Read more!

आर्थिक तंगी में इराक का बुरा हाल! कूड़ा-कचरा चुन कर रमजान में खाना खाने को मजबूर बुजुर्ग

जाहरा जौदा दर्राज की कहानी दर्दनाक है. हिजाब पहनकर, हाथों में दस्ताने लगाकर अपने 68 वर्षीय पति रज्जाक के साथ रोज जिंदगी की लड़ाई लड़ती हैं. कूड़ास्थल पर अपने खच्चर के साथ जाती हैं, और वहां से शीशे की बोतलें, एल्मूनीयम के केन को जमा कर उन्हें बेचती हैं

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
बगदाद:

कुछ लोगों के लिए ज़िंदगी वाकई में हसीन नहीं होती हैं. लोग टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं, मगर ईश्वर की भक्ति में लीन रहते हैं. उन्हें ईश्वर पर भरोसा रहता है, ऐसा लगता है कि एक दिन चीज़ें ख़ुद-ब-ख़ुद ठीक हो जाएंगी. अभी रमजान का महीना चल रहा है. बगदाद की रहने वाली 51 वर्षीय जाहरा रोज सुबह उठकर अपने खच्चर के साथ कूड़ेदान के पास जाती है. वहां फेंकी हुई बोतलें, एल्म्यूनीयम के केन को इक्कट्ठा करती हैं और उन्हें बेचकर इफ्तार और सहरी करती हैं. अल्लाह पर उनका ये भरोसा उन्हें और मजबूत बनाता है. विषम परिस्थितियों में रहने के बावजूद जाहरा ने हिम्मत नहीं हारी और परिस्थितियों से लड़ने का फैसला लिया. इनका मानना है कि ज़िंदगी में कठिनायां बहुत ही ज्यादा हैं, मगर अल्लाह की इबादत से इन्हें ताकत मिलती है.

जाहरा जौदा दर्राज की कहानी दर्दनाक है. हिजाब पहनकर, हाथों में दस्ताने लगाकर अपने 68 वर्षीय पति रज्जाक के साथ रोज जिंदगी की लड़ाई लड़ती हैं. कूड़ास्थल पर अपने खच्चर के साथ जाती हैं, और वहां से शीशे की बोतलें, एल्मूनीयम के केन को जमा कर उन्हें बेचती हैं. दोनों रोज संघर्ष कर रहे हैं. दोनों काम करके बहुत ही ज्यादा कमजोर हो गए हैं. मगर अल्लाह की इबादत नहीं छोड़ी है. उन्होंने इफ्तार और सहरी के भोजन के लिए कचरा बीनना शुरु किया, उनसे जो पैसे मिलते हैं, उससे वो रोजा के लिए समर्पित करते हैं. जाहरा बताती हैं कि अल्लाह पर मेरी आस्था है, वो हमें मजबूत बनाते हैं और जीने की वजह देते हैं. वो बताती हैं कि कूड़ेदान के पास कई सब्जियां भी मिल जाती हैं, जिन्हें जमा कर वो अपने जानवरों को खिलाती हैं.

कमजोर और लाचार जाहरा के 4 बच्चे थे. बीमारी ने उनके बच्चों को उनसे छीन लिया. जाहरा बताती हैं कि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि बच्चों का इलाज हॉस्पिटल में करवाया जा सके. सोचिए, लाचारी और बेबसी की मारी जाहरा के दिल पर क्या बीत रही होगी. सबकुछ खोने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी. रोज जंग लड़ रही हैं. सबकुछ तबाह होने के बाद भी अल्लाह पर भरोसा बनाए रखा. रमजान के पाक महीने में रोजा रखना नहीं भूला.

Advertisement

योजना मंत्रालय के अनुसार, इराक में प्रचूर मात्रा में तेल और गैस भंडारण होने के बावजूद भी लगभग 10 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. हालांकि, इराक में लगातार तेल उत्पादन हो रहे हैं, राजस्व में भी मुनाफा हो रहा है, मगर इराक की 22 प्रतिशत आबादी गरीबी में रह रही है. पिछले साल इराकी सरकार ने कहा था कि देश में नौकरियां बढ़ेंगी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi Election Results 2025: Omar Abdullah ने किया पोस्ट, लिखा- और लड़ो आपस में..
Topics mentioned in this article