- आयरलैंड में भारतीय छात्र पर तीन किशोरों ने चाकू से हमला कर नस्लवादी अपशब्द कहे, जब वह घर लौट रहा था.
- हमलावरों ने पैसे की मांग की, छात्र ने विरोध किया तो कॉलरबोन पर दो बार वार किया गया, चोटें आईं.
- यह घटना आयरलैंड में भारतीयों के खिलाफ बढ़ते आप्रासी विरोधी और नस्लीय हमलों की श्रृंखला में से एक है.
आयरलैंड में भारतीयों पर लगातार नस्लीय हमले हो रहे हैं. ऐसा ही मामला कुछ दिन पहले आया था जब 22 साल के एक भारतीय छात्र को आयरलैंड में तीन किशोरों ने नस्लवादी अपशब्दों कहें और चाकू से हमला किया गया. उस भारतीय पर उस समय हमला हुआ था जब वह अपने कॉलेज से घर लौट रहा था. अब उसने एनडीटीवी से बात की है और अपनी आपबीती बताई है. उसने भारतीयों को निशाना बनाने वाले हाल के अप्रवासी विरोधी हमलों की भी आलोचना की और इसे "अस्वीकार्य" बताया.
छात्र ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने को कहा. उसने कहा कि वह बस से उतरा था और अपने घर के दरवाजे से लगभग 300-350 मीटर की दूरी पर था जब तीन किशोर एक गली से निकले और उसे घेर लिया.
उन्होंने बार-बार कैश न होने की बात की और ऑफर दिया कि वो ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर देंगे. लेकिन उन तीनों लड़कों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और कैश की मांग करते रहे. इसी बीच में जब हमलावरों में से एक ने कॉलर छोड़ा, तो भारतीय व्यक्ति ने उसे दूर धकेलने की कोशिश की.
उन्होंने एनडीटीवी को बताया, "वे बच्चे थे, शायद उनकी उम्र 16 से 19 साल के बीच थी. मैंने उन्हें धक्का दिया और हाथापाई शुरू हो गई, जिसके दौरान मुख्य हमलावर ने मेरे कॉलरबोन पर दो बार वार किया. शुक्र है, चाकू पर धार नहीं था. इसने मेरी त्वचा को कुछ चोटें पहुंचाई, लेकिन ज्यादा गंभीर नहीं. यह चिंताजनक है क्योंकि मैं जिस क्षेत्र में रहता हूं वह सुरक्षित माना चाता है." उन्होंने एनडीटीवी को यह बताते हुए एक तस्वीर दिखाई जिसमें उनके कॉलरबोन के पास चोटें दिखाई दे रही थीं.
“हमले खतरनाक हुए हैं और बार-बार हो रहे हैं”
यह घटना आयरलैंड में भारतीयों पर हुए कई हमलों में से एक है. ये घटनाएं आयरलैंड में बढ़ती आप्रवासी विरोधी भावना की ओर इशारा करती हैं. इस महीने की शुरुआत में वॉटरफोर्ड शहर में ऐसी ही एक घटना हुई जब छह साल की भारतीय मूल की लड़की को बच्चों के एक गैंग द्वारा नस्लवादी दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा, जो अभी किशोरावस्था में ही थे. उस मासूम बच्ची तक को "गंदा" कहा गया और "भारत वापस जाने" के लिए कहा गया.
ऐसी घटनाओं को "दुर्भाग्यपूर्ण" और "अस्वीकार्य" बताते हुए छात्र ने आयरलैंड में भारतीयों के खिलाफ हमलों में तेज वृद्धि की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि जब वह पुलिस के पास गए तो उन्होंने इसे एक नियमित हमला बताया और कहा कि आपको भारतीयों होने के लिए निशाना नहीं बनाया गया है.
छात्र ने कहा, "मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से झूठ है क्योंकि जो कोई भी इस खबर पर नजर रख रहा है, उसने देखा है कि हमले न केवल तेजी से खतरनाक हो गए हैं, बल्कि उनकी आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) भी बढ़ रही है. डबलिन में इस बिंदु पर, हर दिन कम से कम दो से तीन घटनाएं सामने आती हैं."
यह घटना तब सामने आई जब इस छात्र ने इस घटना को रेडिट ग्रुप पर शेयर किया था. उसने याद करते हुए कहा कि हमलावरों ने पहले उसे "स्वीट चीक्स" कहा था, फिर वापस आकर उसे और अधिक नस्लवादी अपशब्द कहे. भारतीय छात्र ने अपने पोस्ट में लिखा था, "मैंने खुद ब्राउन पैदा होने का फैसला नहीं किया था. जब धक्का लगता है तो हम अपने आप में होते हैं. मजबूत बने रहें."
क्या आयरलैंड में नया कानून बनेगा?
आयरलैंड इंडिया काउंसिल के अध्यक्ष प्रशांत शुक्ला ने कहा कि ऐसे हमले आयरिश संस्कृति को नहीं दिखाते हैं और ये हमले चरमपंथी एजेंडे की "गहरी साजिश" की ओर इशारा करते हैं.
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "ये हमले आयरिश लोकाचार या संस्कृति को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं. आयरलैंड में हर कोई ऐसे हिंसक हमलों की निंदा करता है. हमें लगता है कि 1% लोग इस हिंसक तरीके से देश की आबादी पर कब्जा कर रहे हैं. नफरत चरम दक्षिणपंथी और वामपंथी एजेंडे के कारण फैलाई गई है."
यह पूछे जाने पर कि क्या आप्रवासी विरोधी भावना में वृद्धि हुई है, उन्होंने ना में उत्तर दिया. उन्होंने कहा, ''कोई भी समझदार व्यक्ति इस हिंसा को उचित नहीं ठहराएगा.'' उन्होंने कहा कि काउंसिल ने इन घटनाओं को देश के न्याय और विदेश मामलों के मंत्रियों के सामने उठाया है. उन्होंने कहा, "उन्होंने हिंसा को रोकने के लिए पूरा समर्थन दिखाया है और आश्वासन दिया है कि अगर कानूनों में बदलाव की जरूरत है, तो वे इन विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार हैं."
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