अमेरिका ने रॉ के पूर्व सीनियर फील्ड अधिकारी विकास यादव पर खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या की नाकाम साजिश रचने का आरोप लगाया है. अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने कहा कि हम अमेरिकियों को निशाना बनाने, उन्हें खतरे में डालने या अपने नागरिकों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे. वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि अमेरिका ने जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया है, वो अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अमेरिका ने जिस शख्स पर आरोप लगाया है वो अब भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है.
अमेरिका ने पूर्व में कहा था कि भारत सरकार ने पन्नू की हत्या की साजिश के आरोपों से निपटने में गंभीरता दिखाई है.
भारतीय अधिकारियों की एक टीम ने हाल में वाशिंगटन में विदेश विभाग और न्याय विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. अमेरिका के आरोपों के बाद भारत ने साजिश के संबंध में अमेरिका द्वारा दी गई जानकारी की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति नियुक्त की.
आरोपी विकास यादव को 'एक भारतीय सरकारी कर्मचारी' बताते हुए अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने कहा, "न्याय विभाग ऐसे किसी भी व्यक्ति को जवाबदेह ठहराने की पूरी कोशिश करेगा जो अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने और चुप कराने की कोशिश करता है, चाहे वो किसी भी सत्ता के कितना भी करीब क्यों न हो."
यादव और उनके कथित सह-साजिशकर्ता निखिल गुप्ता के खिलाफ दायर आरोपों को गुरुवार को न्यूयॉर्क के संघीय दक्षिणी जिले की अदालत में उजागर किया गया.
आरोप एक ग्रैंड जूरी की तरफ से तय किए गए, जो नागरिकों का एक पैनल है. ये पैनल अभियोजन पक्ष द्वारा मामले की शुरुआती प्रेजेंटेशन के बाद ये फैसला लेता है कि पहली नजर में मामला बनता है या नहीं.
अभियोजन पक्ष की ओर से दायर आरोप-पत्र में ब्रिटिश कोलंबिया में कनाडा स्थित सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का संदर्भ दिया गया, जिसके कारण भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर गिरावट आई.
आरोप पत्र के मुताबिक यादव ने गुप्ता से कहा कि 'निज्जर भी टारगेट था' और 'हमारे कई टारगेट हैं', उसे निज्जर के शव का एक वीडियो भेजा.
ऐसा लगता कि अमेरिकी अधिकारियों ने यादव और गुप्ता के बीच इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट कर लिया था, या उस तक उनकी पहुंच थी, यहां तक कि एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर भी, क्योंकि अदालत के डॉक्यूमेंट्स में उनके विस्तृत उद्धरण शामिल हैं.
निखिल गुप्ता को अमेरिका के अनुरोध पर चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया. उसे जून में अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया और अदालत में पेश किया गया.
अदालत के दस्तावेजों में सैन्य वर्दी पहने यादव की एक तस्वीर भी शामिल है.
अभियोजकों द्वारा दायर 18-पेजों के डॉक्यूमेंट में किसी अन्य भारतीय अधिकारी का नाम नहीं है. न ही इसमें अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून का नाम है, जो कथित तौर पर कथित साजिश का लक्ष्य था.
इसमें केवल इतना कहा गया कि 'पीड़ित' 'एक वकील और राजनीतिक कार्यकर्ता है जो न्यूयॉर्क शहर में रहने वाला भारतीय मूल का अमेरिकी नागरिक है' और खालिस्तान की स्थापना के लिए 'पंजाब के अलगाव की वकालत करने वाले एक अमेरिकी-बेस्ड संगठन' का नेतृत्व करता है. इसमें कहा गया कि भारत सरकार ने 'पीड़ित' और उसके अलगाववादी संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया है.