- ईरान की राजधानी तेहरान सहित कई हिस्सों में अभूतपूर्व सूखे के कारण गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया है.
- तेहरान के बांधों में जल भंडार केवल 42 प्रतिशत है जो पिछले वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत कम है.
- बिजली संकट पुराने ढांचे, ईंधन आपूर्ति की बाधाओं और बढ़ती मांग के कारण भीषण रूप ले चुका है.
ईरान में अभी पानी और बिजली के लिए हाहाकार मचा हुआ है. खुद ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने चेतावनी दी कि राजधानी तेहरान सहित देश के कुछ हिस्सों को "गंभीर" जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. ईरान की जनता को बढ़ती गर्मी के बीच बिजली संकट का भी सामना करना पड़ रहा है. अब आप सोचेंगे कि जिस देश के पास खुद कच्चे तेल का अथाह भंडार है, वहां बिजली संकट क्यों आ गई है. इस रिपोर्ट में हम आपको ईरान में सूखे के संकट ने कैसे जल संकट और बिजली संकट को पैदा कर दिया है.
ईरान में जल संकट
ईरान की राजधानी तेहरान में इस साल बारिश बहुत कम (लगभग आधी) हुई है. सरकारी IRIB न्यूज एजेंसी ने रविवार को बताया कि ईरानी बांधों का जल भंडार उनकी कुल क्षमता का केवल 42 प्रतिशत रह गया है. यानी बांधों में उनकी क्षमता के आधे से भी कम पानी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 सितंबर, 2024 को शुरू हुए चालू जल वर्ष की शुरुआत के बाद से, ईरान के बांधों में केवल 23.56 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया है, जो पिछले साल की समान अवधि के आंकड़े की तुलना में 42 प्रतिशत कम है, जो 40.55 बीसीएम था.
पेजेशकियान ने कहा कि शरद ऋतु के दौरान प्रांत में पर्याप्त पानी सुनिश्चित करने के लिए पास के तालेकन बांध से तेहरान तक पानी ट्रांस करने के लिए चौबीसों घंटे प्रयास किए जा रहे हैं. न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि इस कदम से राजधानी के जल संकट को हल करने में मदद मिलेगी या नहीं, क्योंकि प्रांत की वर्षा में 45 प्रतिशत की गिरावट आई है.
शनिवार को तेहरान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए, तेहरान वाटर एंड वेस्टवाटर कंपनी के जिला 5 के सीईओ मोहम्मद-ताकी होसैनजादेन ने कहा कि तेहरान के बांधों का जल भंडार सितंबर के अंत तक रहेगा, उन्होंने नागरिकों से अपने पानी की खपत का प्रबंधन करने का आग्रह किया. ईरान जल संसाधन प्रबंधन के अनुसार, पानी की कमी मुख्य रूप से "अभूतपूर्व" सूखे की वजह से हुई है, जिसने चालू जल वर्ष की शुरुआत से देश को प्रभावित किया है.
कमी को दूर करने के लिए, ईरानी अधिकारियों ने अल्पकालिक समाधान के रूप में प्रभावित शहरों में कार्यालय बंद करने और काम के घंटे कम करने का सहारा लिया है. जुलाई में ईरान की सरकार ने प्रति इंसान सिर्फ 130 लीटर पानी (हर दिन) इस्तेमाल करने का फरमान जारी किया था.
ईरान में बिजली संकट
तेहरान में 44 साल की डिजिटल मार्केटर सारा हर सुबह 6 बजे अपना फोन चेक करती है. वो अपने सोशल मीडिया पर किसी दोस्त का मैसेज देखने के लिए फोन चेक नहीं करती बल्कि यह देखने के लिए करती है कि दिन की बिजली कटौती कब शुरू होगी.
ईरान में बिजली की कमी पुराने बुनियादी ढांचे और ईंधन आपूर्ति (फ्यूल सप्लाई) समस्याओं दोनों के कारण है, जिसके कारण बिजली उत्पादन तेजी से बढ़ती मांग से पीछे रह गया है. अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में एक संसदीय रिपोर्ट से पता चला है कि ईरान की 85 प्रतिशत बिजली जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) से आती है, केवल 13 प्रतिशत जल विद्युत से और शेष नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा से आती है.
भले ईरान के पास विशाल गैस और तेल भंडार हैं, लेकिन दशकों के प्रतिबंधों और कम निवेश ने बिजली संयंत्रों और ट्रांसमिशन नेटवर्क को बढ़ती खपत को पूरा करने के लिए अपर्याप्त बना दिया है. ईंधन आपूर्ति में रूकावट के कारण कुछ स्टेशनों को प्राकृतिक गैस के बजाय माजुट, एक भारी ईंधन तेल का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, लेकिन प्रदूषण संबंधी चिंताओं के कारण यह सीमित है. अल जज़ीरा ने कहा कि इस बार के सूखे ने उसी समय जलविद्युत उत्पादन को कम कर दिया है जब एयर कंडीशनिंग की मांग चरम पर है.
38 साल के सॉफ्टवेयर कंपनी मैनेजर शाहराम ने बताया कि कैसे काम के घंटों के दौरान बिजली कटौती के कारण उन्हें कर्मचारियों को जल्दी घर भेजना पड़ता है, जिससे प्रोडक्टिविटी बाधित होती है. उन्होंने कहा, "बिजली कटौती आम तौर पर दोपहर 12 से 5 बजे के बीच होती है. यह काम के चरम घंटों के साथ मेल खाता है… अगर दोपहर 2, 3 या 4 बजे बिजली कटौती होती है, तो मैं आमतौर पर सभी को घर भेज देता हूं क्योंकि इसका कोई मतलब नहीं है. जब बिजली वापस आती है, तब तक उनका काम के घंटे खत्म हो चुके होते हैं."
(इनपुट- IANS, ANI)
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में गधों की गजब रेस, जरा तस्वीरें देखिए