फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रविवार को संसद में अपना बहुमत (parliamentary majority) खो दिया. इसके बाद से वहां पर सियासत गरमाई हुई है. बता दें कि हाल ही में हुए चुनावों में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और धुर दक्षिणपंथी नेता ली पेन के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. लेकिन इमैनुएल मैक्रों ने ये बाजी जीत ली थी. संसद में बहुमत खोने के बाद इमैनुएल मैक्रों अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक नए गठबंधन को सोचने पर मजबूर हो गए हैं. क्योंकि सत्ता में बने रहने के लिए अब ये जरूरी हो गया है.
मैक्रों राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अपने सहयोगियों के साथ अगली नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी पार्टी बनाने की राह पर थे. लेकिन हालियां, घटनाक्रमों को देखते हुए उनके समर्थन में 200-260 सीटों का ही समर्थन है जो कि बहुमत के 289 सीटों से कम है.
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इन सबके बीच सरकारी प्रवक्ता ओलिविया ग्रेगोइरे (Olivia Gregoire) ने बीएफएम टेलीविजन को बताया कि बेशक, यह पहली बार है जो कि निराशाजनक है. हम अपेक्षा से कम हैं.
गौरतलब है कि हाल के हुए राष्ट्रपति चुनाव में महंगाई, रूस का यूक्रेन पर हमला और इस्लाम बड़ा मुद्दा बनकर उभरे थे. मैक्रों ने देश की जनता से कई सारे चुनावी वादे भी किए थे, जिसमें पेंशन की उम्र को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करना और बेरोजगारों को सामाजिक सुरक्षा लाभ देना था. हालाकिं, ताजा घटनाक्रम ने मैक्रों की हाल की चुनावी जीत को निराशा में बदल दिया है.
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