भारत 7वीं बार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए चुना गया, आखिर 3 साल बाद क्यों लेना पड़ता है गैप?

India elected to UN Human Rights Council: भारत की बात करें तो 2006 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के गठन के बाद से वह लगातार इसका सदस्य रहा है, सिवाय 2011, 2018 और 2025 के.

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  • भारत को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 2026-28 के कार्यकाल के लिए सातवीं बार चुना गया है
  • भारत का तीन वर्ष का कार्यकाल एक जनवरी 2026 से शुरू होगा
  • भारत को लगातार तीसरे कार्यकाल की मनाही वाले नियम के कारण 2011, 2018 और 2025 में सदस्यता में अंतराल लेना पड़ा
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भारत को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 2026-28 के कार्यकाल के लिए चुना गया है और यह भारत का सातवां कार्यकाल होगा. UNHRC ने मंगलवार को हुए चुनाव के नतीजों की घोषणा करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि भारत का तीन वर्ष का कार्यकाल एक जनवरी, 2026 से शुरू होगा. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने समर्थन देने के लिए सभी प्रतिनिधिमंडलों का सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में आभार व्यक्त किया.
 उन्होंने कहा, ‘‘भारत आज सातवीं बार 2026-28 के कार्यकाल के लिए मानवाधिकार परिषद के लिए चुना गया है.'' राजनयिक ने कहा कि यह चुनाव मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में 47 सदस्य देश हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में समान भौगोलिक वितरण नियमों के तहत तीन साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है.

अगर भारत की बात करें तो 2006 में परिषद के गठन के बाद से वह लगातार इसका सदस्य रहा है, सिवाय 2011, 2018 और 2025 के. आपके मन में ख्याल आ रहा होगा कि इन तीन सालों में भारत इस परिषद का सदस्य क्यों नहीं रहा. दरअसल UNHRC के नियम लगातार तीसरे कार्यकाल पर रोक लगाते हैं और इसी वजह से भारत को बीच-बीच में एक-एक साल का गैप लेता है. भारत ने 2026-28 कार्यकाल के लिए चुनाव में उतरने से पहले इस साल (2025) में भी ऐसा ही गैप लिया था.

वर्ष 2006 में परिषद के पहले चुनाव में भारत को 190 में से 173 मत मिले थे और वह सबसे अधिक मतों से निर्वाचित हुआ था. तब से भारत छह बार 2006-2007, 2008-2010, 2012-2014, 2015-2017, 2019-2021 और 2022-2024 में इसका सदस्य रह चुका है. UNHRC ने कहा है कि अंगोला, चिली, इक्वाडोर, मिस्र, एस्टोनिया, इराक, इटली, मॉरीशस, पाकिस्तान, स्लोवेनिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और वियतनाम एक जनवरी 2026 से शुरू होने वाले कार्यकाल के लिए चुने गए अन्य सदस्य हैं.

परिषद की सीटें पांच क्षेत्रीय समूहों को आवंटित की जाती हैं: अफ्रीकी देशों को 13 सीटें; एशिया-प्रशांत देशों को 13 सीटें; पूर्वी यूरोपीय देशों को 6 सीटें; लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों को 8 सीटें; पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों को 7 सीटें.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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