Explainer : कौन हैं सोमालिया के समुद्री डाकू? कैसे अमेरिका ने कसी थी इन पर नकेल...

सोमालिया के समुद्री डाकुओं का हिंद महासागर में काफी आतंकी हुआ करता था. हालांकि, वे जहाज से कोई सामान चोरी नहीं करते थे, लेकिन उनका मकसद व्यापारी जहाजों को अगवा कर उन्हें छोड़ने के बदले कंपनियों से बड़ी रकम वसूल करना होता है. 

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कैसे पनपे समुद्री डाकू

अरब सागर में सोमालिया के तट के पास माल्टा के झंडे वाले एक जहाज को समुद्री डाकुओं ने अगवा कर लिया. नौसेना का एक युद्धपोत INS चेन्नई उस इलाके में मौजूद है. भारतीय युद्धपोत अगवा किए गए जहाज तक पहुंच गया. ऐसा पहली बार नहीं है कि सोमालिया तट के पास में किसी जहाज को अगवा किया गया है. पहले भी ऐसी खबरें आती रही हैं. सोमालिया के समुद्री डाकुओं का हिंद महासागर में काफी आतंकी हुआ करता था. हालांकि, वे जहाज से कोई सामान चोरी नहीं करते थे, लेकिन उनका मकसद व्यापारी जहाजों को अगवा कर उन्हें छोड़ने के बदले कंपनियों से बड़ी रकम वसूल करना होता है. 

कैसे पनपे समुद्री डाकू?
90 के दशक में सोमालिया की सरकार गिर गई थी, जिसके बाद वहां गृह युद्ध शुरू हो गया. इस दौरान ये हालात हो गए कि वहां की नेवी अपने इलाकों की रक्षा करने में असमर्थ हो गई. इसका फायदा विदेशी मछुआरों ने उठाया, उन्होंने उस क्षेत्र में जाकर फिशिंग शुरू कर दी. लेकिन इससे स्थानीय मछुआरों जिनकी स्थिति पहले ही खराब थी, उन्हें दिक्कत होने लगी. इसके जवाब में सोमालिया के कुछ गुटों ने छोटे बोट और मोटर बोट से विदेशी मछुआरों को बंधक बनाना शुरू कर दिया. इसके बाद इन मछुआरों को एक रकम लेकर छोड़ते थे, फिर उन्होंने व्यापारी जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इन डाकुओं ने व्यापरी जहाजों को अगवा कर, उनकी कंपनियों से बड़ी रकम वसूलना शुरू कर दिया.

...जब अमेरिका ने कसी नकेल
समुद्री डाकू व्यापारी जहाजों को अगवा जरूर करते थे, लेकिन उसके क्रू मेंबर्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे. लेकिन अमेरिका में हुई कुछ आतंकी घटनाओं, विशेषकर 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने 2001 में अरब सागर, लाल सागर और हिंद महासागर के इस वाले इलाके में गश्त बढ़ा दी. क्योंकि ये रूट विश्व का बड़ा व्यापारिक रूट है. इस रूट के जरिए केवल 2.70 करोड़ बैरल तेल एक-दूसरे देशों में जाता है. अमेरिका के सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद साल 2017 तक इस इलाके में जहाज को अगवा करने की घटना ना के बराबर हो गईं. इतना ही नहीं जनवरी 2023 में इस इलाके से हाई रिस्क एरिया का टैग भी हटा दिया गया.

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