रूसी कंपनी की पूर्व इकाई ने भारत को LNG आपूर्ति में की बड़ी चूक, लेकिन चुकाया "मामूली जुर्माना"

रूसी कंपनी की पूर्व इकाई गैजप्रॉम मार्केटिंग एंड ट्रेडिंग सिंगापुर (GMTS) को 20 साल के लंबे अनुबंध के तहत इस साल सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी गेल (India) लिमिटेड को 25 लाख टन LNG की आपूर्ति करनी थी. लेकिन, जीएमटीएस ने जून की शुरुआत से LNG के किसी भी कार्गो की आपूर्ति नहीं की है.

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हाजिर बाजार में LNG लंबी अवधि की कीमत के मुकाबले तिगुने दाम पर बेची जा रही है

रूस (Russia) की कंपनी गैजप्रॉम की एक पूर्व इकाई तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आपूर्ति में चूक के लिए भारत (India) को ‘मामूली' जुर्माना अदा कर रही है. एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि गैजप्रॉम सिंगापुर समझौते की शर्तों के बावजूद जून की शुरुआत से भारत को आपूर्ति करने में विफल रही है. गैजप्रॉम मार्केटिंग एंड ट्रेडिंग सिंगापुर (GMTS) को 20 साल के लंबे अनुबंध के तहत इस साल सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी गेल (India) लिमिटेड को 25 लाख टन एलएनजी की आपूर्ति करनी थी. लेकिन, जीएमटीएस ने जून की शुरुआत से एलएनजी के किसी भी कार्गो की आपूर्ति नहीं की है.

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘अनुबंध के तहत आपूर्तिकर्ता को चूक के मामले में सहमत मूल्य का 20 प्रतिशत जुर्माना देना होगा. जीएमटीएस सभी संविदात्मक देनदारियों से खुद को मुक्त करने के लिए उस जुर्माने का भुगतान कर रही है.''

उन्होंने कहा कि लंबी अवधि के अनुबंध के तहत एलएनजी की कीमत 12-14 अमेरिकी डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल इकाई है और जीएमटीएस चूक के चलते इसका 20 प्रतिशत भुगतान कर रही है.

अधिकारी ने कहा, ‘‘हाजिर बाजार में एलएनजी लंबी अवधि की कीमत के मुकाबले तिगुने दाम पर बेची जा रही है और इसलिए किसी को भी मामूली जुर्माना चुकाने में खुशी होगी और फिर भी वह बड़ा मुनाफा कमाएगा.''

पीटीआई-भाषा ने सबसे पहले 19 जुलाई को जीएमटीएस द्वारा आपूर्ति में चूक की खबर दी थी.

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