भारत ने UN में दिया अमेरिका और इजरायल को झटका, आजाद फिलिस्तीन की मांग का किया समर्थन

Israel-Palestine War: भारत इजरायल और फिलिस्तीन विवाद के हल के लिए हमेशा से दो राष्ट्र समाधान की वकालत करता रहा है. उस बात को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर दोहराया गया है. इस बार भारत ने कहा कि हम दो राष्ट्र समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि फिलिस्तीनी अपनी सुरक्षित सीमा के भीतर एक स्वतंत्र देश में रह सकें.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
UN में भारत ने हमास से इजरायली बंधकों को रिहा करके शांति का रास्ता चुनने को कहा है.
न्यूयॉर्क:

इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच 7 अक्टूबर 2023 से जंग चल रही है. भारत ने कई मौकों पर कहा है कि इजरायल-हमास को बातचीत से मामले को सुलझाना चाहिए. जंग किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता. इस बीच भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में इजरायल और फिलिस्तीन के लिए दो राज्य को लेकर फिलिस्तीन के प्रयासों का समर्थन किया. भारत ने फिलिस्तीन के लिए संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण सदस्यता की वकालत की है. इसके साथ भारत ने उम्मीद जताई है कि संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाए जाने के फिलिस्तीन के जिस आवेदन के खिलाफ अमेरिका ने पिछले महीने वीटो का इस्तेमाल किया था, उस पर पुनर्विचार किया जाएगा. इससे वैश्विक संगठन का सदस्य बनने की उसकी कोशिश को समर्थन मिलेगा. 

संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, "भारत दो राज्य समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है. फिलिस्तीनी लोग इजरायल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमा के भीतर एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र रूप से रहने में सक्षम हैं." कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के आवेदन पर पुनर्विचार करने की बात कही. भारत के इस कदम को अमेरिका और इजरायल के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिका फिलिस्तीनी राज्य को खतरे के रूप में देखते हैं.

"जो बाइडेन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक" : कॉलेजों में फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन पर अमेरिका

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ऐसे द्विराष्ट्र समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां फिलिस्तीनी लोग इजराइल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमाओं के भीतर एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र रूप से रह सकें.''

Advertisement

UN के प्रस्ताव पर 18 अप्रैल को हुई थी वोटिंग
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता हासिल करने के फिलिस्तीन के प्रयासों को लेकर UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) के प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने 18 अप्रैल को वीटो का इस्तेमाल किया था. UNSC ने मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया था, जिसके पक्ष में 12 वोट पड़े थे. जबकि स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन मतदान से दूर रहे थे. 

Advertisement

इज़रायल ने राफ़ा हमले से पहले बंधक समझौते को दिया "आखिरी मौका" : रिपोर्ट

दो राष्ट्र समाधान के बिल्कुल खिलाफ है इजरायल
गौर करने वाली बात ये है कि इजरायल दो राष्ट्र समाधान के बिल्कुल खिलाफ रहा है. ऐसे में भारत का ये बयान इजरायल को नागवार गुजर सकता है. हालांकि, भारत ने इजरायल के खिलाफ कोई बात नहीं की है. उसने वही कहा है, जो वो दशकों से कहता आया है. बेशक हाल के वर्षों में भारत के इजरायल के साथ संपर्क गहरे हुए हैं. दोनों देश तकनीकी, रक्षा, कृषि से लेकर आतंकवाद के मुद्दे तक काफी सहयोग कर रहे हैं. इजरायल के साथ एक रणनीतिक संबंध की दिशा में आगे बढ़ने के बावजूद भारत फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपने पुराने रुख से डिगा नहीं है. जब कई पश्चिमी देशों में UNRWA का फंड रोक दिया, तब भी भारत ने ऐसा नहीं किया.

Advertisement
सवाल है कि एक दो राष्ट्र समाधान की बात इजरायल ने खारिज कर दी, तो दूसरा विकल्प क्या हो सकता है? क्योंकि इजरायल कभी ये भी नहीं चाहेगा कि फिलिस्तीन इजरायल देश का हिस्सा बना रहे. इजरायल की स्थापना ही यहूदियों के लिए हुई है. कहने का मतलब एक राष्ट्र के तौर पर भी वह फिलिस्तीनियों को साथ नहीं रखेगा. ऐसे में गाजा और वेस्ट बैंक में रहने वाले लाखों फिलिस्तीनी कहां जाएंगे?

हार्वर्ड तक पहुंचा इजरायल विरोधी प्रदर्शन, यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनकारियों ने फहराया फिलस्तीनी झंडा, जानें 10 बातें

अमेरिका अपनाता रहा है दोहरा रवैया
ये एक व्यवहारिक सवाल है. न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका भी दो राष्ट्र समाधान की बात करता रहा है. लेकिन अमेरिका का दोहरा रवैया तब सामने आ गया, जब उनसे फिलिस्तीन की एक देश के तौर पर पूर्ण सदस्यता के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया. 193 सदस्यों वाले यूएन में फिलिस्तीन का दर्जा अभी गैर सदस्य पर्यवेक्षक देश यानी ऑब्ज़र्वर देश का है. 2011 में फिलिस्तीन ने पूर्ण सदस्य के तौर पर मान्यता का आवेदन दिया था. लेकिन प्रस्ताव पास नहीं हो पाया. हालांकि, नवबंर 2012 में उसे गैर- सदस्य ऑब्ज़र्वर देश का दर्जा मिल गया. फिलिस्तीन की लगातार कोशिश रही है कि उसे यूएन की पूर्ण सदस्यता मिले. अब भारत उसके प्रबल सर्मथक के तौर पर सामने आया है.

Advertisement

शर्त या बिना शर्त... हमास को खत्म करने के लिए रफाह शहर में होंगे दाखिल : इजरायल के PM नेतन्याहू

गाजा में नागरिकों की मौत पर जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने जहां फिलिस्तीनियों के स्वतंत्र राष्ट्र के हक की बात की है. वहीं, गाज़ा में बद से बदतर होते हालात पर चिंता जाहिर की है. भारत ने गाजा में अंतराष्ट्रीय कानून के पालन पर जोर दिया है. भारत ने सीजफायर को लेकर पिछले महीने सुरक्षा परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव का स्वागत किया. उसने कहा कि आतंकवाद किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं है. गाजा की मौजूदा हालत पर चिंता जाहिर करते हुए भारत ने बड़ी मात्रा में मानवीय मदद पर ज़ोर दिया.

इजरायल-गाजा युद्ध से अमेरिका में अशांति, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में आधी रात पहुंची पुलिस; छात्रों को खदेड़ा

Featured Video Of The Day
Muslim Country कुवैत कैसे इतना अमीर बन गया?