- ईरान ने फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के साथ परमाणु समझौते की वार्ता फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है.
- यह वार्ता इस्तांबुल में उप विदेश मंत्री स्तर पर 25 जुलाई को आयोजित की जाएगी.
- ईरान ने इजरायल और अमेरिका पर परमाणु स्थलों पर हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है.
ईरान एक बार फिर परमाणु समझौते के लिए यूरोप के तीन सबसे बड़ी शक्तियों- फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के साथ वार्ता करने के लिए राजी हो गया है. इन तीन यूरोपीय देशों को सामूहिक रूप से E3 के नाम से जाना जाता है और इन्होंने ईरान को चेतावनी दी थी कि वार्ता फिर से शुरू करने में विफल रहने पर उसपर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध फिर से लगाए जाएंगे. अब ईरान ने वार्ता शुरू करने पर मुहर लगाई है और यह वार्ता इस्तांबुल में होगी.
ईरान की सरकारी मीडिया ने ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाघाई के हवाले से कहा, "ईरान, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के बीच उप विदेश मंत्री स्तर पर बैठक होगी."
ईरान ने अमेरिका पर इजरायली हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है, जिसमें शीर्ष ईरानी सैन्य अधिकारी, परमाणु वैज्ञानिक और सैकड़ों नागरिक मारे गए. अमेरिका ने तीन प्रमुख ईरानी परमाणु स्थलों पर भी हमले किए और उन्हें "नष्ट" करने का दावा किया. यह जंग 24 जून को रुकी जब सीजफायर प्रभावी हुआ.
इजरायल-ईरान युद्ध से पहले, तेहरान और वाशिंगटन के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच दौर की परमाणु वार्ता हुई थी. ईरान में यूरेनियम संवर्धन (शुद्ध करना) जैसे मोर्चे पर असहमति बनी रही, जिसे पश्चिमी शक्तियां हथियारीकरण के किसी भी जोखिम को कम करने के लिए शून्य पर लाना चाहती हैं.
गौरतलब है कि चीन और रूस के साथ ये तीन यूरोपीय देश भी ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते में भागीदार हैं. इस समझौते में ईरान के सामने सबसे बड़ा पक्ष अमेरिका था जिसने 2018 में समझौते से एकतरफा बाहर हट गया था. इस समझौते के अनुसार ईरान को अपना परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगानी थी और बदले में इस मिडिल ईस्ट देश पर लगे प्रतिबंध हटा दिए गए थे.