खारकीव में नशे में धुत्त यूक्रेन के गार्ड ने रिश्वत मांगी : NDTV से बोले छात्र

छात्रों में से एक ने कहा, खारकीव रेलवे स्टेशन तक 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद हम मुश्किल से प्लेटफॉर्म पर पहुंच पाए, हमें पुलिस ने पीटा

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
यूक्रेन में भारतीय छात्रों ने एनडीटीवी को आपबीती सुनाई.

पोलैंड से निकाले जा रहे खारकीव के तीन भारतीय छात्रों ने एनडीटीवी को बताया कि जब उन्होंने शहर से बाहर निकलने की कोशिश की तो रेलवे स्टेशन पर यूक्रेन की पुलिस और सेना ने उन्हें पीटा. उन्होंने खारकीव छोड़ने के लिए भारतीय दूतावास की उस एडवायजरी के समय पर भी सवाल उठाया, जिसे कल शाम को भेजा गया था. उसमें कहा गया था कि अमेरिका सहित अन्य देशों ने अपने नागरिकों को भारत से दो दिन पहले शहर छोड़ने के लिए कहा था. बुधवार की सुबह पोलैंड पहुंचे छात्रों ने, एडवाइजरी को ट्वीट किए जाने से बहुत पहले, कहा कि उन्हें यूक्रेन से बाहर निकलने में वास्तव में कठिन समय लगा.

छात्रों में से एक ने कहा, "खारकीव रेलवे स्टेशन तक 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद हम मुश्किल से प्लेटफॉर्म पर पहुंच पाए. तब हमें पुलिस ने पीटा."उन्होंने कहा कि "वे प्राथमिकता के आधार पर यूक्रेनियन को अनुमति दे रहे थे, अन्य देशों को प्राथमिकता के आधार पर ... वे किसी भी भारतीय को अनुमति नहीं दे रहे थे." 

उन्होंने कहा कि "इसके बाद उन्होंने कुछ लड़कियों को (जाने के लिए) अनुमति दी, फिर उन्होंने रिश्वत मांगी. यदि आप टिकट चाहते हैं तो प्रत्येक व्यक्ति के लिए 200 डॉलर ... रात में हम प्लेटफॉर्म पर रहे. उन्होंने कहा कि यदि आप रात रहना चाहते हैं, तो आपको इसकी कीमत देनी पड़ेगी. वे बहुत नशे में थे. उन्होंने दुर्व्यवहार किया." 

Advertisement

सरकार की एडवायजरी को लेकर छात्रों ने आक्रोश जताया. उन्होंने कहा, "उन्होंने यह पहले क्यों नहीं दी? वे अमेरिका और अन्य सरकारों की तरह सलाह दे सकते थे."

Advertisement

कल शाम को दूतावास ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में भारतीयों को एक अर्जेंट अपील भेजी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें बिना देर किए निकल जाना चाहिए और पिसोचिन, बाबई या बेज़लुदिवका शहरों में पहुंचना चाहिए. दूतावास ने स्थानीय समय सीमा शाम 6 बजे तक की दी. दूतावास ने कहा था यदि परिवहन का साधन है तो लोगों को पहुंचने के लिए चार घंटे से अधिक समय लगेगा. अगर नहीं, तो लोगों को पैदल चलना चाहिए. 

Advertisement

11 किमी दूर के निकटतम शहर पिसोचिन तक पहुंचने को लेकर छात्रों ने तर्क दिया कि भारी गोलाबारी के बीच पैदल चलना असंभव है. कोई भी यह नहीं कर सका. और आज दूतावास ने एक और सलाह भेजी, जिसमें खारकीव को छोड़ने वाले लोगों को एक फॉर्म भरने के लिए कहा.

Advertisement

एनडीटीवी से कई छात्रों ने कहा कि वे सरकार द्वारा निकासी की प्रक्रिया के संचालन से परेशान हैं. NDTV से बात करने वाले कई छात्रों ने तर्क दिया कि उन्हें यूक्रेन की सीमा तक पहुंचने और उसे पार करने के दौरान मदद की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि "हम (पड़ोसी शांत देशों से) मुफ्त उड़ानें नहीं चाहते थे, हमें बचना था." 

Featured Video Of The Day
Supreme Court on UP Madrasa: UP के मदरसों को बड़ी राहत, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
Topics mentioned in this article