जब कर्मचारियों को अपना पारंपरिक 5 दिन का दफ्तर का काम 4 दिन में ( 4 Days Work Week) करने का मौका मिलता है तो वो अपने खाली समय को ऐसा काम करते हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. ब्लूमबर्ग के अनुसार, जब दफ्तर में केवल 4 दिन काम करने का मौका मिलता है तो लोग सोना पसंद करते हैं. ऐसे कर्मचारी जो 32 घंटे एक हफ्ते में काम करते हैं वो 7.58 घंटे की नींद सोते हैं, यह 40 घंटे काम करने वाले काम के हफ्ते से लगभग एक घंटा अधिक है. बॉस्टन कॉलेज की एक रिसर्चर, सोशियॉलजिस्ट और इकॉनमिस्ट, जूलियट स्हॉर (Juliet Schor) ने अपने शोध में यह देखा. वह 6 महीने के एक पायलट प्रोजक्ट में दुनियाभर में 180 ऑर्गनाइज़ेशन को ट्रैक कर रही हैं.
दूसरे शब्दों में, उन्होंने पार्टी करने या दोस्तों के साथ घूमने-फिरने से बेहतर अपनी 8 घंटे की नींद पूरा करना ज़रूरी समझा.
जूलियट ने कहा मुझे यह जानकर हैरानी नहीं हुई कि लोग अधिक सो रहे हैं लेकिन मैं इसके कारण आए बदलावों से हैरान रही. नींद पूरी ना होने वाले लोगों का प्रतिशत 42.6 प्रतिशत से 14.5 प्रतिशत हुआ जब उन्होंने 4 दिन का काम का घंटा चुना. 7 घंटे से कम की नींद को नींद पूरी ना होने की श्रेणी में रखा जाता है.
जूलियट ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड की 16 कंपनियों के 304 कर्मचारियों का सर्वे किया. यह ट्रायल एक गैरसरकारी संस्था करवा रही है इसका नाम 4 डे वीक ग्लोबल है.
दुनिया में छोटे काम के हफ्ते का कॉन्सेप्ट ज़ोर पकड़ रहा है और महामारी के बाद से ही कई कर्मचारी नौकरी ढूंढते वक्त ये देख रहे हैं कि उन्हें काम पर कितनी फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी जो उनका जीवन सुधार सके. यहां तक कि इलॉन मस्क से लेकर जेपी मॉर्गन तक कर्मचारियों को महामारी से पहले के काम के तरीकों में लौटने के लिए जोर डाल रहे हैं लेकिन दूसरे हाई प्रोफाइललोग छोटे काम के घंटों पर जोर डाल रहे हैं.