राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (National Security Adviser Ajit Doval) और भारत आए चीन के विदेश मंत्री (chinese Foreign Minister Wang Yi) ने आज लद्दाख तनाव (Ladakh standoff) और यूक्रेन (Ukraine) विवाद के भूराजनैतिक परिणामों पर चर्चा की. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) की भी आज अपने चीनी समकक्ष वांग यी (Wang Yi) से मुलाकात हुई. वांग यी अजीत डोवाल के दफ्तर में बातचीत के लिए करीब 10 बजे पहुंचे. NDTV के सूत्रों के मुताबिक दोनों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बात हुई. कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा की गई जिसमें लद्दाख में बाकी बचे इलाकों में डिस्एंगेजमेंट (disengagement) पूरा करने और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य स्वरूप देने के लिए बाकी बचे काम खत्म करने पर जोर दिया गया.
सीमा विवाद वांग यी और श्री डोभाल के बीच अहम रहा, क्योंकि ये दोनों ही दोनों पक्षों की ओर से सीमा विवाद सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं
दोनों पक्षों ने यह माना कि मौजूदा स्तिथी आपसी हित में नहीं है. दोनों तरफ से शांति बहाली का समर्थन किया गया और कहा कि पारदर्शिता से आपसी विश्वास बढ़ेगा और संबंधों में प्रगति का माहौल बन पाएगा. चीन के प्रतिनिधिमंडल ने NSA अजीत डोवाल को चीन आने का भी निमंत्रण दिया. इसके जवाब में अजीत डोभाल ने सकारात्मक तरीके से कहा कि वो मौजूदा मुद्दा सफलतापूर्वक सुलझने के बाद ही वो चीन आ पाएंगे.
श्री डोवाल से मुलाकात के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मुलाकात की.
अघोषित दौरे पर भारत पहुंचे वांग यी
दोनों विदेश मंत्री आज सुबह करीब 11 बजे दिल्ली में मिले. लद्दाख (Ladakh) में भारत चीन के बीच LAC पर हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच यह चीन के किसी अधिकारी की पहली उच्च-स्तरीय भारत यात्रा है. चीन (China) के विदेश मंत्री वांग यी ( FM Wang Yi) एक अघोषित दौरे पर बीती रात भारत (India) पहुंचे. गलवान घाटी (Galwan ) की घटना के बाद बने तनाव के चलते बिगड़े संबंधों के दो साल बाद पहली बार किसी वरिष्ठ चीनी नेता की भारत यात्रा हो रही है.
वांग यी भारत पहुंचने से पहले पाकिस्तान और अफगानिस्तान की यात्रा पर गए थे और आज शाम को ही उनका नेपाल निकलने का कार्यक्रम है. पूर्वी लद्दाख में पिछले करीब दो साल से गतिरोध के कारण व्याप्त तनाव के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी उच्च स्तरीय यात्रा पर बृहस्पतिवार शाम भारत पहुंचे.
एस जयशंकर बाद में मीडिया को इस मुलाकात के बारे में जानकारी देंगे.
वांग यी, जो भारत आने से पहले पाकिस्तान और अफगानिस्तान की यात्रा पर थे, वो आज शाम नेपाल यात्रा पर निकलेंगे. चीन के विदेश मंत्री की इस यात्रा को दोनों पक्षों की ओर से गुप्त रखा गया था. दोनों पक्षों ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की थी. उनके भारत पहुंचने की केवल उनकी फ्लाइट के रास्ते को ट्रैक करके पुष्टि की जा सकी जिसने गुरुवार को अफगानिस्तान से उड़ान भरी थी. रॉयटर्स के मुताबिक वांग यी कमर्शियल एयरपोर्ट से बाहर निकले ना कि पास ही मौजूद डिफेंस फेसिलिटी से जहां अधिकतर विदेशी मेहमान उतरते हैं.
यह यात्रा लंबे समय तक बने गतिरोध के बाद आमने-सामने की बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए है. न्यूज़ एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने बताया है कि चीन के विदेश मंत्री इस साल के आखिर में बीजिंग में होने जा रहे BRICS सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता भी देंगे.
वांग की यात्रा से पहले भारत ने उनके पाकिस्तान में दिए गए भाषण में कश्मीर के "गैर ज़रूरी ज़िक्र" पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन की पाकिस्तान में हुई मीटिंग में वांग यी ने कहा था, "कश्मीर के मामले में हमने आज फिर कई इस्लामिक दोस्तों की अपील सुनीं. चीन भी वही उम्मीद करता है."
इसकी प्रतिक्रिया में भारत की तरफ से कहा गया था कि "जम्मू-कश्मीर से संबंधित मामले भारत के आंतरिक मुद्दे हैं" और चीन समेत किसी और देश को उस पर टिप्पणीं करने का अधिकार नहीं है.
भारत और चीन के बीच जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद संबंध बिगड़ गए थए जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे.
दोनों पक्षों को 14 दौर की सैन्य वार्ता के बाद अब भी सीमा विवाद सुलझने का समझौता होने का इंतजार है.
वांग ने काबुल से नयी दिल्ली के लिए उड़ान भरी और वह शुक्रवार सुबह विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल के साथ बातचीत करेंगे.
यह जानकारी मिली है कि चीनी विदेश मंत्री की बगैर पूर्व निर्धारित यात्रा का उद्देश्य यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनजर बने भू राजनीतिक हालात में चीन के एक बड़ी भूमिका निभाने से संबद्ध है. चीन ने यह भी संकेत दिया है कि आर्थिक प्रतिबंधों से निपटने के लिए वह रूस की सहायता करने को इच्छुक है.
वार्ता में, भारत के पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद से अपना ध्यान हटाने की संभावना नहीं है. भारत द्वारा गतिरोध वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने के लिए दबाव डाले जाने की भी उम्मीद है.
वांग और डोभाल के बीच बैठक में सीमा मुद्दे पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है, जो सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं.
दोनों पक्षों ने यात्रा को गुप्त रखा. फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या भारतीय पक्ष वांग के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की सुविधा प्रदान करेगा. वार्ता में यूक्रेन संकट एक अन्य प्रमुख मुद्दा होने की उम्मीद है.