कोरोनावायरस (Coronavirus Delta Variant) का डेल्टा वेरिएंट, जिसे पहली बार भारत में पहचाना गया था, वैश्विक चिंता का एक कारण है. अध्ययनों से पता चलता है कि यह COVID-19 के अन्य रूपों की तुलना में अधिक संक्रामक और टीकों के लिए प्रतिरोधी है. कई प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चलता है कि डेल्टा वेरिएंट में वायरस के अन्य प्रकारों की तुलना में टीकों के लिए मजबूत प्रतिरोध है. जून की शुरुआत में लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक ब्रिटिश अध्ययन ने डेल्टा, अल्फा (पहले ब्रिटेन में पहचाना गया) और बीटा (पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया) वेरिएंट के संपर्क में आने वाले लोगों में उत्पादित एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने के स्तर को देखा.
इसमें यह पाया गया कि फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन की दो खुराक लेने वाले लोगों में एंटीबॉडी का स्तर डेल्टा वेरिएंट की मौजूदगी में मूल COVID-19 वेरिएंट की उपस्थिति की तुलना में 6 गुना कम था, जिस पर टीका आधारित था. कोरोना के अल्फा और बीटा वेरिएंट ने भी कम प्रतिक्रियाएं दीं, अल्फा के लिए 2.6 गुना कम और बीटा के लिए 4.9 गुना कम एंटीबॉडी के साथ.
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पैश्चर इंस्टीट्यूट की फ्रेंच स्टडी इस नतीजे पर पहुंची कि फाइजर/बायोएनटेक टीके के साथ टीकाकरण द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी को निष्क्रिय करना अल्फा संस्करण की तुलना में डेल्टा संस्करण के खिलाफ तीन से छह गुना कम प्रभावी है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) द्वारा बीते सोमवार को प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, फाइजर/बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका के साथ टीकाकरण डेल्टा संस्करण के मामले में अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में उतना ही प्रभावी है, जितना कि अल्फा संस्करण के मामले में.
14,000 लोगों के अध्ययन में यह बात भी सामने आई कि फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन की दो खुराक डेल्टा से ग्रसित होने पर अस्पताल में भर्ती होने की संभावनाओं को 96 फीसदी कम करती है. इस मामले में एस्ट्राजेनेका 92 फीसदी प्रभावी है. मई के अंत में ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जारी किए गए पिछले आंकड़े बीमारी के कम गंभीर रूपों के लिए समान नतीजे दिखाते हैं.
ब्रिटेन में कोरोना के नए मामलों में 96 फीसदी केस के लिए डेल्टा वेरिएंट ही जिम्मेदार है. इन मामलों को देखते हुए सरकार ने सोमवार को तय किया कि 40 साल से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन की डोज के अंतराल को 12 हफ्तों से कम कर 8 हफ्ते किया जाएगा. फ्रांस में भी फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए अंतराल को पांच हफ्तों से कम कर तीन हफ्ते किया गया है.
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