यूरोप में इस्‍लामिक स्‍टेट का सपना...अब जर्मनी ने बैन किया 'मुस्लिम इंटरएक्टिव' को 

समूह अक्‍सर जर्मन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करता है. संगठन ने हाल ही में 2024 में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसका नाम था, 'काफिरों की बात न मानें'.

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  • जर्मनी ने मुस्लिम इंटरएक्टिव समूह पर प्रतिबंध लगाया जो जर्मनी को खत्म कर खिलाफत स्थापित करना चाहता है.
  • यह संगठन जर्मनी के संवैधानिक लोकतंत्र को स्वीकार नहीं करता और शरिया कानून लागू करना चाहता है.
  • मुस्लिम इंटरएक्टिव 15 से 25 साल के जर्मनी में जन्मे मुसलमान युवाओं को सोशल मीडिया के जरिए आकर्षित करता है.
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बर्लिन:

जर्मनी ने बुधवार को एक बड़ा कदम उठाया और 'मुस्लिम इंटरएक्टिव' समूह पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस इस्लामी समूह ने जर्मनी को उखाड़ फेंकने और उसकी जगह खिलाफत स्थापित करने की अपील की है. मुस्लिम इंटरएक्टिव जर्मनी को एक संवैधानिक लोकतंत्र मानने से इनकार करता है. संगठन की ख्‍वाहिश देश में शरिया कानून लागू करने की है. जर्मनी की सुरक्षा एजेंसियों ने इसे एक आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है. 

2020 में हुई शुरुआत 

इस इस्लामिक संगठन की शुरुआत साल 2020 के आसपास हुई थी. इसे हिज्‍ब उत तहरीर (HuT) का ही हिस्‍सा माना जाता है. HuT एक पैन इस्लामिस्‍ट और कट्टरपंथी समूह है. इस संगठन पर जर्मनी, भारत, ब्रिटेन, बांग्लादेश, चीन, रूस और पाकिस्तान समेत कई देशों में प्रतिबंध लगा हुआ है. जर्मनी ने साल 2003 में यहूदियों के खिलाफ हिंसा और उनकी हत्या की अपील करने के बाद HuT को गैरकानूनी घोषित कर दिया था. 

15 से 25 साल के लोग टारगेट 

मुस्लिम इंटरएक्टिव खासतौर पर हैम्बर्ग और बर्लिन से अपनी गतिविधियों को संचालित करता है. यह संगठन युवाओं, खासतौर पर जर्मनी में जन्मे तीसरी पीढ़ी के मुसलमानों, जिनकी उम्र 15 से 25 वर्ष के बीच है और जो धाराप्रवाह जर्मन बोलते हैं, और हाल ही में अप्रवासी हुए लोगों को आकर्षित करने में लगा है. इसके लिए संगठन टिकटॉक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप का प्रयोग करता है. 

वीडियोज से करता अट्रैक्‍ट 

मुस्लिम इंटरएक्टिव अपने अट्रैक्टिव और स्टाइलिश शॉर्ट वीडियोज को पोस्‍ट करता है. इन वीडियोज में वह दावा करता है कि मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन पर जर्मन समाज में घुलने-मिलने का दबाव है. खुद को इस्लाम का रक्षक बताते हुए, संगठन के सदस्‍यों ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष और दुनिया भर में कुरान जलाए जाने की घटनाओं का फायदा उठाया है. 

समूह अक्‍सर जर्मन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करता है. इसके लिए संगठन सोशल मीडिया का भी जमकर प्रयोग करता है. संगठन ने हाल ही में 2024 में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसका नाम था, 'काफिरों की बात न मानें'. उस कार्यक्रम के दौरान  हैम्बर्ग की सड़कों पर 1,000 से ज्‍यादा मुसलमान उतरे. इनमें से कई ने तो 'खिलाफत ही समाधान है'  लिखे हुए पोस्टर पकड़े हुए थे और वो 'अल्लाहु अकबर' के नारे लगा रहे थे. 

25 साल का बोटेंग बड़ा चेहरा 

25 साल का जो अदादे बोटेंग संगठन का प्रमुख चेहरा है. न्यूआलरमोहे में रहने वाले इस जर्मन नागरिक का जन्म 1998 में एक जर्मन मां और घाना मूल के पिता के यहां हुआ था. उन्होंने साल 2020 के आसपास अपना नाम 'रहीम' रख लिया. इस समय वह हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी से एजुकेशन की डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहे हैं. 

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