चारों तरफ अशांति ही अशांति... अब बांग्लादेश ने बढ़ाई चिंता, पड़ोस को कैसे साधेगा भारत?

मौजूदा हालत में बड़ी संख्या में लोगों का बांग्लादेश से पलायन हो सकता है. वजह साफ है..वहां जो अस्थिरता फैली हुई है उसका भारत पर व्यापक असर होगा.

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नई दिल्ली:

बांग्लादेश (Bangladesh) में हुए तख्ता पलट के बाद शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं. समस्या ना केवल इस बात की है कि बांग्लादेश में क्या होगा. बल्कि सवाल ये भी है कि भारत इस पूरे घटनाक्रम में किस तरह से प्रभावित होगा. भारत के तमाम पड़ोसी देशों में उठापटक का माहौल है. पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, म्यांमार के बाद अब बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है. 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया. शेख हसीना (Sheikh Hasina) के पिता शेख मुजीबुर्रहमान वहां के राष्ट्रपति बने. शेख हसीना भी लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं. कुल मिलाकर भारत और बांग्लादेश अच्छे दोस्त रहे. लेकिन कल हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद दोनों देशों के रिश्तों के लिए भी...एक  बड़ी चुनौती सामने आ गई है. 

अब शेख हसीना का क्या होगा?
सबसे पहले आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा  कि अब शेख हसीना का क्या होगा. इसे लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा कि बाग्लादेश में जारी प्रदर्शन के बीच शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने भारत आने की इजाजत मांगी.  शेख हसीना आगे कहां रहेंगी...क्या वो फिलहाल भारत में ही रहेंगी. या उन्हें किसी और देश में शरण मिलेगी. ऐसी कई बातों से ये भी तय होगा कि भविष्य में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों की तस्वीर कैसी होगी? इसलिए हम शुरुआत इसी चुनौती से करते हैं.

बांग्लादेश में बदले हुए हालात के बीच भारत के सामने एक बड़ी चुनौती ये है कि पड़ोसी मुल्क में जो नई सरकार बन रही है, उसके साथ भारत के ताल्लुक कैसे होंगे? कहा जा रहा है कि शेख हसीना लंदन जाना चाहती हैं. ब्रिटेन में आम तौर पर राजनीतिक शरण मिल भी जाती है...हसीना के लंदन जाने के कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं. क्योंकि उनकी बहन शेख रेहाना ब्रिटेन में ही हैं. उनके पास ब्रिटेन की नागरिकता भी है.

क्या ब्रिटेन में उन्हें मिलेगी शरण?
जिस तरह से शेख हसीना को बांग्लादेश में तानाशाह कहा गया, क्या ब्रिटेन में उन्हें शरण मिलेगी? जहां तक भारत का सवाल है...खुद शेख हसीना भी कई बार भारत को अपना दूसरा घर बता चुकी हैं...उन्होंने बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाने में भी जबरदस्त सफलता हासिल की है...वाजबूद इसके, उन्हें ये तो बताना ही होगा कि आगे की रणनीति क्या है.?..यानी वो भारत में रहना चाहती हैं या कहीं और?

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संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक ...asylum (असाइलम)...यानि ...शरण उन लोगों को दी जाने वाली सुरक्षा है..जो उत्पीड़न के डर से अपने देश से भाग जाते हैं. लेकिन, भारत के लिए बड़ा सवाल ये भी है कि देशहित में सही क्या होगा? अगर शेख हसीना को यहां लंबे समय के लिए पनाह दी जाती है. तो बांगालदेश में जो नई सरकार आएगी. वो इसपर क्या प्रतिक्रिया देगी. कहीं ऐसा तो नहीं कि..भारत की इस पहल का...दोनों देशों के रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ेगा?

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भारत का क्या होगा अगला कदम?
भारत इससे पहले शेख हसीना को शरण दे चुका है. उन्होंने अपने जीवन के 6 साल निर्वासन में बिताए हैं.  भारत ने 1959 में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को भी शरण दी थी. उसके ठीक बाद पड़ोसी देश चीन के साथ भारत के रिश्तों में जो नया मोड़ आया. वो इतिहास है.लेकिन भविष्य तय करते हुए..पीछे मुड़कर इतिहास को देखना पड़ता है. खास तौर पर तब ...जब आप देश-प्रथम की पॉलिसी को सबसे ऊपर रखते हैं.

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बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार ने भारत विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए काफी सख्ती की. हसीना के शासन काल में वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाओं में भी कमी आई. जाहिर है अब बदले हुए हालात में वहां हिंदू आबादी पर अत्याचार ज्यादा बढ़ता है, तो भारत के लिए परेशानी बढ़ाने वाली बात होगी...और ये भी एक बड़ी चुनौती होगी.

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला
बांग्लादेश में जो आग लगी है....वो अभी बुझती नहीं दिख रही है. सबसे बड़ी चिंता वहां रह रहे क़रीब 9,000 छात्रों समेत 19,000 भारतीयों की है.उन्हें भारत लाने की कोशिश की जा रही है. इस बीच बांग्लादेश के जेसोर में अवामी लीग के एक नेता के होटल को आग के हवाले कर दिया गया. जिसमें 24 लोगों के मारे जाने की ख़बर है.इसी तरह सिराजगंज में एक थाने पर हमला हुआ,  जिसमें 13 पुलिसकर्मी को पीट पीट कर मार डाला गया .इनमें कई हिंदू पुलिसकर्मी शामिल हैं.

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लगातार कम हो रही है हिंदुओ की आबादी
जब बांग्लादेश का जन्म हुआ तब वहां हिंदुओं की आबादी करीब 25 प्रतिशत थी. लेकिन अब ये आबादी घटकर 7 प्रतिशत रह गई है. चिंता की बात है कि इस वक्त बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें आ रही हैं. मेहरपुर में इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया गया है... इसके अलावा एक काली मंदिर में भी तोड़फोड़ की जानकारी सामने आ रही है. विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों को सतर्क रहने की चेतावनी जारी की है...लेकिन सवाल उठता है कि...

  1. क्या बांग्लादेश की हिंदू आबादी के खिलाफ ये हिंसा जल्द से जल्द रुकेगी?
  2. क्या बांग्लादेश की नई सरकार इन दंगों पर लगाम लगाएगी?
  3. क्या भारत सरकार के कूटनीतिक कदम यहां कारगर होंगे?
  4. क्या हिंसा नहीं रुकने की सूरत में वहां फंसे अल्पसंख्यक सुरक्षित बाहर निकाले जाएंगे?
  5. सबसे बड़ा सवाल...कहीं ऐसा तो नहीं कि बांग्लादेश की नई सरकार कट्टरपंथियों के दबाव में तमाशबीन बनी रहेगी?


दरअसल, कहा ये जा रहा है कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर ...यानी ICS ने शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन को हिंसक बनाने का काम किया. ये वही जमात-ए-इस्लामी है, जो अपने भारत विरोधी रुख के लिए कुख्यात है. जबकि ICS बांग्लादेश के सीमाई इलाकों में अशांति फैलाने की कोशिश करता है. खबरों के मुताबिक भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते ही. ICS पर भारतीय खुफिया एजेंसियों की नजर रहती है...कहा तो ये भी जाता है कि ICS. उस हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी यानी हूजी से भी हाथ मिला चुका है...जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI  के साथ मिलकर काम करता है.

विदेश मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि बांग्लादेश में जो इस्लामिक कट्टरपंथी थे वो पहले से ही सेना और सरकार के खिलाफ थे. छात्रों के प्रदर्शन को कट्टरपंथियों ने कब्जा कर लिया. आंतरिक विद्रोह को भारत से भी सपोर्ट मिला.

आंदोलन अब कट्टरपंथियों के कब्जे में?
तस्वीरों को देखकर भी यही लगता है कि बांग्लादेश में जारी आंदोलन अब कट्टरपंथियों के कब्जे में है. शेख हसीना के शासन में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ने तरक्की की...भारत ने भी बड़ा निवेश किया. लेकिन अब देश के मौजूदा हालात का असर वहां जारी परियोजनाओं पर भी पड़ने की आशंका है. एक चुनौती ये भी है कि भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर से अवैध घुसपैठिए भी भारत आ सकते हैं.बांग्लादेश में जो अराजकता है. उसके बीच पड़ोसी मुल्क से सटी सीमा की सुरक्षा भी बड़ी चुनौती है.

घुसपैठ को रोकना बड़ी चुनौती
बांग्लादेशियों को अवैध रूप से अपनी सीमा में घुसने से रोकना भारत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.दरअसल, भारत-बांग्लादेश के बीच करीब 4100  किलोमीटर लंबा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है. जोकि दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा बॉर्डर है. ये  भारत के पांच राज्यों बंगाल, असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा से जुड़ा हुआ है. मैदान, जंगल, नदी और पहाड़ों  वाले इस बॉर्डर के दोनों तरफ बड़ी आबादी रहती है. वैसे भारत ने बांगलादेश बार्डर पर चौकसी बढ़ा दी है...खुद बीएसएफ प्रमुख दलजीत सिंह चौधरी ने अधिकारियों के साथ इलाके का जायज़ा लिया है.

मौजूदा हालत में बड़ी संख्या में बांग्लादेश से पलायन हो सकता है. वजह साफ है..वहां जो अस्थिरता फैली हुई, उसका नतीजा कुछ भी हो सकता है. जाहिर है शरणार्थियों के आने से भारत में सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है और भारत पर शरणार्थियों का बोझ भी बढ़ सकता है.

भारत के सामने व्यापार की चुनौती
पड़ोसी मुल्क में हालात जितनी जल्दी बेहतर हों वो भारत के लिए भी अच्छा है ...क्योंकि चुनौतियां भारत की भी बढ़ रही हैं. मिसाल के तौर पर एक चैलेंज कारोबार को लेकर भी है...आखिर दोनों देशों के बीच जारी व्यापार पर इसका क्या असर पड़ सकता है? दरअसल अच्छे रिश्ते होने की वजह से पिछले कुछ सालों में कई बड़ी भारतीय कंपनियों ने बांग्लादेश में खूब निवेश किया है. भारत बांग्लादेश में बिजली, कृषि और ओद्योगिक उपकरणों के अलावा पेट्रोलियम उत्पाद का निर्यात करता है.... बांग्लादेश और भारत के बीच करीब 12.9 अरब डॉलर का कारोबार होता है.... वित्त वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश 11 अरब डॉलर के साथ भारत का 8वां बड़ा निर्यात साझेदार रहा है.

सुरक्षा को देखते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है ...जिसके बाद बहुत से बांग्लादेशी नागरिक जो भारत में..कारोबार या मेडिकल कारणों से आए थे ...वो वापस जाने की कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि हालात जल्द सामान्य हों.  अगले कुछ घंटे और दिन बांग्लादेश के लिए बहुत अहम होने वाले हैं. इनमें न सिर्फ़ बांग्लादेश का भविष्य तय होगा बल्कि भारत के साथ उसके रिश्तों कैसे होंगे ये भी पता चलेगा. 

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