लड़ाकू जेट, मिसाइलें और ड्रोन... ईरान और इज़रायल, किसमें कितना है दम?

"Iran Israel War: ईरान ने सीरिया की राजधानी दश्मिक में स्थित उसके राजनयिक परिसर पर एक अप्रैल को हुए हमले का संदेह इजराइल (Israel Iran) पर जताया था, जिसके बाद से ईरान बदले की आग में जल रहा है, हालांकि इजरायल भी किसी से कम नहीं पड़ रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
Iran-Israel Conflict: इजरायल या ईरान, किसका एयर डिफेंस सिस्टम ज्यादा मजबूत.

इजरायल पर ईरान (Iran Israel) के 13 अप्रैल को किए गए पहले सीधे हमले ने उनकी एयर डिफेंस क्षमताओं पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया है, रॉयटर्स के मुताबिक, क्योंकि इज़रायली नेता तय करने में जुट गए हैं कि ईरान को इसका बढ़िया जवाब कैसे देना है.  

ईरान, इजरायल, देशों की वायु सेनाओं और हवाई रक्षा प्रणालियों पर एक नज़र. 

ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज इन लंदन (IISS) के मुताबिक, ईरानी वायु सेना में 37,000 जवान हैं, लेकिन दशकों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने देश को नए और उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों से काफी हद तक दूर कर दिया है.

वायु सेना के पास सिर्फ कुछ ही दर्जन काम करने वाले स्ट्राइक विमान हैं, जिनमें 1979 की ईरानी क्रांति से पहले हासिल किए गए रूसी जेट और पुराने अमेरिकी मॉडल भी शामिल हैं. 

IISS ने बताया कि तेहरान के पास नौ एफ-4 और एफ-5 लड़ाकू विमानों का एक स्क्वाड्रन, रूसी निर्मित सुखोई-24 जेट का एक स्क्वाड्रन और कुछ मिग-29, एफ7 और एफ14 विमान हैं. 

ईरानी सेना के पास लक्ष्य पर उड़ान भरने और विस्फोट करने के लिए डिज़ाइन किए गए पायलट रहित विमान भी हैं. विश्लेषकों का मानना ​​है कि इस ड्रोन शस्त्रागार की संख्या हजारों में है. उनका कहना है कि ईरान के पास सतह से सतह पर मार करने वाली 3,500 से ज्यादा मिसाइलें हैं, जिनमें से कुछ के पास आधे टन हथियार ले जाने की क्षमता है. हालांकि, इज़रायल तक पहुंचने में सक्षम संख्या कम हो सकती है.

Advertisement

ईरान के वायु सेना कमांडर, अमीर वहीदी ने बुधवार को कहा कि सुखोई-24, किसी भी संभावित इजरायली हमले का मुकाबला करने के लिए अपनी "सर्वोत्तम तैयारी की स्थिति" में है. 

लेकिन ईरान की 1960 के दशक में पहली बार विकसित सुखोई-24 जेट विमानों पर निर्भरता, उसकी वायु सेना की कमजोरी को दिखाती है. रक्षा के लिए, ईरान रूसी और घरेलू स्तर पर निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और वायु रक्षा प्रणालियों के मिश्रण पर निर्भर है.

Advertisement

तेहरान को 2016 में रूस से S-300 एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम की डिलीवरी मिली, जो लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली हैं. यह विमान और बैलिस्टिक मिसाइलों समेत कई लक्ष्यों को एक साथ भेदने में सक्षम है.

ईरान के पास घरेलू स्तर पर निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्लेटफॉर्म बावर-373 के साथ ही सैय्यद और राद डिफेंस सिस्टम भी है.

Advertisement

IISS के एक रिसर्च फेलो फैबियन हिंज ने कहा, "अगर दोनों देशों के बीच कोई बड़ा संघर्ष होता, तो ईरान शायद कभी-कभार मिलने वाली सफलताओं पर ध्यान केंद्रित करता. उनके पास इजराइल की तरह व्यापक हवाई सुरक्षा नहीं है."

इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम

इज़रायल के पास सैकड़ों अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई एडवांस वायु सेना के साथ ही F-15, F-16 और F-35 मल्टीपर्पस जेट लड़ाकू विमान हैं.  उन्होंने इस हफ्ते ईरानी ड्रोन को मार गिराने का काम किया था. 

Advertisement

वायु सेना के पास लंबी दूरी के बॉम्बर्स की कमी है. हालांकि पुनर्निर्मित बोइंग 707 का एक छोटा बेड़ा ईंधन भरने वाले टैंकरों के रूप में काम करता है, जो इसके लड़ाकू विमानों को पिनपॉइंट उड़ानों के लिए ईरान तक पहुंचने में सक्षम बना सकता है.

ड्रोन टेक्नोलॉजी में अग्रणी, इज़रायल के पास हेरॉन पायलट रहित विमान हैं, जो 30 घंटे से ज्यादा समय तक उड़ान भरने में सक्षम हैं. यह दूर-दराज के संचालन के लिए पर्याप्त है. इसके डेलिलाह गोला-बारूद की अनुमानित सीमा 250 किमी (155 मील) है, जो खाड़ी से बहुत कम है. हालांकि वायु सेना ईरान के बॉर्डर के करीब गोला-बारूद पहुंचाकर अंतर को कम कर सकती है.

कहा जाता है कि इजरायल ने लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें विकसित कर ली हैं, लेकिन न तो पुष्टि की गई है और न ही इससे इनकार किया गया है. साल 2018 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमैन ने ऐलान किया था कि इजरायली सेना को एक नई "मिसाइल फोर्स" मिलेगी. हालांकि सेना ने यह नहीं बताया है कि वह प्लानिंग अब कहां है.

साल 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद से इजरायल के पास अमेरिका की मदद से विकसित एक बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली है. जो कि लंबी दूरी के ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है. 

सबसे ज्यादा ऊंचाई वाला सिस्टम एरो-3 है, जो अंतरिक्ष में बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम है. एरो-2, एक पुराना मॉडल है, जो कम ऊंचाई पर काम करता है. मध्य दूरी की डेविड स्लिंग बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करती है, जबकि कम दूरी की आयरन डोम गाजा और लेबनान में ईरानी समर्थित मिलिशिया द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट और मोर्टार से निपटने में सक्षम है. 

लंदन में रॉयल यूनाइटेड स्ट्रैटेजिक इंस्टीट्यूट के रिसर्च फेलो सिद्धार्थ कौशा ने कहा, "13 अप्रैल को हुए हमले के दौरान इज़रायल की हवाई सुरक्षा ने बढ़िया प्रदर्शन किया.

Featured Video Of The Day
Maharashtra Exit Poll: बढ़ा हुआ मतदान और नए एग्ज़िट पोल्स महाराष्ट्र में क्या कर रहे हैं इशारा?