भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की होगी बैठक, LAC पर दोनों देशों के पीछे हटने के बाद पहली उच्च स्तरीय बातचीत

पिछले महीने कई दौर की सैन्य और सरकार स्तर की बातचीत के बाद भारत और चीन ने अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस जाने के लिए एक समझौते की घोषणा की थी

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रक्षा मंत्रि राजनाथ सिंह लाओस में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक करेंगे.
नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) अपने चीनी समकक्ष डोंग जून (Dong Jun) से मुलाकात करेंगे. पिछले महीने पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के पीछे हटने और पिछले हफ्ते भारत द्वारा देपसांग क्षेत्र में गश्त फिर से शुरू करने के बाद यह पहली मंत्री स्तरीय बैठक होगी. सूत्रों ने शुक्रवार को एनडीटीवी को यह जानकारी दी. 

पूर्व नौसेना कमांडर डोंग को पिछले साल दिसंबर में नियुक्त किया गया था. राजनाथ सिंह की डोंग से लाओस में 20 नवंबर से शुरू होने वाले दो दिवसीय 10-राष्ट्रों के आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात होगी.

अप्रैल 2023 के बाद पहली बार दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात होगी. अप्रैल 2023 में चीन के ली शांगफू शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली आए थे. इस बैठक को दोनों पक्षों का एक-दूसरे पर भरोसा कायम करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय के रूप में देखा जा रहा है. 

दिल्ली और बीजिंग मई और जून 2020 में गलवान और पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसा के बाद टूटे पुलों को फिर से बना रहे हैं. दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध में 20 भारतीय सैनिकों मौत हो गई थी. दोनों पक्षों ने सैन्य तैनाती भी बढ़ा दी थी.

मोदी-शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सुधरने लगे संबंध

एनडीटीवी को मिली जानकारी के अनुसार, पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद, यह उच्च स्तरीय बैठकों की श्रृंखला में दूसरी बैठक है. इनमें से प्रत्येक बैठक को भारत-चीन संबंधों को और अधिक गहन बनाने की दिशा में एक और कदम के रूप में देखा जाएगा.

इस समय यह स्पष्ट नहीं है कि अगले कदम क्या होंगे या क्या बाद में रक्षा मंत्रियों के बीच या इसी तरह की उच्च-स्तरीय बैठकें होंगी. क्या दोनों पक्ष सैनिकों को 2020 से पहले की स्थिति में वापस जाने की अनुमति देंगे. हालांकि, दोनों सेनाओं ने कई वर्षों बाद दिवाली के दौरान मिठाइयों का आदान-प्रदान किया.

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यहां एक महत्वपूर्ण बात पिछले चार सालों में सैन्य निर्माण का पैमाना है. चीनियों ने सैनिकों और उपकरणों की तैनाती में तेजी लाने के लिए पुलों, नए ठिकानों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बहुत काम किया. इनमें से कुछ ठिकानों के आकार पर भी ध्यान नहीं दिया गया. पिछले महीने पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर एक नए अड्डे की उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण करने वाले वरिष्ठ भारतीय सैन्य सूत्रों ने कहा कि यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के चीनी हिस्से पर "किसी भी अन्य से अलग" है.

समझौते के बाद पीछे हटी चीनी सेना

चीनी अड्डा उच्च ऊंचाई वाली पैंगोंग झील पर बने नए पुल से 15 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. इसे बीजिंग ने एलएसी के पास के उन क्षेत्रों में दबाव बढ़ाने के लिए बनाया था जो पहले खाले थे. जुलाई में एनडीटीवी ने उत्तर में किलेबंद स्थलों के बारे में रिपोर्ट की थी. इसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बैटरी की मौजूदगी भी बात थी. हालांकि, समझौते के बाद चीन ने पीछे हटना शुरू कर दिया.

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समझौते के कुछ दिनों बाद एनडीटीवी को सैटेलाइट तस्वीरें मिलीं, जिनमें देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी दिखी. इससे 10 दिन पहले भारत ने कहा था कि उसने देपसांग में एक पॉइंट तक गश्त पूरी कर ली है.

पिछले महीने सैन्य और सरकारी स्तर की कई दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने पेट्रोलिंग एग्रीमेंट की घोषणा की. इसके तहत दोनों देश अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ गए हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने NDTV से विशेष बातचीत में समझौते की पुष्टि की और एक दिन बाद, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना चीन पर फिर से "भरोसा करने की कोशिश" कर रही है.

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लेकिन शायद भारत-चीन संबंधों के सामान्य होने का सबसे बड़ा संकेत तब मिला जब प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की.

देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी और पेट्रोलिंग 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों पर और एक साल बाद सितंबर में विवादास्पद गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में इसी तरह की कार्रवाइयों के बाद शुरू हुई है. हर मामले में दोनों पक्ष अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस चले गए हैं.

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