भारतीय छात्रों पर निर्वासन की तलवार लटकी, कनाडा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

नई नीतियों का उद्देश्य स्थायी निवास नॉमिनेशन की तादाद 25 प्रतिशत कम करना और स्टडी परमिट को सीमित करना है.

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कनाडा सरकार की इमिग्रेशन को लेकर नई नीति के विरोध में भारतीय छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली:

सैकड़ों भारतीय छात्रों ने कनाडा में नई फेडरल पॉलिसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. इससे उन पर कनाडा से निर्वासित किए जाने का खतरा मंडराने लगा है. कई अंतरराष्ट्रीय छात्र, खास तौर पर भारत के छात्र, बेहतर भविष्य की उम्मीद में उत्तरी अमेरिका के देश कनाडा जाने का सपना देखते हैं, लेकिन वहां इमिग्रेशन की पॉलिसी में बदलाव से 70,000 से अधिक ग्रेजुएट छात्रों का भविष्य अनिश्चितता की दिशा में चला गया है.

कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड प्राविंस में भारतीय छात्र अचानक किए गए नीति में बदलाव के विरोध में तीन महीने से अधिक समय से लेजिस्लेटिव असेंबली के सामने डेरा डाले हैं. ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया प्राविंस में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

नई नीतियों का उद्देश्य स्थायी निवास के लिए नॉमिनेशन की तादाद 25 प्रतिशत तक कम करना और साथ ही स्टडी परमिट को सीमित करना है.

यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब पिछले कुछ सालों में कनाडा में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. फेडरल डेटा के अनुसार, कनाडा में पिछले साल हुई जनसंख्या वृद्धि में से करीब 97 प्रतिशत बढ़ोतरी इमिग्रेशन के कारण हुई.

छात्रों के एडवोकेसी ग्रुप नौजवान सपोर्ट नेटवर्क के प्रतिनिधियों ने कहा है कि इस साल के अंत में जब उनके वर्क परमिट समाप्त हो जाएंगे, तो ग्रेजुएटों को निर्वासित किए जाने का खतरा है.

निर्वासन का सामना कर रहे एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय छात्र महकदीप सिंह कहते हैं, "मैंने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण छह साल कनाडा आने के लिए कई जोखिम उठाते हुए बिताए."

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सिंह ने कहा, "पिछले छह सालों में मैंने पढ़ाई की, काम किया, टैक्स चुकाया, मैंने पर्याप्त सीआरएस (व्यापक रैंकिंग सिस्टम) अंक अर्जित किए, लेकिन सरकार ने हमारा फ़ायदा उठाया है." कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों की तरह सिंह ने अपने परिवार की जीवन भर की बचत कॉलेज की ट्यूशन फीस पर खर्च कर दी थी, ताकि अंततः स्थायी निवास मिल सके.

स्थानीय आवास और नौकरियों के संकट के बीच प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर अस्थायी निवासियों की संख्या को कम करने का दबाव है, जिसमें हाल के वर्षों में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है. अगले साल होने वाले चुनाव से पहले ट्रूडो सर्वेक्षणों में पीछे चल रहे हैं.

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कनाडा सरकार अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या भी कम कर रही है. इससे 2022 में लिया गया कार्यक्रम का विस्तार करने का उसका फैसला पलट गया है. इस कार्यक्रम के तहत अप्रवासियों को देश में अल्पकालिक आधार पर काम करने की इजजात मिलती है. इसका उद्देश्य मानव बल की कमी को पूरा करना है.

रोजगार और सामाजिक विकास कनाडा (ESDC) के अनुसार, 2023 में 183,820 अस्थायी विदेशी कर्मचारी परमिट दिए गए, जो 2019 से 88 प्रतिशत अधिक हैं. ईएसडीसी ने सोमवार को नियोक्ताओं की आलोचना की कि वे "कनाडा में प्रतिभाशाली श्रमिकों को काम पर रखने से बचने" के लिए कार्यक्रम का उपयोग कर रहे हैं.

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