एपस्टीन मामला फिर गरमाया: हाउस ऑफ ओवरसाइट कमेटी ने जारी कीं 70 नई तस्वीरें, एपस्टीन फाइल असल में है क्या?

हाउस ऑफ ओवरसाइट कमेटी ने एपस्टीन से जुड़ी नई तस्वीरें जारी कीं. महिलाओं के शरीर पर लोलिता के लिखे अंश, विदेशी पासपोर्ट और ताकतवर लोगों की मौजूदगी ने अमेरिकी न्याय विभाग की आज जारी की जाने एपस्टीन फाइल्स से पहले राजनीतिक बहस को फिर से हवा दे दी है.

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  • हाउस ऑफ ओवरसाइट कमेटी ने एपस्टीन एस्टेट से मिली 70 नई तस्वीरें जारी कीं, जिनमें रसूखदार लोगों की झलक है.
  • ‘लोलिता’ के अंश महिलाओं के शरीर पर लिखे हैं.
  • DOJ को 19 दिसंबर तक एपस्टीन फाइल्स जारी करनी हैं, लेकिन इसमें आखिर कितना सच सामने आएगा.
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अमेरिका में जेफ्री एपस्टीन को लेकर एक बार फिर सियासी और सामाजिक हलचल तेज हो गई है. यौन अपराध के मामलों में दोषी ठहराए जा चुके और 2019 में जेल में मृत पाए गए एपस्टीन से जुड़ी करीब 70 नई तस्वीरें हाउस ऑफ ओवरसाइट कमेटी ने सार्वजनिक कर दी हैं. यह तस्वीरें ऐसे वक्त सामने आई हैं, जब अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) को आज यानी 19 दिसंबर तक एपस्टीन फाइल्स जारी करनी हैं. डेमोक्रेट्स के नियंत्रण वाली इस कमेटी का कहना है कि ये तस्वीरें एपस्टीन के नेटवर्क और उसकी ‘बेहद परेशान करने वाली गतिविधियों' की एक झलक देती हैं. हालांकि, साथ ही यह भी साफ किया गया है कि सिर्फ किसी तस्वीर में दिखना, किसी के खिलाफ अपराध का सबूत नहीं है.

नई तस्वीरों में क्या है?

जारी की गई तस्वीरें एपस्टीन की उस दुनिया की झलक देती हैं, जहां ताकत, पैसा और रसूख एक साथ दिखाई देते हैं.  इन तस्वीरों में एपस्टीन को नोम चॉम्स्की के साथ निजी विमान में बात करते हुए देखा गया है. बिल गेट्स एक महिला के साथ खड़े नजर आते हैं, जिसका चेहरा ब्लर किया गया है. स्टीव बैनन एपस्टीन के सामने डेस्क पर बैठे दिखते हैं. गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के पूर्व प्रमुख सर्गेई ब्रिन एक डिनर इवेंट की तस्वीर में शामिल हैं.

इससे पहले जारी की गई तस्वीरों में डोनाल्ड ट्रंप, बिल क्लिंटन, वुडी एलन, प्रिंस एंड्रयू जैसे नाम भी सामने आ चुके हैं. इन सभी मामलों में यह दोहराया गया है कि इन तस्वीरों से किसी तरह का अपराध सिद्ध नहीं होता और कई लोगों ने एपस्टीन की अवैध गतिविधियों से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है.

‘लोलिता' और विदेशी पासपोर्ट

नई तस्वीरों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला हिस्सा वे फोटो हैं, जिनमें व्लादिमीर नाबोकोव के उपन्यास ‘लोलिता' के कुछ अंश महिलाओं के शरीर पर स्याही से लिखे दिखाई देते हैं— कहीं सीने पर तो कहीं पीठ या पैर पर. ‘लोलिता' एक नाबालिग लड़की के शोषण की कहानी है, और इसे एपस्टीन से जोड़कर देखे जाने पर सवाल और अहम हो जाते हैं.

इसके अलावा, रूस, यूक्रेन, लिथुआनिया, चेक गणराज्य जैसे देशों के महिला पासपोर्ट्स और पहचान पत्रों की तस्वीरें भी सामने आई हैं. ज्यादातर जानकारी ब्लैक कर दी गई है, लेकिन कमेटी का दावा है कि ये दस्तावेज उन महिलाओं के हैं, जिनका इस्तेमाल एपस्टीन और उसके सहयोगी करते थे.

पैसे के बदले ‘लड़कियां'?

एक और तस्वीर में टेक्स्ट मैसेज का स्क्रीनशॉट है, जिसमें कोई व्यक्ति यह कहता दिखता है कि उसे ‘कुछ लड़कियां' भेजी गई हैं और वह ‘1000 डॉलर प्रति लड़की' की बात कर रहा है. यह तस्वीरें एपस्टीन के कथित सेक्स ट्रैफिकिंग नेटवर्क को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती हैं.

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एपस्टीन फाइल्स क्या हैं?

सवाल ये है कि आखिर एपस्टीन फाइल्स हैं क्या? असल में, ये वो दस्तावेज हैं जो एफबीआई और अमेरिकी न्याय विभाग के पास एपस्टीन की जांच के दौरान इकट्ठा हुए थे.  2008 में फ्लोरिडा में नाबालिग से यौन शोषण के मामले में एपस्टीन को सजा हुई थी.  2019 में उस पर नाबालिग लड़कियों की तस्करी का आरोप लगा, लेकिन ट्रायल से पहले ही उसकी मौत हो गई. इन जांचों के दौरान 300जीबी से अधिक डेटा, इंटरव्यू ट्रांसक्रिप्ट, फोटो, वीडियो और डिजिटल सबूत जमा किए गए. कानून के तहत, पीड़ितों की पहचान उजागर करने वाली सामग्री सार्वजनिक नहीं की जा सकती.

अब आगे क्या?

हाल ही में पारित Epstein Files Transparency Act के तहत डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) को फाइलें जारी करनी हैं, लेकिन अटॉर्नी जनरल को यह अधिकार है कि वे पीड़ितों की पहचान छुपा सकें. किसी चल रही जांच को नुकसान पहुंचाने वाली जानकारियां रोक सकें. 
ऐसे में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हैं. कुछ रिपब्लिकन नेताओं को डर है कि नई जांचों का हवाला देकर फाइलों को देर से जारी किया जा सकता है, जबकि ट्रंप लगातार डेमोक्रेट्स के बड़े नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं.

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एपस्टीन को लेकर इतनी दिलचस्पी क्यों?

एपस्टीन की रहस्यमयी जिंदगी, प्रभावशाली लोगों से उसके संबंध, उसे मिली हल्की सजा और जेल में उसकी मौत— ये सभी बातें आज भी लोगों को बेचैन करती हैं. यही वजह है कि हर नई तस्वीर, हर नया दस्तावेज, साजिशों, सवालों और राजनीतिक बहस को फिर से हवा दे देता है. अब सबकी निगाहें 19 दिसंबर पर टिकी हैं— जब यह साफ होगा कि एपस्टीन फाइल्स में आखिर कितना सच सामने आता है, और कितना अभी भी परदे के पीछे रह जाता है.

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