पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को कहा कि देश में ‘‘जंगल कानून'' मौजूद है और नौ मई को कथित भ्रष्टाचार के लिए उनकी गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा, उनकी पार्टी को कुचलने के लिए शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार और सरकारी संस्थानों द्वारा ‘‘सुनियोजित साजिश'' थी. पाकिस्तान में नौ मई को भ्रष्टाचार के एक मामले में अर्द्धसैनिक बल पाक रेंजर्स की ओर से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद अभूतपूर्व राष्ट्रव्यापी सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए. 70 वर्षीय खान को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था.
दंगों के दौरान रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय सहित दर्जनों सैन्य प्रतिष्ठान और सरकारी इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं या आग लगा दी गईं. पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के 100 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. खान ने कई ट्वीट कर कहा, ‘‘नौ मई को (सरकार) नियंत्रित मीडिया और सरकारी संस्थानों के पूर्ण समर्थन के साथ एक सुनियोजित साजिश के तहत अभियान चलाया गया था जिसका केवल एक ही उद्देश्य था, पीटीआई को कुचलना.''
नौ मई की हिंसा के बाद सेना समर्थित पुलिस ने पीटीआई पर कार्रवाई शुरू की और महिलाओं सहित 10,000 पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. सेना अधिनियम के तहत मुकदमे के लिए 100 से अधिक लोगों को सेना को सौंप दिया गया है. पीटीआई का तर्क है कि उसके सदस्य हमलों में शामिल नहीं थे, लेकिन सरकार और सेना ने दावों को खारिज कर दिया और कहा कि उनके पास उनकी संलिप्तता के ‘‘पुख्ता सबूत'' हैं.
खान ने कहा, ‘‘पीटीआई को दबाने की बढ़ती हताश कोशिश के तहत यह शासन हर दिन नए निचले स्तर तक गिर रहा है और देश में जंगल कानून लागू होने के कारण कोई राहत नहीं दिख रही है.'' पूर्व प्रधानमंत्री सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों से संबंधित कई मामलों का भी सामना कर रहे हैं. फिलहाल उन पर आतंकवाद, हत्या और ईशनिंदा से जुड़े 150 से ज्यादा मामले हैं. कथित तौर पर वह अपने निजी आवास पर एक तरह से नजरबंद हैं. खान ने कहा कि सरकार और उसके आका (सैन्य प्रतिष्ठान) ‘‘आतंकवाद का शासन लागू करने के लिए'' पीटीआई कार्यकर्ताओं पर ‘‘सामूहिक दंड'' का खुलेआम इस्तेमाल कर रहे हैं.
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