अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
जो दिल में आया है, वो बोलूंगा, वहीं करूंगा.. यही अंदाज है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का. बिना लाग-लपेट, वीरेंद्र सहवाग की पावरप्ले वाली इनिंग सा अंदाज. जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने पहुंचे तो जैसी सबको उम्मीद थी, उसी अंदाज में उन्होंने अपनी बात सामने रखी. यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को यह बताने से नहीं चूके कि बिग ब्रदर कौन है, चीन और भारत को एक-साथ टैरिफ पर लपेटा तो ग्रिनलैंड को किसी कीमत पर अमेरिका में शामिल करने की बात कह दी. वैसे पाकिस्तान का भी शुक्रिया कहते हुए जिक्र कर दिया.
तो सवाल यही कि डोनाल्ड ट्रंप ने संसद से किस देश को कैसा संदेश देने की कोशिश की है. एक-एक कर खोजते हैं:
1. रूस
डोनाल्ड ट्रंप यह साफ कर चुके हैं कि वो किसी भी कीमत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करना चाहते हैं. यह उनका चुनावी वादा भी था. ट्रंप रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शांति समझौता करना चाहते हैं, भले यह काम यूक्रेन और यूरोपीय देशों को बाइपास करके ही क्यों न करना पड़े. आलम यह है कि ट्रंप आज के टाइम में जेलेंस्की से ज्यादा पुतिन के करीब नजर आ रहे हैं. अपने संबोधन में भी उन्होंने रूस के लिए कोई तल्खी नहीं दिखाई. ट्रंप का कहना है कि वाशिंगटन यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए मॉस्को के संपर्क में है. "हमने रूस के साथ गंभीर चर्चा की है और हमें मजबूत संकेत मिले हैं कि वे शांति के लिए तैयार हैं."
2. यूक्रेन
ट्रंप यह संकेत देने से एकबार भी नहीं चूक रहे हैं कि उनके और जेलेंस्की (इसे अमेरिका और यूक्रेन भी पढ़ सकते हैं) के बीच बिग ब्रदर कौन है. यह कोशिश उन्होंने व्हाइट हाउस में भी की थी जब जेलेंस्की मिलने आए थे और पूरी दुनिया ने दोनों के बीच बहस देखी. अब ट्रंप ने संसद में बताया कि जेलेंस्की ने आज उन्हें एक लेटर भेजा है. इसमें कहा गया है कि यूक्रेन अमेरिकी नेतृत्व में रूस के साथ संघर्ष समाप्त करने चाहता है. “यूक्रेन स्थायी शांति लाने के लिए जल्द से जल्द बातचीत की मेज पर आने के लिए तैयार है. यूक्रेनियन से अधिक कोई भी शांति नहीं चाहता." उन्होंने यह भी दावा किया कि जेलेंस्की ने अपने लेटर में लिखा कि वह जब अमेरिका चाहे मिनरल डील पर साइन करने को तैयार हैं. यहां खास बात ट्रंप की टोन रही, उन्होंने साफ कहा कि जेलेंस्की को यह काम पहले ही करना चाहिए था. साफ था कि वो न सिर्फ जेलेंस्की को झुका देखना चाहते हैं बल्कि यह दिमाग में भी बैठाना चाहते हैं कि यहां चलती तो मेरी ही है.
3. भारत
भारत के लिए ट्रंप के भाषण से संकेत साफ है. उसे दोस्त होने की वजह से कोई स्पेशल ट्रीटमेंट मिलने नहीं जा रहा है. उसे भी अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर लगने वाले टैरिफ (टैक्स) को हटाना होगा नहीं तो अमेरिका उतना ही टैरिफ भारत से होने वाले आयातों पर लगाएगा. ट्रंप ने भारत का नाम लेते हुए कहा कि भारत 100% से अधिक टैरिफ लगाता है. उन्होंने चीन, कनाडा, मेक्सिको, ब्राजील के साथ भारत का नाम लेते हुए कहा कि अगर ये देश टैरिफ नहीं हटाते तो अमेरिका 2 अप्रैल से काउंटर टैरिफ लगाने को तैयार है.
4. पाकिस्तान
अभी के टाइम में पाकिस्तान अमेरिका के समीकरण में कहीं फिट नहीं बैठता. अमेरिका भारत के साथ है, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना निकल चुकी है तो पाकिस्तान की अहमियत और कम हो गई है. लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान का जिक्र ट्रंप के भाषण में आया. ट्रंप ने पाकिस्तान को शुक्रिया कहा है. दरअसल पाकिस्तान ने हाल ही में ISIS के सीनियर कमांडर मोहम्मद शरीफुल्लाह को पकड़ा है. मोहम्मद शरीफुल्लाह पर 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के दौरान घातक एबी गेट बमबारी की साजिश रचने का आरोप है. ट्रंप ने शरीफुल्लाह को पकड़ने के लिए ही पाकिस्तान को शुक्रिया कहा है. पाकिस्तान अभी खुद को अमेरिका के गुडबुक में महसूस कर रहा होगा.
5. चीन
ट्रंप ने चीन का जिक्र कहीं अलग से नहीं किया बल्कि टैरिफ और पनामा कनाल की बात करते हुए किया. उन्होंने कहा कि चीन अमेरिका पर 200% टैरिफ लगाता है और अब उसपर काउंटर टैरिफ लगाया जाएगा. ट्रंप ने पहले ही चीन पर 20% टैरिफ लगा दिया है.
6. पनामा और ग्रिनलैंड
ट्रंप ने पनामा और ग्रिनलैंड पर सख्ती दिखाई है. दरअसल अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाली पनामा नहर विश्व में व्यापार का एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है. इस 51 मील लंबी नहर को सौ साल से भी अधिक समय पहले अमेरिकी फंड से बनाया गया था. लेकिन इसपर कंट्रोल पनामा का है. अब ट्रंप वापस इसे अमेरिका के हाथ में चाहते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए उनकी सरकार पनामा नहर पर क्रंटोल को वापस अपने हाथ में लेगी और हमने पहले ही ऐसा करना शुरू कर दिया है. कुछ ऐसी ही बात उन्होंने ग्रीनलैंड को लेकर कहा जो डेनमार्क का हिस्सा है. उन्होंने ग्रीनलैंड के नागरिकों को अमेरिका में शामिल होने का प्रस्ताव भी दिया और कहा, "किसी न किसी तरीके से हम इसे हासिल कर लेंगे."