पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को साइफ़र मामले में दो हफ़्ते की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. कल ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इमरान खान को तोशाखाना मामले में मिली तीन साल की सज़ा को निलंबित किया था और उनकी रिहाई का आदेश दिया था. लेकिन साइफ़र मामले में उनको हिरासत में रखे जाने के बाद उनका जेल से बाहर आना संभव नहीं है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को आम चुनाव से पहले बड़ी राहत देते हुए तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में उनकी दोषसिद्धि और तीन साल की जेल की सजा पर मंगलवार को रोक लगा दी थी.
अदालत ने इमरान को जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया. लेकिन सरकारी गोपनीयता कानून के तहत उनके खिलाफ एक मुकदमे की सुनवाई के कारण उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा. मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंडपीठ ने यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया था. खंडपीठ ने मामले में निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली इमरान की याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति फारूक ने कहा, “अभी हम सिर्फ यही कह रहे हैं कि (इमरान की) अर्जी मंजूर कर ली गई है.”
इमरान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) ने एक संक्षिप्त व्हॉट्सएप संदेश में बताया, “इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने जिला अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है. अदालत ने इमरान (70) को 1,00,000 रुपये के मुचलके पर रिहा करने का भी आदेश दिया था. क्रिकेटर से नेता बने इमरान और उनके परिवार को 2018 से 2022 के बीच प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान मिले राजकीय उपहारों को गैरकानूनी रूप से बेचने के आरोप में दोषी करार देते हुए तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.
सत्र अदालत ने पीटीआई प्रमुख पर अगले पांच साल तक राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने पर भी रोक लगा दी थी, जिससे वे आगामी चुनाव नहीं लड़ सकते. इमरान ने निचली अदालत के फैसले को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
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