ईरान ने जब से इजरायल पर 180 मिसाइलें दागी हैं, तब से उसे खुद वर हमले का डर सता रहा है. वह यह बात अच्छी तरह से जानता और समझता है कि इजरायल उसे बख्शने वाला (Iran Waring Israel Allies) नहीं है. ये बाद खुद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भी कह चुके हैं. यही वजह है कि ईरान को हमले का डर सता रहा है. ईरान इजरायल की ताकत से भी अनजान नहीं है. इसीलिए अब ईरान ने अपने अरब पड़ोसियों और खाड़ी में अमेरिकी सहयोगियों को कड़ी चेतावनी जारी कर दी है. उसका कहना है कि अगर ईरान पर हमला होता है और किसी ने भी इजरायल की मदद की तो उन पर गंभीर जवाबी कार्रवाई की जाएगी.
ये भी पढ़ें-बांग्लादेश, इजरायल-हमास, देश के छिपे दुश्मन, जानिए मोदी सरकार को RSS प्रमुख मोहन भागवत ने क्या दिया संदेश
हमले से डरे ईरान की चेतावनी
ईरान को डर है कि इजरायल उस पर हमला करने के लिए कहीं पड़ोसी देशों और सहयोगियों के क्षेत्रों या हवाई क्षेत्र का उपयोग न करे, इसी आशंका को देखते हुए उसने पहले ही चेतावनी जारी कर दी है.ये जानकारी वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान ने ये चेतावनी सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर जैसे तेल समृद्ध राज्यों को लक्षित करते हुए गुप्त राजनयिक चैनलों के जरिए दी है. ये सभी सभी अमेरिकी सैन्य बलों की मेजबानी करते हैं.
ईरान को जवाब देने की कसम खाए बैठा इजरायल
ईरान ने हाल ही में इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं, जिसके बाद इजरायल ने तेहारन के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की कसम खाई थी. हमले से गुस्साए इजरायली अधिकारियों ने ईरान के परमाणु या तेल बुनियादी ढांचे पर जवाबी हमले का इशारा दिया है. उनको लगता है कि ईरान को निशाना बनाने के लिए इससे बेहतर कुछ और हो ही नहीं हालांकि ईरान ने भी जवाबी हमला करने की बात कही थी, इससे इजरायल के नागरिक बुनियादी ढांचे के साथ-साथ अरब राज्यों को भी खतरा है, जो उनकी मदद कर सकते हैं.
ईरान की धमकी से डरे अरब देश
वॉल जर्नल स्ट्रीट के मुताबिक, इन देशों ने बाइडेन प्रशासन से कहा है कि ईरान के खिलाफ हमलों में उनके सैन्य बुनियादी ढांचे या हवाई क्षेत्र का उपयोग करने से उनके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है. इन ऊर्जा संपन्न खाड़ी देशों के अधिकारियों को डर है कि उनकी तेल सुविधाओं को बढ़ती दुश्मनी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. इस क्षेत्र में तैनात अमेरिकी सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा है, कोई भी सैन्य कार्रवाई अमेरिकी सुरक्षा बलों को भी बड़े खतरे में डाल सकती है.
खाड़ी देशों को सता रहा इस बात का डर
खाड़ी देशों को इस बात की चिंता है कि अगर संघर्ष बढ़ता है तो वैश्विक तेल बाजार पर इसका फर्क पड़ेगा. इज़रायल और ईरान के बीच एक पूर्ण युद्ध, वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए अहम, होर्मुज़ के जलडमरूमध्य से गुजरने वाले तेल निर्यात बाधित हो सकता है. तेल निर्यात अगर बाधित होता है को एनर्जी की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे न सिर्फ क्षेत्र बल्कि वैश्विक बाजार भी अस्थिर हो सकते हैं.
तेल बुनियादी ढांचे पर असर की सता रही चिंता
रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब और यूएई समेत अरब नेताओं ने अपने तेल बुनियादी ढांचे पर असर के डर से ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य हमलों में किसी भी तरह की भागीदारी से बचने की बात कही है. बढ़ते तनाव के जवाब में, अमेरिका ने ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल उद्योगों पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं. खास तौर पर ईरान के जहाजों के तथाकथित "शेडो फ्लीट" को लक्षित किया जो प्रतिबंधों के खिलाफ रहे हैं.