धीमा हो गया है पृथ्‍वी का कोर, अब उल्‍टी दिशा में घूम रहा : वैज्ञानिकों के इस दावे का आप पर क्‍या हो सकता है असर

नेचर जर्नल में 12 जून को प्रकाशित शोध न केवल कोर के धीमे होने की पुष्टि करता है बल्कि 2023 के उस दावे का भी समर्थन करता है कि इसका धीमा होना गति परिवर्तन के दशकों पुराने पैटर्न का हिस्सा है. 

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्‍ली :

पृथ्‍वी (Earth) को लेकर वैज्ञानिकों ने एक ऐसा दावा किया है, जिसने हर किसी को चौंका दिया है. वैज्ञानिकों ने अपने एक ताजा शोध में दावा किया है कि पृथ्‍वी अपने जिस आंतरिक कोर पर घूमती है, उसकी गति अब धीमी हो रही है. उनका दावा यहां तक है कि यह आंतरिक कोर अब उल्‍टी दिशा में घूम रहा है. दरअसल, पृथ्‍वी को तीन अलग-अलग परतों में विभाजित किया जाता है. इन तीन परतो में क्रस्‍ट, मेंटल और कोर शामिल है. क्रस्‍ट पर हम रहते हैं और कोर को सबसे आंतरिक परत के रूप में जाना जाता है. वहीं मेंटल इन दोनों के बीच में होती है.

कई सिद्धांत बताते हैं कि पृथ्‍वी का कोर स्‍वतंत्र रूप से घूम रहा है. साधारण शब्‍दों में समझें तो ऐसा कहा जा सकता है कि पृथ्वी के भीतर एक ठोस धातु की गेंद है जो पृथ्‍वी से स्वतंत्र रूप से घूमती है. जैसे एक बड़ी गेंद के अंदर घूमती गेंद. यह आज भी एक रहस्‍य बना हुआ है. 1936 में डेनिश भूकंपविज्ञानी इंगे लेहमैन ने इसे खोजा था. आंतरिक कोर ने शोधकर्ताओं को काफी आकर्षित किया है. इसकी गति जिसमें  घूर्णन गति और दिशा शामिल है, यह दशकों से चल रही बहस का विषय है. हालिया सबूत यह बताते हैं कि कोर के घूर्णन में में काफी बदलाव आया है. हालांकि वैज्ञानिक भी इसे लेकर विभाजित हैं. 

संभव नहीं है आंतरिक कोर का निरीक्षण 

एक बड़ी चुनौती यह है कि पृथ्वी के गहरे आंतरिक भाग का प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण या नमूना लेना असंभव है. भूकंप का अध्‍ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में पहुंचने वाले बड़े भूकंपों से उत्पन्न तरंगों के व्यवहार की जांच की और आंतरिक कोर की गति के बारे में जानकारी एकत्र की है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग समय पर कोर से गुजरने वाली समान शक्तियों की तरंगों के बीच अंतर ने वैज्ञानिकों को आंतरिक कोर की स्थिति में बदलाव को मापने और इसके घूर्णन की गणना करने में मदद की है. 

Advertisement

ऑस्‍ट्रेलिया की जेम्स कुक यूनिवर्सिटी में भौतिक विज्ञान की वरिष्ठ व्याख्याता डॉ लॉरेन वासजेक ने कहा, "आंतरिक कोर के घूर्णन को 1970 और 80 के दशक में एक घटना के रूप में प्रस्तावित किया गया था, लेकिन 90 के दशक तक भूकंपीय साक्ष्य प्रकाशित नहीं हुए थे." 

Advertisement

वैज्ञानिको के बीच यह है बहस का कारण 

शोधकर्ताओं ने निष्कर्षों की व्याख्या करने को लेकर बहस की है. वासजेक ने कहा, "इसकी दूरी और सीमित उपलब्ध डाटा के कारण आंतरिक कोर का विस्तृत अवलोकन करने की चुनौती प्राथमिक कारण है." उन्‍होंने कहा कि बाद के वर्षों और दशकों के अध्ययन मेंटल के सापेक्ष आंतरिक कोर के घूर्णन की दर और दिशा पर असहमत हैं." वहीं कुछ विश्लेषणों का कहना है कि कोर बिल्कुल भी नहीं घूमता है. 

Advertisement

2023 में प्रस्तावित एक मॉडल में एक आंतरिक कोर का वर्णन किया गया है जो पहले पृथ्वी की तुलना में तेजी से घूमता था, लेकिन अब धीमी गति से घूम रहा था. एक अवधि के लिए कोर का घूर्णन पृथ्वी के घूर्णन से मेल खाता था. बाद में यह और भी धीमा हो गया. 

Advertisement

पिछले महीने नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध 

उस समय कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि इस निष्कर्ष का समर्थन करने के लिए अधिक डाटा की जरूरत है और अब वैज्ञानिकों की एक अन्य टीम ने इस परिकल्पना के लिए नए साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं. नेचर जर्नल में 12 जून को प्रकाशित शोध न केवल कोर के धीमे होने की पुष्टि करता है बल्कि 2023 के उस दावे का भी समर्थन करता है कि इसका धीमा होना गति परिवर्तन के दशकों पुराने पैटर्न का हिस्सा है. 

दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डोर्नसाइफ कॉलेज ऑफ लेटर्स आर्ट्स एंड साइंसेज में पृथ्वी विज्ञान के डीन प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक डॉ. जॉन विडेल ने कहा कि नए निष्कर्ष यह भी पुष्टि करते हैं कि घूर्णन गति में परिवर्तन 70 सालों के एक चक्र का पालन करता है. डॉ. विडेल ने कहा, "मुझे लगता है कि हमने इस बहस को समाप्त कर दिया है कि क्या आंतरिक कोर चलता है और पिछले कुछ दशकों से इसका पैटर्न क्या रहा है."

हालांकि हर कोई आश्वस्त नहीं है कि मामला सुलझ गया है. पृथ्‍वी के लिए आंतरिक कोर के धीमा होने को लेकर सवाल बने हुए हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र प्रभावित हो सकता है.

सूर्य की सतह जितने तापमान का अनुमान 

पृथ्वी के अंदर करीब 3,220 मील (5,180 किलोमीटर) गहराई में दबा हुआ ठोस धातु का आंतरिक कोर एक तरल धातु के बाहरी कोर से घिरा हुआ है. यह ज्यादातर लोहे और निकल से बना है. आंतरिक कोर के सूर्य की सतह जितना गर्म होने का अनुमान है, करीब 9,800 डिग्री फ़ारेनहाइट (5,400 डिग्री सेल्सियस)।

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र गर्म धातु की इस ठोस गेंद को खींचता है, जिससे यह घूमने लगती है. इस बीच बाहरी कोर और मेंटल के द्रव का गुरुत्वाकर्षण और प्रवाह कोर पर दबाव डालते हैं. विडेल के अनुसार, कई दशकों में इन बलों के दबाव और खिंचाव के परिणामस्वरूप कोर की घूर्णन गति में भिन्नता आई है. 

दिन की लंबाई को कम कर सकता है!

बाहरी कोर में धातु-समृद्ध तरल पदार्थ की गति से विद्युत धाराएं उत्पन्न होती हैं जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को शक्ति प्रदान करती हैं, जो पृथ्‍वी को हानिकारक सौर विकिरण से बचाती है. हालांकि चुंबकीय क्षेत्र पर आंतरिक कोर के प्रत्यक्ष प्रभाव को पूरी तरह से समझा नहीं गया है. वैज्ञानिकों ने 2023 में बताया कि धीमी गति से घूमने वाला कोर संभावित रूप से इस पर प्रभाव डाल सकता है और दिन की लंबाई को भी थोड़ा कम कर सकता है.

शोध से पता चला कि कोर अब बहुत धीमी गति से घूम रहा है और अलग-अलग दरों पर तेज हो रहा है. डॉ. विडेल ने कहा कि "जिसे स्पष्टीकरण की आवश्यकता होगी."  वहीं वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि एक संभावना यह हो सकती है कि धातु का आंतरिक कोर अपेक्षा के अनुरूप ठोस नहीं है. 

ये भी पढ़ें :

* रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपने सरकारी आवास पर प्रधानमंत्री मोदी से ‘निजी मुलाकात' की
* PM मोदी के सम्मान में तिरंगे के रंग में रंगा मॉस्को का ओस्टैंकिनो टावर
* रूस में PM मोदी का चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग से बढ़कर हुआ स्वागत, जानें क्यों स्पेशल है यह 'ग्रैंड वेलकम'

Featured Video Of The Day
Adani Group पर लगाए गए आरोपों पर Brahma Chellaney ने कहा- 'आरोपों से बिगड़ते हैं रिश्ते'
Topics mentioned in this article