- पीटर नवारो अमेरिकी राष्ट्रपति के वफादार व्यापार सलाहकार हैं जो भारत के खिलाफ टैरिफ नीति का समर्थन करते हैं.
- नवारो ने ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन पर टैरिफ के निर्णय को प्रभावित किया, व्यापार नीति में अहम भूमिका निभाई
- वे हार्वर्ड से PhD धारक अर्थशास्त्र और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर हैं और टैरिफ के समर्थक रहे हैं.
कभी रूस-यूक्रेन युद्ध को ‘मोदी का युद्ध' बताया, कभी कहा कि भारत रूस के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का काम करता है, तो कभी कह दिया कि भारत रूस से जो तेल खरीद रहा है उससे केवल ब्राह्मण (अमेरिका के संदर्भ में अभिजात्य वर्ग) फायदा कमा रहे हैं… यह कहने वाले शख्स का नाम है पीटर नवारो जो अमेरिका राष्ट्रपति के व्यापार सलाहकार है. पीटर नवारो ट्रंप के लिए वो वफादार बनकर निकले हैं जो "येन केन प्रकारेण" भारत के खिलाफ अमेरिका राष्ट्रपति के 50 प्रतिशत वाले टैरिफ नीति को सही साबित करने में लगे हैं, भले इसके लिए उन्हें लॉजिक से दूरी ही क्यों न बनानी पड़े.
ट्रंप के पहले कार्यकाल से ही साथ
2016 में जब ट्रंप ने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपना कैंपेन शुरू किया था तब से ही पीटर नवारो उनके वफादार हैं. नवारो ने लगातार ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का समर्थन किया है, वो भी ट्रंप की तरह ही मानते हैं कि टैरिफ को एक ऐसे हथकंडे के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिसकी मदद से रणनीतिक मुद्दों को भी साधा जा सके. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने टैरिफ के मामले पर ट्रंप के विचारों को बहुत प्रभावित किया है. ट्रंप ने जब अपने पहले कार्यकाल के दौरान चीन पर टैरिफ लगाने का निर्णय लिया था तो उसके पीछे भी नवारो की बड़ी भूमिका मानी जाती है.
75 साल के नवारो अर्थशास्त्र और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर हैं. उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पीएचडी की है. वो अपने लेक्चर और आर्टिकल में लगातार लिखते रहे हैं कि अमेरिकी वस्तुओं पर दूसरे देशों में लगने वाले उच्च टैरिफ एक बड़ी समस्या है और उसका समाधान भी उन देशों से होने वाले आयात पर टैरिफ लगाकर किय जा सकता है.
4 महीने जेल में भी गुजारे हैं
खास बात है कि नवारो ने ट्रंप के उस झूठे दावे का भी समर्थन किया था कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव ट्रंप ने जीता था लेकिन बाइडेन को गलत तरीके से जिता दिया गया. जनवरी 2021 के यूएस कैपिटल दंगों में भी नवारो का नाम जुड़ा और दंगों की जांच करने वाली एक समिति ने नवारो को सामने पेश होने के लिए सम्मन भेजा था लेकिन वो नहीं गए. सम्मन की अवहेलना करने के लिए उन्हें चार महीने की सजा काटनी पड़ी और 2024 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.
चीन के कट्टर आलोचक
नवारो को चीन का कट्टर आलोचक माना जाता है. सरकार में शामिल होने से पहले, नवारो ने चीन पर कई किताबें लिखीं. द कमिंग चाइना वॉर्स (2006) में, उन्होंने लिखा कि चीन के आर्थिक और सैन्य उदय के कारण दुनिया को खतरा होगा.