इजरायल ने कहा कि उसने अमेरिकी राष्ट्रपति के दूत स्टीव विटकॉफ की योजना को अपनाया है.
इजरायल मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान और अप्रैल के मध्य में यहूदी फसह के दौरान गाजा में संघर्ष विराम को बढ़ाने के अमेरिकी प्रस्ताव पर राजी हो गया है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के ऑफिस ने यह जानकारी दी है. नेतन्याहू के कार्यालय के एक बयान में कहा कि इजरायल ने मध्य पूर्व में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
नेतन्याहू के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "इजरायल ने मार्च के अंत में समाप्त होने वाले रमजान और अप्रैल के मध्य में मनाए जाने वाले आठ दिवसीय यहूदी फसह की अवधि के लिए अस्थायी संघर्ष विराम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के दूत स्टीव विटकॉफ की योजना को अपनाया है.
19 जनवरी को प्रभावी हुआ था युद्धविराम
19 जनवरी को प्रभावी युद्धविराम का पहला चरण शनिवार को समाप्त हो गया. इस समझौते के दूसरे चरण में गाजा में मौजूद दर्जनों बंधकों की रिहाई को सुरक्षित सुनिश्चित करना और युद्ध के अधिक स्थायी अंत का मार्ग प्रशस्त करना था.
नेतन्याहू के कार्यालय के अनुसार, विटकॉफ ने इस टेंपरेरी एक्सटेंशन को एक ऐसी अस्थायी व्यवस्था के रूप में पेश किया कि इजरायल और हमास की बातचीत में गतिरोध है और स्थायी युद्धविराम की शर्तों पर तुरंत सहमत नहीं हो सकते थे.
गाजा के लोगों में लगातार बना हुआ है डर
इस अस्थायी संघर्ष विराम का उद्देश्य धार्मिक छुट्टियों के दौरान तनाव कम करना है. हालांकि अभी तक इसे लेकर अधिक जानकारी सामने नहीं आई है.
रमजान के महीने में दुनिया भर में कई लोग प्रार्थना और उपवास करते हैं. हालांकि गाजा में माहौल दुख और अनिश्चितता का है. यहां अब भी युद्ध की गूंज बनी हुई है और युद्धविराम के बावजूद कई लोगों को डर है कि लड़ाई किसी भी समय फिर से शुरू हो सकती है.
गाजा के लोगों को अब भी याद हैं पुराने दिन
गाजा में रहने वालों के लिए पिछले संघर्षों की यादें अब भी ताजा हैं. अल जज़ीरा के अनुसार, एक निवासी को 2014 के युद्ध के दौरान रमजान की वो रात याद है जब वो बच्चा था और आधी रात के वक्त हवाई हमलों से भाग गया था.
हालांकि लेकिन पिछले स्थिति और भी खराब हो गई थी. भोजन दुर्लभ था और परिवारों के पास जो कुछ भी था उससे वह अपना उपवास तोड़ते थे. वहीं बिजली नहीं होने कारण अंधेरे में खाना खाना पड़ता था और इस दौरान लोग अपने परिवार के लोगों के चेहरे भी नहीं देख पाते थे.
हमास के हमले के बाद शुरू हुआ था युद्ध
बता दें कि 7 अक्तूबर 2023 को हमास ने इज़राइल पर बड़े पैमाने पर हमला किया था, जो देश के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था. हमला सुबह-सुबह शुरू हुआ, जब गाजा से इजरायली शहरों और कस्बों को निशाना बनाकर हजारों रॉकेट दागे गए. इसके साथ ही हमास ने वाहनों, पैराग्लाइडर और पैदल वाहनों का उपयोग करके इजरायल की सीमा को पार किया और उसके सैन्य ठिकानों और नागरिक क्षेत्रों पर हमला किया.
हमलावरों ने बड़े पैमाने पर गोलीबारी, अपहरण और अन्य हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया, जिसमें नागरिकों और सैनिकों सहित कई लोग मारे गए. इज़रायली और विदेशी नागरिकों सहित 200 से अधिक व्यक्तियों को बंधक बना लिया गया और गाजा में लाया गया. इस हमले के बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया.
7 अक्तूबर 2023 की घटना में इजरायल में कम से कम 1,139 लोग मारे गए. इसके बाद इजरायली हमले में गाजा में हजारों लोग मारे गए हैं और गाजा में गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया.