बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए 'खूनी दिसंबर'... 13 दिन, 3 कत्ल और जलती इंसानियत

पहले दीपू चंद्र दास, फिर अमृत मंडल और अब बजेंद्र बिस्वास... बांग्लादेश में हिंदू निशाने पर हैं. 13 दिन के अंदर ये 3 हत्याएं पड़ोसी देश की हकीकत बताती हैं.

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  • बांग्लादेश में पिछले 13 दिनों में 3 हिंदुओं की हत्याओं ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं
  • पहले दीपू चंद्र दास, फिर अमृत मंडल और अब बजेंद्र बिस्वास... बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू निशाने पर हैं
  • एक रिपोर्ट बताती है कि 11 महीनों में 32 जिलों में ईशनिंदा से जुड़े हमलों की कम से कम 73 घटनाएं हो चुकी हैं
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पहले दीपू चंद्र दास, फिर अमृत मंडल और अब बजेंद्र बिस्वास... बांग्लादेश में हिंदू निशाने पर हैं. 13 दिन के अंदर ये 3 हत्याएं पड़ोसी देश की हकीकत बताती हैं. वैसे तो बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लंबे समय से हो रहे अत्याचारों की लंबी लिस्ट है, लेकिन दिसंबर का यह महीना वहां हिंदुओं के लिए किसी कयामत से कम नहीं रहा. दीपू चंद्र दास की बर्बरतापूर्ण हत्या से शुरू हुआ यह सिलसिला अब बजेंद्र बिस्वास तक पहुंच गया है.

हादी की हत्या की नफरत में हदें पार

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन और मोहम्मद यूनुस की अगुआई में अंतरिम सरकार बनने के बाद से अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं. नफरत की इस आग में घी का काम किया, इंकलाब मंच के कट्टरपंथी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी के साथ हुई घटना ने. हादी को 12 दिसंबर को ढाका में बाइक सवार दो हमलावरों ने गोली मार दी थी. 18 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान हादी ने दम तोड़ दिया. इसके बाद से बांग्लादेश नफरत की आग में धधक रहा है. 

दीपू चंद्र दास: पीट-पीटकर मारा, फिर जलाया

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हाल के समय में पहली और सबसे वीभत्स वारदात मयमनसिंह जिले में हुई. 27 साल के दीपू चंद्र दास जिले के भालुका में एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करते थे. उन्हें ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाकर भीड़ ने निशाना बनाया. अफवाह उड़ाई गई कि दीपू ने आपत्तिजनक टिप्पणी की है. इसके बाद रात करीब 9 बजे सैकड़ों लोगों की भीड़ ने दीपू को दबोच लिया. बेरहमी से पीटा. इतना पीटा की उनकी जान ही चली गई. भीड़ इतने पर भी नहीं रुकी. दीपू को बीच रास्ते पर एक पेड़ से बांध दिया गया और जला दिया गया.

कट्टरपंथ की हदें पार करने वाली इस घटना की दुनिया के कोने-कोने में निंदा हो रही है. इस घटना ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्मों के जख्म फिर से हरे कर दिए. दीपू पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया गया था, ये बाद अधिकारियों ने बाद में स्वीकार भी की और कहा कि इसका कोई सबूत नहीं मिला है. महज एक अफवाह उड़ाकर एक बेगुनाह की जान ले ली गई. 

पुलिस अमृत मंडल के आपराधिक इतिहास का हवाला देकर मामले को कुछ और बता रही है. पुलिस का कहना था कि वह सम्राट वाहिनी का नेता था और रंगदारी वसूलने के लिए गया था. उसके खिलाफ छोटे-मोटे अपराधों के कुछ केस भी दर्ज थे. हालांकि स्थानीय हिंदुओं का मानना है कि अमृत को सोची-समझी साजिश के तहत भीड़ के हवाले किया गया था.

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अंसार मेंबर बजेंद्र बिस्वास: मुस्लिम साथी ने ही दागी गोली 

तीसरी अब उसी मयमनसिंह जिले में हुई है, जहां दीपू सिंह की लिंचिंग की गई थी. जिले के भालुका में सोमवार की शाम 40 वर्षीय बजेंद्र बिस्वास की हत्या उसके ही मुस्लिम सहकर्मी नोमान मियां ने कर दी. बिस्वास बांग्लादेश के ग्रामीण अर्धसैनिक बल अंसार के सदस्य थे और एक फैक्ट्री में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात थे.

सुल्ताना स्वेटर्स फैक्ट्री में बिस्वास समेत 20 अंसार सदस्यों की तैनाती की गई थी. बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स बताती हैं कि बिस्वास और नोमान आसपास बैठे थे, उसी दौरान नोमान ने बिस्वास की तरफ बंदूक तानकर कहा कि मैं गोली मार दूंगा और उसने ट्रिगर दबा दिया. गोली जांघ पर लगी, जिससे काफी खून बह जाने से बिस्वास की मौत हो गई. यह घटना दिखाती है कि पड़ोसी देश में कथित कट्टरपंथ की आग से अब सुरक्षा बल भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं. 

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ये भी देखें- बंदूक तानकर बोला- गोली मार दूंगा और दबा दिया ट्रिगर... बांग्लादेश में एक और हिंदू की हत्या

हिंदू परिवारों को घरों में बंद कर लगा दी आग

ये तो सिर्फ हिंदुओं की हत्याओं के मामले हैं. अल्पसंख्यक देश में जगह-जगह नफरत के शिकार हो रहे हैं. शनिवार को आधी रात के बाद पिरोजपुर जिले में उपद्रवियों ने हिंदुओं के 5-6 घरों को आग के हवाले कर दिया था. घटना उस वक्त हुई, जब परिवार के लोग अंदर सो रहे थे. इतना ही नहीं बाहर से दरवाजे भी बंद कर दिए ताकि लोग निकल न पाएं. परिवार के लोगों ने जैसे-तैसे निकलकर जान बचाई. 

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जुल्म का हथियार बना ईशनिंदा का आरोप

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को किस कदर निशाना बनाया जाता है, इसका अंदाजा ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज (HRCBM) की एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार अब हदें पार करते जा रहे हैं और इस जुल्म का हथियार बन रहा है ईशनिंदा का आरोप. यह एक सुनियोजित पैटर्न बन चुका है. पिछले 11 महीनों में ही देश के 32 जिलों में ईशनिंदा से जुड़ी कम से कम 73 घटनाएं हो चुकी हैं. इनमें से तमाम मामले पुलिस ने दर्ज तक नहीं किए. 

ये भी देखें- 11 महीने, 32 जिले, 73 केस... बांग्लादेश में ईशनिंदा कैसे बना हिंदुओं पर हिंसा का हथियार, रिपोर्ट रोंगटे खड़े कर देगी

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