एमराल्ड ट्रायंगल का विवाद क्या है? थाइलैंड-कंबोडिया की लड़ाई के पीछे फ्रांस की 121 साल पुरानी गलती

Thailand Cambodia Border Clash: कंबोडिया और थाईलैंड ने एक दूसरे पर हमला कर दिया है. दोनों देश एक दूसरे पर हवाई हमले कर रहे हैं. आपको बताते हैं कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह एमराल्ड ट्रायंगल का क्या विवाद है.

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Thailand Cambodia Border Clash: कंबोडिया और थाईलैंड ने एक दूसरे पर हमला कर दिया है.
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  • कंबोडिया-थाईलैंड के बीच विवादित सीमा क्षेत्र एमराल्ड ट्रायंगल पर लड़ाई शुरू, कम-से-कम नौ नागरिक मरे हैं.
  • एमराल्ड ट्रायंगल क्षेत्र डांगरेक पर्वत और मेकांग नदी बेसिन में स्थित है, जहां कई प्राचीन हिंदू मंदिर हैं.
  • 1904 की फ्रांसीसी संधि और बाद के विवादों के कारण सीमा विवाद ने कई बार सैन्य संघर्ष को जन्म दिया है.
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Thailand Cambodia Border Clash: कंबोडिया और थाईलैंड के बीच विवादित सीमा को लेकर तनाव चरम पर है. बात अब जुबानी जंग से कहीं आगे निकल चुकी है. कंबोडिया और थाईलैंड ने एक दूसरे पर हमला कर दिया है और हमलों में कम से कम 9 नागरिकों की मौत हो गई है. थाईलैंड ने गुरुवार, 24 जुलाई को कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए जबकि कंबोडिया ने रॉकेट और तोपखाने से थाईलैंड पर हमले किए हैं. थाई सेना ने हवाई हमले करने के लिए एफ-16 जेट विमानों का इस्तेमाल किया. थाईलैंड के सैन्य उपप्रवक्ता रिचा सुक्सुवानोन के अनुसार, उबोन रतचथानी प्रांत से छह जेट तैनात किए गए, जिन्होंने "जमीन पर दो कंबोडियाई सैन्य लक्ष्यों" को निशाना बनाया है.

थाईलैंड के दूतावास ने गुरुवार को अपने नागरिकों से कंबोडिया छोड़ने का फरमान जारी कर दिया है. आज की झड़प शुरू होने के कुछ घंटे पहले ही कंबोडिया ने घोषणा की कि वह थाईलैंड के साथ अपने राजनियक संबंधों को "निम्नतम स्तर" पर ला रहा है, एक को छोड़कर अपने सभी राजनयिकों को थाईलैंड से बाहर निकाल रहा है और अपने देश में मौजूद थाई राजनयिकों को निष्कासित कर रहा है. 

प्रीह विहार प्रांत में कंबोडियाई सैनिक BM-21 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर को रिलोड करते हुए

दरअसल एमराल्ड ट्रायंगल के नाम से जाने जाने वाले क्षेत्र को लेकर पड़ोसियों के बीच पुराना विवाद अब जंग का रूप लेता जा रहा है. इस ट्रायंगल पर दोनों देशों के साथ-साथ लाओस की सीमाएं मिलती हैं और जो कई प्राचीन मंदिरों का घर है. चलिए आपको बताते हैं कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह एमराल्ड ट्रायंगल का क्या विवाद है.

 एमराल्ड ट्रायंगल का क्या विवाद है?

एमराल्ड ट्रायंगल सीमा विवाद कोई नया नहीं है. थाईलैंड और कंबोडिया वर्षों से इस जंगली, ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र पर अपना-अपना दावा करते रहे हैं. लेकिन अब हालात खतरनाक हो गए, दोनों देशों ने एक दूसरे पर हमला शुरू कर दिया है, इसमें लोगों की मौत हुई है और सीमावर्ती समुदायों में दहशत फैल गई है.

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जैसा हमने उपर बताया है एमराल्ड ट्राइएंगल, लाओस, कंबोडिया और थाईलैंड की सीमा से लगा एक ट्राइजंक्शन. यानी यहां तीनों देश की सीमा मिलती है. यह डांगरेक पर्वत और मेकांग नदी बेसिन से घिरा एक अक्षुण्ण मानसून वन है और यहां कई हिंदू मंदिर हैं जिसपर थाईलैंड और कंबोडिया दोनों दावा करते हैं. कंबोडिया और थाईलैंड एक दूसरे के साथ 817 किलोमीटर की भूमि सीमा (लैंड बॉर्डर) शेयर करते हैं. लेकिन इस भूमि सीमा का मानचित्र बड़े पैमाने पर फ्रांस द्वारा बनाया गया था जब उसने 1863 से 1953 तक कंबोडिया पर राज किया था.

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देखिए दक्षिण एशिया में, जहां अंग्रेजों ने शासन किया उन्होंने अपने राज में संधियों द्वारा नदी घाटियों के आधार पर दो देशों के बीच बॉर्डर बनाया- उदाहरण के लिए, काली नदी को भारत और नेपाल के बीच एक प्राकृतिक सीमा बनाया गया. लेकिन इसमें नदी के रास्ता बदलते की प्रकृति के कारण सीमा संघर्ष स्वाभाविक है. इसके विपरीत, दक्षिण पूर्व एशिया में, 1904 में साइन किए गए फ्रांसीसी औपनिवेशिक संधि ने नदी की जगह पहाड़ों को सीमांकन का बिंदु बना दिया. यानी पहाड़ों के आधार पर बॉर्डर बनाया गया.  1904 में फ्रेंको-सियामी संधि हुई जिसके द्वारा कहा गया कि फ्रांसीसी इंडोचाइना (आधुनिक कंबोडिया और लाओस) और सियाम (आधुनिक थाईलैंड) के बीच सीमा बनाने के लिए डांगरेक पर्वत को आधार बनाया जाएगा. हालांकि, सटीक सीमा कहां होगी यह दोनों देशों के संयुक्त आयोग पर छोड़ दिया गया था. 

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1904 की संधि में यह निर्धारित किया गया था कि सीमा डांगरेक पर्वत की प्राकृतिक जलविभाजक रेखा का अनुसरण करेगी यानी उससे होते हुए बनेगी. हालांकि, बाद में फ्रांसीसी सर्वेक्षणकर्ताओं ने जब 1907 में नक्शा बनाया तो वो इस सिद्धांत से भटक गए. उन्होंने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडियन क्षेत्र के भीतर रखा. थाईलैंड ने बाद में इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि सीमांकन की निगरानी के लिए स्थापित संयुक्त आयोग द्वारा मानचित्र को आधिकारिक तौर पर मंजूरी नहीं दी गई थी. यह बड़ी चूक साबित हुई और इसने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सदियों पुराने सीमा संघर्ष को जन्म दिया है, जो इस सीमा को दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे अस्थिर बनाता है.

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इन एमराल्ड ट्राइएंगल में कई हिंदू मंदिर हैं जिसपर दोनों देश दावा करते हैं.  कंबोडिया ने मंदिर विवाद को लेकर 1959 में थाईलैंड को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में घसीटा. 1962 में अदालत ने कंबोडिया के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि प्रीह विहार मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में आता है. थाईलैंड ने उस समय फैसले को स्वीकार किया लेकिन साथ ही यह तर्क दिया कि मंदिर के आसपास की सीमाएं अभी भी विवादित थीं, जिससे सीमा रेखाएं और जटिल हो गईं.

2008 में तनाव फिर भड़का. कंबोडिया ने उस साल प्रीह विहार मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व-धरोहर का दर्जा देने की मांग की. जुलाई 2008 में मंदिर को मान्यता भी मिल गई, इसके साथ सीमा क्षेत्र के पास कंबोडियाई और थाई सैनिकों के बीच सैन्य झड़पें शुरू हो गईं. ये झड़पें वर्षों तक चलीं और 2011 में चरम पर पहुंचीं. अप्रैल 2011 में संघर्ष के कारण 36,000 लोग विस्थापित हो गए. लगभग इसी समय, कंबोडिया 1962 के फैसले को पुख्ता करवाने के लिए फिर से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में गया. अदालत ने दो साल बाद अपने पिछले फैसले की फिर से पुष्टि की. यह एक ऐसा था निर्णय जिसे आज भी थाईलैंड मन से स्वीकार नहीं कर सका है.

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