इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज की तरफ से इस हमले की पुष्टि की गई. उन्होंने कहा कि सेना ने ईरान पर हमलों की एक सीरीज के तहत इविन जेल को निशाना बनाया है. उनका कहना था कि इस जेल से राजनीतिक विरोधी और असहमति की आवाजें आती रहती हैं. एविन जेल को राजनीतिक कैदियों और ईरान के शासन के खिलाफ आवाज उठाने वालों के गढ़ के तौर पर जाना जाता है. इस जेल की शुरुआत साल 1972 में हुई थी और 1979 में जब ईरान में क्रांति हुई थी, तब से ही इस जेल को कुख्यात माना जाता रहा है.
कई हजार बंदियों को फांसी
उत्तरी तेहरान की पहाड़ियों में स्थित यह जेल मोहम्मद रजा शाह पहलवी के कार्यकाल के दौरान टॉर्चर के तरीकों को लेकर दुनियाभर में जानी जाती थी. मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि शाह के कार्यकाल के दौरान जेल कई हजार बंदियों को फांसी दी गई थी. वहीं इविन के इतिहास में शायद सबसे काला दौर 1988 में आया, जब अनगिनत हजारों राजनीतिक कैदियों को हल्की सुनवाई के तुरंत बाद फांसी पर लटका दिया गया. इस जेल में कई लेखकों,
इस जेल को कई सिक्योरिटी एजेंसियां चलाती हैं जिनमें आईआरजीसी के साथ देश की इंटेलीजेंस एजेंसी भी शामिल है. जेल में 10,000 से लेकर 15000 कैदियों को रखा गया है जिसमें राजनीतिक बंदी, प्रदर्शनकारी, पत्रकार और कई विदेशी नागरिक हैं. इन सभी को ईरान ने राष्ट्रीय सुरक्षा अपराधों का आरोपी बताया है. जेल में कैदियों को कई तरह से टॉर्चर किया जाता है.
टॉर्चर करने के खूंखार तरीके
एमेनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार कैदियों को मारने के अलावा बिजली के झटके दिए जाते हैं, उनका रेप किया जाता है और यहां तक कि उन्हें इतना कमजोर कर दिया जाता है कि उन्हें गंध से लेकर सुनना भी बंद हो जाता है और यहां तक कि स्वाद से लेकर उनकी किसी चीज को छूने की शक्ति तक खत्म हो जाती है. ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, जेल का वॉर्ड जिसे ईरान की इंटेलीजेंस कंट्रोल करती है, वहां पर 'व्हाइट टॉर्चर' का प्रयोग होता है. इसके तहत कैदियों को मनोवैज्ञानिक तौर पर तोड़ने के लिए उन्हें लंबे समय तक एकांत कारावास में रखा जाता है.