अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की महिलाओं के लिए बनाए गए गर्भपात के 50 साल पुराने नियमों में बदलाव को मंजूरी दे दी है. अब महिलाओं के पास अपने मन से गर्भपात कराने का अधिकार नहीं होगा. कोर्ट ने ये अधिकार स्टेट को सौंपा है कि वो अपनी मर्जी से महिलाओं और युवतियों के इस अधिकार के संबंध में निर्णय ले सकता है. कोर्ट के इस फैसले के बाद विवाद शुरू हो गया है. मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोर्ट के फैसले की निंदा की है. हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रप ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि ये "भगवान का फैसला" है.
बहुत पहले दिया जाना चाहिए था
कोर्ट द्वारा 50 साल पुराने नियमों में बदलाव के फैसले के बाद ट्रम्प ने फॉक्स न्यूज को कहा कि अलग-अलग राज्यों को गर्भपात पर अपने नियम बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, " कोर्ट संविधान का पालन कर रहा है और वो अधिकार वापस दे रहा है जो उन्हें बहुत पहले दिया जाना चाहिए था."
तीन न्यायधिशों की बहाली हुई थी
वहीं, जब उनसे ये पूछा गया कि क्या कोर्ट के इस फैसले में उनकी कोई भूमिका है तो उन्होंने कहा कि ये "भगवान का फैसला" है. दरअसल, ट्रप के कार्यकाल के दौरान तीन न्यायधिशों की बहाली हुई थी, जिन्होंने उक्त मामले के निष्कर्ष तक पहुंचने में अहम भूमिका निभाई है. हालांकि, ये कहने के कुछ ही देर बाद ट्रंप ने फैसले का श्रेय लेने की कोशिश की. उन्होंने अपने बयान में कहा कि आज का फैसला जो इस पीढ़ी के लिए बहुत अहम है, इसलिए संभव हो पाया क्योंकि मैंने वो सारे वादे पूरे किए जो मैंने जनता से किए थे. इसमें तीन न्यायधीषों की नियुक्ति भी शामिल है. ये करना मेरे लिए सम्मान की बात है.
गौरतलब है कि ट्रम्प के चार साल के कार्यकाल में तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के संतुलन को उसके वर्तमान रूढ़िवादी बहुमत की ओर झुका दिया. उन नियुक्तियों में नील गोरसच, ब्रेट कवानुघ और एमी कोनी बैरेट थे, जिनमें से सभी ने शुक्रवार के बहुमत के फैसले पर हस्ताक्षर किए.
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