भारतीय छात्र ने हिंदू पहचान के कारण लंदन की टॉप यूनिवर्सिटी में निशाना बनाने का दावा किया

छात्र का दावा है कि उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए अभियान चलाया गया और उसे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के छात्र संघ चुनावों के लिए अयोग्य करार दे दिया गया

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करण कटारिया वकील हैं और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री कर रहे हैं.
लंदन:

भारत के एक छात्र ने दावा किया है कि भारतीय और हिंदू पहचान के चलते उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर चलाए गए एक अभियान के परिणामस्वरूप लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) छात्र संघ चुनावों के लिए उसे अयोग्य करार दे दिया गया. हरियाणा निवासी छात्र करण कटारिया लंदन के इस विश्वविद्यालय में कानून में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहा है.

कटारिया ने कहा कि वह अन्य छात्रों के समर्थन से एलएसई छात्र संघ चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित हुआ. हालांकि, उसे पिछले हफ्ते अयोग्य करार दे दिया गया. उसका मानना है कि उसके खिलाफ लगाये गए आरोप बेबुनियाद हैं और उसे अपना पक्ष पूरी तरह से रखने का मौका नहीं दिया गया.

उसने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से कुछ लोग एक भारतीय-हिंदू को एलएसई छात्र संघ का नेतृत्व करते नहीं देखना चाहते थे और मेरे चरित्र तथा पहचान को दागदार करने की कोशिश की....''

कटारिया (22) ने कहा, ‘‘जब मैंने एलएसई में अपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू की थी, तब मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं छात्र कल्याण के लिए अपने जुनून को पूरा करूंगा. लेकिन मेरे सपने उस वक्त बिखर गए, जब भारतीय और हिंदू पहचान के चलते मेरी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझ कर तैयार किया गया एक अभियान शुरू किया गया.''

कटारिया एक मध्यवर्गीय कृषक पृष्ठभूमि से है और खुद को अपने परिवार में विश्वविद्यालय स्नातक की पहली पीढ़ी बताता है. एलएसई लॉ स्कूल से स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए पिछले साल लंदन आने के शीघ्र बाद उसे अपने समकक्ष छात्रों का अकादमिक प्रतिनिधि चुना गया. साथ ही, उसे ब्रिटेन के नेशनल यूनियन फॉर स्टूडेंट्स के लिए प्रतिनिधि भी चुना गया.

उसने कहा, ‘‘सभी राष्ट्रीयता वाले छात्रों से अपार समर्थन मिलने के बावजूद, मुझे एलएसई छात्र संघ के महासचिव चुनाव के लिए अयोग्य करार दे दिया गया. मुझ पर होमोफोबिक (समलैंगिक लोगों को नापसंद करने वाला), इस्लामोफोबिक (इस्लाम के प्रति बैर रखने वाला) और हिंदू राष्ट्रवादी होने के आरोप लगाए गए.''

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भारतीय छात्र ने कहा, ‘‘...नफरत भरे अभियान शुरू करने वालों की पहचान करने या दंडित करने के बजाय एलएसई छात्र संघ ने मेरा पक्ष सुने बगैर या मुझे मिले वोट का खुलासा किए बगैर मुझे अयोग्य करार दे दिया.''

कटारिया ने कहा, ‘‘यहां तक कि मतदान के आखिरी दिन, भारतीय छात्रों को डराया-धमकाया गया और उनकी राष्ट्रीयता एवं हिंदू धार्मिक पहचान को लेकर उन्हें निशाना बनाया. छात्रों ने यह मुद्दा उठाया, लेकिन एलएसई छात्र संघ ने धौंस देने वाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.''

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इस बीच, एलएसई छात्र संघ ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से संचालित होता है तथा किसी भी तरह के उत्पीड़न को कतई बर्दाश्त नहीं करने का उसका कड़ा रुख है.

बयान में कहा गया है, ‘‘दुर्भाग्य से इस साल चुनाव नियमों का एक उम्मीदवार ने उल्लंघन किया, जिसके परिणामस्वरूप एलएसई छात्र संघ को इस साल महासचिव पद के लिए नेतृत्व की दौड़ से उसे अयोग्य करार देने का कठिन फैसला लेना पड़ा.''

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