US में भारतीय पर लगा Covid-19 सहायता में करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने का आरोप, 20 साल की हो सकती है कैद

अभिषेक कृष्णन को वायर फ्रॉड के दो मामलों, मनी लॉन्डरिंग के दो मामलों और पहचान चुराने के दो मामलों का आरोपी बनाया गया है.

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Covid-19 फ्रॉ़ड स्कीम का हिस्सा बनकर कृष्णन ने कथित तौर पर एक दूसरे व्यक्ति के नाम का भी प्रयोग किया

एक भारतीय नागरिक पर अमेरिका (US) में कोविड-19 (Covid-19) के दौरान मिलने वाली वित्तीय मदद में 8 मिलियन डॉलर का फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगे हैं.  दोषी साबित होने पर इस व्यक्ति को 20 साल जेल में डाला जा सकता है. करीब 40 साल के अभिषेक कृष्णन भारत लौटने से पहले अमेरिका में नॉर्थ कैरोलीना में रहते थे. न्यूजर्सी के नेवार्क में फेडरल ग्रांड ज्यूरी ने बताया कि उसने कोरोनावायरस सहायता के लिए आर्थिक सुरक्षा कानून के अंतर्गत, छोटे व्यापार के लिए मिलने वाली लोन गारंटी, पेचेक प्रोटेक्श प्रोग्राम के तहत फर्जीवड़े से लाखों डॉलर कमाए.  

कृष्णन को वायर फ्रॉड के दो मामलों, मनी लॉन्डरिंग के दो मामलों और पहचान चुराने के दो मामलों का आरोपी बनाया गया है. उसे हर मामले में अधिकतम 20 साल की सजा हो सकती है और अगर उसे पहचान चुराने का आरोपी साबित किया गया तो उसे कम से कम 2 साल जेल में निश्चित तौर पर गुजारने होंगे.  

अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, भारत से लौटने के बाद कृष्णन ने कथित तौर पर कई पीपीपी लोन एप्लीकेशन फर्जी तरीके से दीं. यह एप्लीकेशन गैरपंजीकृत व्यापारों की ओर से भी दी गईं थीं.  

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इनमें कथित तौर पर कंपनियों, कर्मचारियों और पेरोल खर्चे का झूठा ब्यौरा था. साथ ही झूठी टैक्स फाइलिंग का भी ब्यौरा था.  इस फ्रॉ़ड स्कीम का हिस्सा बनकर कृष्णन ने कथित तौर पर एक दूसरे व्यक्ति के नाम का भी प्रयोग किया, जिसकी उसने अनुमति भी नहीं ली थी. उसने कथित तौर पर 17 लोन एप्लीशन दायर कीं, जिनमें उसे 8.2 million डॉलर का लोन मांगा और उसे 3.3 million डॉलर कर्ज के तौर पर प्राप्त हुए.  

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फंड मिलने के बाद कृष्णन ने इस पैसे की मनी लॉन्डरिंग की.  उस पर अमेरिकी सरकार से कोविड महामारी के दौरान गलत तरह से बेरोज़गारी भत्ता लेने का भी आरोप है.  

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