जब एस्टोनिया की प्रधानमंत्री काजा कैलास नवंबर में वाशिंगटन गईं, तो उन्होंने सिर्फ व्हाइट हाउस के अधिकारियों से मुलाकात नहीं की... उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रमुख सहयोगियों से भी बात की. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, यह इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे दुनिया भर के देश व्हाइट हाउस में ट्रम्प की संभावित वापसी के लिए तैयारी कर रहे हैं. यह एक वास्तविकता है, जो इस सप्ताह दावोस में वैश्विक बैठकों में गूंजने की संभावना है, क्योंकि आयोवा कॉकस में पूर्व राष्ट्रपति की शानदार जीत ने रिपब्लिकन नामांकन पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्रंप के अच्छे संबंध रहे हैं... लेकिन कई देश ऐसे भी हैं, जो ट्रंप की संभावित वापसी को लेकर सहज नहीं हैं.
कुछ लोग तो सीधे ट्रम्प के पास पहुंच गए
2016 के राष्ट्रपति चुनाव ने ट्रम्प, उनके अमेरिकी सहयोगियों और प्रतिद्वंद्वियों दोनों को चौंका दिया था. इस बार नेता कोई जोखिम नहीं लेना चाहते. वाशिंगटन के दूतावास रो के निवासी पूर्व राष्ट्रपति की विदेश नीति योजनाओं के बारे में जानने के लिए पूर्व अधिकारियों और उनके करीबी लोगों से मिलने के लिए शहर में घूम रहे हैं. कुछ लोग तो सीधे ट्रम्प के पास पहुंच गए हैं, उनके अहंकार को बढ़ावा दे रहे हैं... या एस्टोनिया के मामले में उनकी आदतन शिकायत को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं कि यूरोप रक्षा पर पर्याप्त खर्च नहीं कर रहा है.
ट्रम्प की वापसी की संभावना कई अधिकारी कर चुके...
यूरोपीय सेंट्रल बैंक की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने ट्रम्प के पहले कार्यकाल के सबक का हवाला देते हुए पिछले हफ्ते फ्रांसीसी टीवी से कहा, "यह स्पष्ट रूप से एक खतरा है." इधर ईयू, जो स्टील और एल्यूमीनियम पर अमेरिकी टैरिफ को लेकर ट्रम्प प्रशासन के साथ जैसे को तैसा व्यवहार करने वाले, अमेरिका के साथ "ट्रम्प प्रूफ" समझौते करना चाहता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ये प्रयास कितने सफल होंगे. यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ राजनयिक ने ट्रम्प की वापसी की संभावना 50-50 बताई. उनकी संभावित वापसी का जिक्र कई बार आधिकारिक बैठकों में हो चुका है.
यूरोप भी चिंतित!
ट्रंप की संभावित वापसी की खबर से सबसे गंभीर आवाजें यूरोप में सुनी जा रही हैं, जहां सरकारें रूसी संबंधों, यूक्रेन युद्ध और नाटो के भविष्य पर ट्रम्प 2.0 के संभावित प्रभाव के लिए तैयारी कर रही हैं. कई यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल ट्रम्प के प्रतिनिधियों और उनके नीति मंच पर काम कर रहे हेरिटेज फाउंडेशन तक पहुंचने के लिए वाशिंगटन जा रहे हैं. इसका उद्देश्य आंशिक रूप से यह पता लगाना है कि उनके प्रशासन का हिस्सा कौन हो सकता है, ताकि क्या अपेक्षा की जाए इस पर बेहतर नियंत्रण प्राप्त किया जा सके. साथ ही यह संदेश दिया जा सके कि यूरोप रक्षा के मामले में अपने तरीके से भुगतान कर रहा है.
2008-2012 तक अमेरिका में जापान के राजदूत इचिरो फुजिसाकी के अनुसार, व्यक्तिगत संबंधों को कुंजी के रूप में देखा जाता है, जिसे पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने शुरू से ही समझ लिया था. उन्होंने कहा, "अबे-सान का तरीका गोल्फ खेलना और साथ में काफी समय बिताना था. साथ ही व्यक्तिगत रूप से इस बारे में बात करना कि उन्हें क्या चाहिए और उन्होंने ट्रम्प के लिए क्या किया है."
कोई जोखिम न लेते हुए स्वीडन, फ़िनलैंड और डेनमार्क ने दिसंबर में वाशिंगटन के साथ रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए. फ़िनलैंड अमेरिका से 64 F-35A लड़ाकू विमान खरीद रहा है, और पिछले महीने उसने गोलों के शेल उत्पादन को दोगुना करने के लिए निवेश की घोषणा की थी.
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, जो अतीत में ट्रम्प के पसंदीदा थे, उन्होंने जो बाइडेन के लिए अपनी पसंद को लेकर कोई रहस्य नहीं बनाया, और बर्लिन में इस बात को लेकर चिंता है कि नया ट्रम्प प्रशासन क्या ला सकता है? लेकिन जर्मनी भी आखिरकार रक्षा खर्च को गंभीरता से ले रहा है और बाल्टिक राज्यों में सेना तैनात करते हुए यूक्रेन की सैन्य मदद के लिए कदम बढ़ा रहा है. स्कोल्ज़ ने कहा है कि यदि अन्य (अमेरिका के अनुसार) कीव के लिए सहायता कम करते हैं, तो जर्मनी को इसमें कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
ट्रम्प की अमेरिका फर्स्ट की नीति...
कई अमेरिकी सहयोगी ट्रम्प की अमेरिका फर्स्ट की नीति और नाटो से बाहर निकलने की धमकियों को लेकर चिंतित हैं, उनकी संरक्षणवादी व्यापार नीतियों का तो जिक्र ही नहीं किया जा रहा है. एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में, कुछ नेता उनकी वापसी की संभावना का उल्लेख करने से भी डरते हैं, क्योंकि इसकी संभावना अधिक होने का डर है. बाल्टिक के एक अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन पर व्लादिमीर पुतिन के आक्रमण के तीसरे वर्ष में प्रवेश के साथ, 2024 यूरोप की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु हो सकता है. मध्य पूर्व में ट्रम्प का इजरायल को निर्विवाद रूप से समर्थन यूरोपीय संघ के कुछ राजनयिकों को परेशान कर रहा है, उन्हें लगता है कि गाजा युद्ध बढ़ सकता है, जिससे यूरोप की ओर जाने वाले शरणार्थियों की संख्या बेहद बढ़ जाएगी. लेकिन ग्लोबल साउथ के कुछ देश पूर्व राष्ट्रपति के अधिक लेन-देन वाले दृष्टिकोण में अवसर देखते हैं.
PM मोदी ने ट्रम्प के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाए
अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाए. भारत ने जो बाइडेन से ज्यादा पिछले प्रशासन को प्राथमिकता दी. बाइडेन प्रशासन नई दिल्ली को मानवाधिकारों पाठ-पढ़ाता रहा है. वहीं, बाइडेन प्रशासन चीन समर्थन हासिल करने की मांग करता रहा है, जिससे भारत के संबंध जगजाहिर हैं. इस बीच ट्रम्प ने भारतीय-अमेरिकी विवेक रामास्वामी को अपने साथी के रूप में चुना. ऐसे में ट्रंप की व्हाइट हाउस में संभावित वापसी भारत के लिए शुभ संकेत ही माने जा रहे हैं.
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