एलन मस्क के स्पेसएक्स रॉकेट ने आयनमंडल में कर दिया 'छेद', जानें क्‍या पड़ सकता है प्रभाव?

19 जुलाई के प्रक्षेपण की तस्वीरों में हल्की लाल चमक दिखाई दी, जिसका अध्ययन बोस्टन विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष भौतिक विज्ञानी जेफ बॉमगार्डनर ने किया.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
आयनमंडल संचार और नेविगेशन के लिए उपयोग की जाने वाली रेडियो तरंगों को प्रतिबिंबित और संशोधित करता
वाशिंगटन:

एलन मस्क के स्पेसएक्स द्वारा लॉन्च किए गए एक रॉकेट ने हमारे ग्रह के आसपास के आयनमंडल में एक अस्थायी छेद कर दिया, स्‍पेसवेदर डॉटकॉम (Spaceweather.com) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. फाल्कन 9 रॉकेट को 19 जुलाई को कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया गया था. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, यह पृथ्वी की कक्षा और उससे आगे लोगों और पेलोड के विश्वसनीय और सुरक्षित परिवहन के लिए एक दुबारा इस्तेमाल के योग्य, दो चरण वाला रॉकेट है. स्पेसएक्स ने यह भी कहा कि यह दुनिया का पहला कक्षीय श्रेणी का फिर इस्तेमाल के योग्य रॉकेट है. फाल्कन 9 ने 240 लॉन्च और 198 लैंडिंग की हैं.

19 जुलाई के प्रक्षेपण की तस्वीरों में हल्की लाल चमक दिखाई दी, जिसका अध्ययन बोस्टन विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष भौतिक विज्ञानी जेफ बॉमगार्डनर ने किया. प्रक्षेपण के फुटेज की समीक्षा के बाद उन्होंने कहा कि लाल चमक इंगित करती है कि आयनमंडल में एक छेद हो गया है. बॉमगार्डनर ने spaceweather.com को बताया, "यह एक अच्छी तरह से अध्ययन की गई घटना है, जब रॉकेट पृथ्वी की सतह से 200 से 300 किमी ऊपर अपने इंजन जला रहे होते हैं."

उन्होंने कहा, "मैंने 19 जुलाई के लॉन्च के फुटेज की समीक्षा की. यह दिन के उस समय एफ-क्षेत्र शिखर के पास 286 किमी पर दूसरे चरण के इंजन को जलता हुआ दिखाता है. इसलिए, यह काफी संभव है कि एक आयनोस्फेरिक 'छेद' बनाया गया था."

आयनमंडल अंतरिक्ष के किनारे पर स्थित है और आयन नामक आवेशित कणों से भरा होता है. आयनमंडल महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संचार और नेविगेशन के लिए उपयोग की जाने वाली रेडियो तरंगों को प्रतिबिंबित और संशोधित करता है. आयनमंडल में एक छेद जीपीएस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है, जिससे स्थान की सटीकता कुछ फीट तक बदल सकती है. हालांकि, न्यूज़वीक के अनुसार, इस समय यह बहुत महत्वपूर्ण नहीं था.

भविष्य में, तेजी से शक्तिशाली रॉकेटों के साथ यह संभव है कि आयनमंडल पर प्रक्षेपण का प्रभाव खराब हो सकता है, जिससे जीपीएस पर अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. ताइवान में नेशनल चेंग कुंग यूनिवर्सिटी के चार्ल्स सीएच लिन के हवाले से कहा गया है, "मानव एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहा है, जहां फिर से इस्‍तेमाल रॉकेटों की लागत कम होने के कारण रॉकेट प्रक्षेपण सामान्य और लगातार होता जा रहा है. इस बीच, मानव अन्य ग्रहों पर माल भेजने के लिए अधिक शक्तिशाली रॉकेट विकसित कर रहे हैं. ये दो कारक धीरे-धीरे मध्य और ऊपरी वायुमंडल को अधिक प्रभावित करेंगे, और इस पर अभी ध्‍यान देना बेहद जरूरी है. 

बता दें कि इसी रॉकेट से जुड़ी ऐसी ही एक घटना पहले भी हुई थी. साइंस टाइम्स के अनुसार, फाल्कन 9 को 24 अगस्त, 2017 को फोरमोसाट-5 (FORMOSAT-5) पेलोड ले जाने वाले वेंडरबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया गया था, तब भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था.

Advertisement

इसे भी पढ़ें :-

Featured Video Of The Day
Pakistan Flood: अब पाकिस्तान में कुदरत का कहर! 24 घंटे में लग गया लाशों का ढेर | Top News |
Topics mentioned in this article