यूरोपीय सांसदों और अधिकारियों ने राजनीतिक और वैचारिक प्रचार के लिए डिजिटल सूचना वातावरण में हेरफेर करने के लिए भारत में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की क्षमता को लेकर आगाह किया है. मंगलवार को यूरोपीय संसद सदस्य (एमईपी) मार्केटा ग्रेगोरोवा द्वारा संचालित एक ब्रीफिंग में, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि भारत में डिजिटलीकरण पहली बार इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के घोटालों और झूठ का शिकार होने की चुनौतियों के साथ आता है.
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रवासियों के नेतृत्व वाली विचारक संस्था ‘स्टिचिंग द लंदन स्टोरी' की सह मेजबानी वाले ‘टेकिंग स्टॉक ऑफ इंडियाज इंफॉर्मेशन मैनीपुलेशन इकोसिस्टम' शीर्षक वाले इस सत्र में यूरोपीय संसद, यूरोपीय आयोग के सदस्य और ब्रिटेन के गृह कार्यालय के विशेषज्ञ और अन्य शामिल थे.
यूरोपीय संघ में सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विदेशी हस्तक्षेप पर ग्रीन्स और यूरोपीय संसद की विशेष समिति की सदस्य ग्रेगोरोवा ने कहा, “डिजिटल भारत जहां अधिक भारतीय नागरिकों को ऑनलाइन लाने की योजना बना रहा है, पहली बार इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का राजनीतिक घोटालों और चालाकी से बोले गए झूठ का शिकार होना आसान बात है. हमें इसके निहितार्थों पर विचार करना चाहिए कि कैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाना चाहिए.”
फेसबुक व्हिसलब्लोअर सोफी झांग, लंदन स्टोरी के मुख्य डेटा विश्लेषक सैकत चटर्जी, बूम के वरिष्ठ संवाददाता आर्चिस चौधरी, शोधकर्ता विग्नेश कार्तिक और विहांग जुमले इस कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में शामिल थे. आगे के रुख पर नजर रखते हुए, पैनल ने भारत के सूचना हेरफेर पारिस्थितिकी तंत्र में भविष्य के रुझानों के बारे में चिंता व्यक्त की.