भारत (India) और नेपाल (Nepal) ने उत्तराखंड में धारचूला को नेपाल के दार्चुला से जोड़ने वाली महाकाली नदी (Mahakali River) पर भारतीय अनुदान सहायता से पुल के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए. नेपाल का दार्चुला उसी कालापानी (Kalapani) के इलाके के पास है जिसे लेकर भारत और नेपाल में विवाद हो गया था. नेपाल ने 2020 में अपना नया विवादित मैप जारी किया था जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल की सीमा में दर्शाया गया था.
भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, नेपाल में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और नेपाल के भौतिक अवसंरचना और परिवहन मंत्रालय के सचिव रवींद्र नाथ श्रेष्ठ ने परिवहन मंत्री रेणु कुमारी यादव की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.
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परिवहन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत पुल के निर्माण की सभी लागत वहन करेगा और पुल के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की तैयारी पहले ही पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पुल का निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा.
बयान में कहा गया है, ‘‘यह समझौता वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान को सुव्यवस्थित करने के लिए सीमा पार से संपर्क का विस्तार करने के वास्ते दोनों सरकारों द्वारा साझा की गई प्राथमिकता के अनुरूप है.''
भारत सरकार ने जनवरी में पुल के निर्माण के लिए दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी थी.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि इस समझौता ज्ञापन पर जल्द ही हस्ताक्षर किये जायेंगे. उन्होंने कहा था कि इस पुल का निर्माण अगले तीन वर्ष में पूरा कर लिया जायेगा.
ठाकुर ने कहा था कि इससे उत्तराखंड के लोगों और नेपाल के क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा था कि इससे दोनों देशों में व्यापार, भाईचारे और रिश्तों को मजबूती मिलेगी.
भारतीय अधिकारियों के अनुसार 110 मीटर लंबा पुल उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर दूसरा मोटर पुल होगा.
इससे पहले पिछले साल भारत द्वारा उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क आठ मई, 2020 को खोले जाने के बाद द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हो गये थे.
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली ने वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह भारत से कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्रों को बातचीत के जरिए ‘‘वापस ले लेंगे.'' लिपुलेख दर्रा कालापानी के पास एक सुदूर पश्चिमी बिंदु है, जो नेपाल और भारत के बीच एक विवादित सीमा क्षेत्र है. भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र के अभिन्न अंग के रूप में दावा करते हैं. भारत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हिस्से के रूप में और नेपाल धारचूला जिले के हिस्से के रूप में इस पर दावा करता है.