सीजफायर खत्म होने से पहले इजराइल और हमास ने बंधकों की अदला-बदली का समझौता रिन्यू किया

हमास ने बिना अधिक ब्यौरा दिए कहा कि, "संघर्षविराम को सातवें दिन तक बढ़ाने" पर एक समझौता हुआ है.

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हमास और इजरायल के बीच हुए समझौते का विस्तृत ब्यौरा फिलहाल सामने नहीं आया है.
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  • युद्ध पर रोक खत्म होने से कुछ मिनट पहले संघर्ष विराम का विस्तार
  • बंधकों को रिहा करने की प्रक्रिया की शर्तों के तहत सीजफायर जारी रहेगा
  • इजरायल को शर्तों के अनुसार महिलाओं और बच्चों की एक लिस्ट दी गई
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यरुशलम:

इजरायल और हमास के बीच गुरुवार को संघर्ष विराम की समय सीमा खत्म होने से ठीक पहले इसे बढ़ा दिया गया. दोनों पक्षों ने इसकी घोषणा की. मध्यस्थता कर रहे  कतर ने बताया कि यह कैदियों के बदले में बंधकों को रिहाई की पहले की शर्तों के तहत ही एक दिन के लिए जारी रहेगा. पांच बजे (GMT) युद्ध पर रोक खत्म होने से कुछ मिनट पहले इजरायल की सेना ने कहा कि संघर्ष विराम लंबा रहेगा.

सेना की ओर से कहा गया है कि, "बंधकों को रिहा करने की प्रक्रिया जारी रखने के मध्यस्थों की कोशिशों और फ्रेमवर्क की शर्तों के तहत विराम जारी रहेगा."

इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बाद में विस्तार की पुष्टि करते हुए कहा कि उसे बंधकों की एक नई लिस्ट मिली है.

उसने मुक्त किए जाने वाले बंदियों की तादाद बताए बिना कहा, "थोड़े समय पहले, इजरायल को समझौते की शर्तों के अनुसार महिलाओं और बच्चों की एक लिस्ट दी गई थी, और इसलिए संघर्ष विराम जारी रहेगा." 

हमास ने बिना अधिक ब्यौरा दिए कहा कि, "संघर्षविराम को सातवें दिन तक बढ़ाने" पर एक समझौता हुआ है.

उसने पहले कहा था कि इजरायल ने सात बंधकों और तीन अन्य के शव सौंपने की पेशकश के बाद शुरू में संघर्ष विराम को बढ़ाने से इनकार कर दिया था.

कतर ने मिस्र और अमेरिका द्वारा समर्थित संघर्ष विराम वार्ता का नेतृत्व किया है. उसने पुष्टि की कि विराम को "उन्हीं पिछली शर्तों के तहत" एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है.

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ब्लिंकन इजरायल में 

यह घोषणा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बुधवार रात को इजरायल पहुंचने के कुछ घंटों बाद तब हुई जब संघर्ष विराम बढ़ाने के लिए दबाव बढ़ा हुआ था.

इजरायली अधिकारियों के अनुसार, संघर्ष विराम समझौते ने उस संघर्ष पर अस्थायी रोक लगा दी है जो सात अक्टूबर को शुरू हुआ था जब हमास के आतंकवादियों ने गाजा की सैन्यीकृत सीमा को पार करके इजरायल में प्रवेश किया था. इन हमलों में 1,200 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे. इसके अलावा  करीब 240 लोगों का अपहरण कर लिया गया था.

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