- अमेरिका ने 14 देशों पर नए टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिसमें भारत का नाम नहीं है. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ व्यापार समझौता करने के करीब है.
- भारत और अमेरिका के व्यापार वार्ताकार व्यापार डील पर जोर दे रहे हैं, लेकिन कृषि और डेयरी जैसे मोर्चे पर दोनों देशों के बीच असहमति बनी हुई है.
- भारत कृषि और डेयरी उत्पादों पर रियायत देने के लिए सहमत नहीं है. भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 16% है, जो आधी जनसंख्या का भरण-पोषण करता है.
- अमेरिका ने बांग्लादेश, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया और जापान समेत 14 देशों को टैरिफ लेटर भेजा है.
अमेरिका ने 14 देशों पर नए टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है और भारत का नाम उन 14 देशों में नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (अमेरिकी समयानुसार) को इसकी वजह भी बताई और कहा कि वाशिंगटन भारत के साथ व्यापार समझौता करने के करीब है. वाशिंगटन और नई दिल्ली के व्यापार वार्ताकार टैरिफ कम करने वाले व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन डेयरी और कृषि क्षेत्रों पर असहमति के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही है.
अमेरिका राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में कहा, "हमने यूनाइटेड किंगडम के साथ एक डील किया है, हमने चीन के साथ एक डील किया है - हम भारत के साथ एक डील करने के करीब हैं... हम जिन अन्य देशों से मिले और हमें लगा कि हम उनके साथ डील नहीं कर पाएंगे. इसलिए हमने सिर्फ उन्हें लेटर भेजा है."
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दोनों पक्ष कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं. किसी व्यापार समझौते पर पहुंचने के बीच में सबसे बड़ा रोड़ा माना जा रहा कि अमेरिका भारत के अंदर अपने डेयरी और कृषि उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ पर रियायत मांग रहा है और इस मुद्दे पर भारत असहमत है. ग्रामीण आजीविका और खाद्य सुरक्षा पर भारत की चिंताओं के कारण इन दोनों क्षेत्रों को प्रस्तावित डील के दायरे से बाहर रखे जाने की भी संभावना है.
भारत की 3.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान केवल 16% है, लेकिन वे देश की 140 करोड़ की आबादी के लगभग आधे हिस्से का भरण-पोषण करते हैं. यानी देश की लगभग आधी जनता अपनी कमाई के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है. अमेरिका से सस्ते आयात की संभावना से स्थानीय कीमतों में गिरावट का खतरा है, जिससे विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक नया मौका मिल गया है।
नई दिल्ली ने परंपरागत रूप से कृषि को अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों से बाहर रखा है. अमेरिका को बाज़ार पहुंच प्रदान करने से भारत को अन्य व्यापारिक साझेदारों को समान रियायतें देने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.