- मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन में S-400, SU-57 और S-500 जैसे बड़े रक्षा सौदों पर सहमति की मजबूत संभावना.
- रूस की टेक ट्रांसफर और संयुक्त उत्पादन से भारत की रक्षा क्षमता और आत्मनिर्भरता को बड़ा बूस्ट मिलेगा.
- ऊर्जा, व्यापार और न्यूक्लियर सहयोग पर 10-15 समझौतों से सस्ता तेल, डिजिटल पेमेंट और निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का 4-5 दिसंबर को भारत आना एक बड़ा मौका है. 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर कई समझौते हो सकते हैं. ये डील्स भारत की रक्षा ताकत को और मजबूत करेंगी, वो भी ऐसे वक्त में जब अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार को लेकर सख्तियां बढ़ाई हैं.
भारत-रूस रिश्ते 1947 से अटूट हैं, लेकिन पुतिन युक्रेन युद्ध (2022) के बाद पहली बार भारत आ रहे हैं. 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी-पुतिन की विस्तृत बातचीत होगी. कजान ब्रिक्स समिट में मोदी को मिले रूस के सर्वोच्च सम्मान ने माहौल को और गरम कर दिया है. 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर कई समझौते हो सकते हैं.
डिफेंस में कौन-कौन से समझौते होते दिख रहे हैं?
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के पांच अरब डॉलर का सौदा पहले ही हो चुका है. इसकी 3 रेजिमेंट मिल चुकी हैं, अन्य दो अगले साल तक मिलने की संभावा है लेकिन अब अतिरिक्त S-400 खरीदने की बात भी चल रही है. ये सिस्टम इसी साल पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में अपना कमाल दिखा चुके हैं.
फिलहाल SU-57 स्टील्थ फाइटर जेट का प्रस्ताव है. ये पांचवीं पीढ़ी के जेट हैं, जो जानकारों के मुताबिक राफेल से भी आगे हैं. रूस इसकी 70% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर देने को तैयार है. बाद में भारत में ही इनका प्रोडक्शन भी हो सकता है. यानी हम रक्षा पर विदेशी निर्भरता को कुछ कम करेंगे क्योंकि टेक ट्रांसफर से स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा. कुल मिलाकर, ये डील्स आत्मनिर्भर भारत को बूस्ट देंगी.
इसके अलावा S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर संयुक्त उत्पादन की चर्चा भी है. ये अगली पीढ़ी का सिस्टम है, जो हाइपरसोनिक मिसाइल्स को भी मार गिरा सकता है. नौसेना के लिए मिसाइल सिस्टम और दूसरे उपकरण भी लिस्ट में हैं. बता दें कि भारत की रक्षा क्षेत्र का करीब 70% सामान रूस से आता है. S-400 की नई यूनिट्स आने से सीमा पर एयर डिफेंस और मजबूत हो जाएगा. हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा था कि कैसे S-400 एयर डिफेंस सिस्टम गेम-चेंजर साबित हुए थे, लिहाजा पाकिस्तान और चीन के थ्रेट्स के खिलाफ ये हमारी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को और ताकतवर बनाएगा.
अमेरिका के आंखे तरेरने के बावजूद ऊर्जा क्षेत्र पर फोकस
अमेरिका की टैरिफ धमकियों के बावजूद ऊर्जा के मामले में रूस भारत को सबसे सस्ता कच्चा तेल दे रहा है. 2025 में रिकॉर्ड खरीदारी हुई. सम्मेलन में 100 अरब डॉलर के व्यापार का टारगेट सेट होगा. इसके जरिए कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट के काम में तेजी लाने पर फोकस होगा. यह सौदा न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि वैश्विक कीमतों पर भी असर डालेगा. वहीं ट्रंप प्रशासन के दबाव के बीच यह भारत की विदेश नीति की मिसाल बनेगा. साथ ही भारत रूस के साथ आर्कटिक प्रोजेक्ट्स में निवेश करेगा, जो गैस और खनिज संसाधनों तक पहुंच दिलाएगा. यह दौरा वैश्विक सप्लाई चेन में दोनों को मजबूत बनाएगा.
रूस से उन्नत उर्वरकों की सप्लाई भी बढ़ेगी, जो किसानों के लिए अच्छी खबर है. दोनों देशों के बीच व्यापार में अब डिजिटल पेमेंट सिस्टम जोड़ना है, ताकि डॉलर पर निर्भरता कम हो. साथ ही आर्कटिक क्षेत्र में गैस और खनिज की परियोजनाओं में निवेश पर भी बात चलेगी. माना जा रहा है दोनों देशों के बीच कुल 10-15 नए समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं.
पुतिन का दौरा केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि बहुपक्षीय भू-राजनीति के लिहाज से अहम है. भारत रूस के साथ मजबूत गठजोड़ कर के अमेरिकी टैरिफ दबावों को माकूल कूटनीतिक जवाब देना चाहेगा.














