विवेक रामास्वामी को ट्रंप प्रशासन में मिली बड़ी जिम्मेदारी,जानें किन वजहों से रहें चर्चाओं में

ट्रंप की टीम में शामिल किए जाने बाद विवेक रामास्वामी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि हम लोग नरमी से पेश नहीं आने वाले हैं.

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ट्रंप प्रशासन में विवेक रामास्वामी को मिली अहम जिम्मेदारी
नई दिल्ली:

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार के लिए नई टीम का ऐलान कर दिया है. इस टीम में कई नए चेहरों को जगह दी गई है. नए चेहरों में जिन्हें लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो हैं विवेक रामास्वामी और एलन मस्क. ट्रंप ने भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी के साथ-साथ एक्स, टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएन्सी (डीओजीई) का प्रमुख बनाया है. ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद दिए अपने संबोधन में एलन मस्क और विवेक रामास्वामी का जिक्र किया था. इस संबोधन के दौरान ट्रंप ने अपने दोस्त एलन मस्क की भी जमकर तारीफ की थी. विवेक रामास्वामी की भूमिका ट्रंप की नई सरकार में खास होने वाली है. आखिर ट्रंप ने विवेक रामास्वामी को क्यों दी इतनी बड़ी जिम्मेदारी और विवेक की सोच कैसे ट्रंप से मिलती है, अब हम इसके बारे में विस्तार से बार करने जा रहे हैं...

"हम लोग नरमी से पेश नहीं आने वाले"

ट्रंप की टीम में शामिल किए जाने बाद विवेक रामास्वामी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि हम लोग नरमी से पेश नहीं आने वाले हैं. रामास्वामी ने अपने इस पोस्ट से ये तो साफ कर दिया है कि ट्रंप सरकार में उन्हें जो जिम्मेदारी मिली है उन्हें वो बेहद आक्रामक तरीके से अंजाम देंगे. 

विवेक रामास्वामी का क्या है एजेंडा

ट्रंप सरकार में अहम जिम्मेदारी निभाने जा रहे विवेक रामास्वामी अपने एजेंडों के लिए जाने जाते हैं. उनको एजेंडों में यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म कराना, बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना और संघीय विभागों को बंद करने की योजना भी रखते हैं. साथ ही साथ विवेक रामास्वामी शिक्षा विभाग, परमाणु नियामक आयोग, घरेलू राजस्व सेवा और एफबीआई को बंद करने की वकालत करते रहे हैं. 

चीन और रूस पर क्या है विवेक की राय 

अगर बात चीन और रूस के बीच के संबंध पर विवेक रामास्वामी की राय की करें तो वो शुरू से इन दोनों देशों को अमेरिका का दुश्मन मानते हैं. विवेक रामास्वामी मानते हैं कि उनके अनुसार रूस के खिलाफ यूक्रेन को अधिक हथियार देना, रूस को चीन के हाथों में धकेलने जैसा है. रामास्वामी मानते हैं कि वोट देने की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर 25 साल किया जाना चाहिए. 

सोशल मीडिया की आलोचना कर चुके हैं रामास्वामी

विवेक रामास्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और उनके प्रोडेक्ट को लत लगाने वाला बताते हुए इसकी आलोचना की थी. रामास्वामी ने कहा था कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल जब 12-13 साल के बच्चे करते हैं तो उनपर इसका बुरा असर पड़ता है. मैं इसे लेकर चिंतित हूं. राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारी तय करने के क्रम में हुए रिपब्लिकन डिबेट के दूसरे चरण में उन्होंने बच्चों द्वारा सोशल मीडिया इस्तेमाल करन पर बैन लगाने की बात भी कही थी. उनका तर्क था कि हमें देश के मानसिक सेहत को सुधारने पर काम करने की जरूरत है.

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