कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज (Corona Vaccine Third Dose) भी आपको लगाई जा सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सिफारिश की है कि कमजोर प्रतिरोधी क्षमता (weak immune system) वाले व्यक्तियों को कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी डोज दी जानी चाहिए. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने सामान्य स्वास्थ्य वाले लोगों को बूस्टर डोज (booster dose) देने पर कम से कम इस साल के अंत तक रोक लगाने की वकालत की है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को मान्यताप्राप्त कोई भी कोविड वैक्सीन का तीसरा डोज दिया जा सकता है.
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यूएन हेल्थ एजेंसी के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की सिनोवैक और सिनोफार्म की वैक्सीन (China's Sinovac and Sinopharm vaccines) की दोनों डोज ले चुके 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को तीसरी वैक्सीन डोज दी जा सकती है. हालांकि डब्ल्यूएचओ के इम्यूनाइजेशन सलाहकार समूह ने स्पष्ट किया है कि वो सभी के लिए कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज की सिफारिश नहीं कर रहे हैं.
जैसा कि अमेरिका, यूएई, इजरायल जैसे कुछ देशों में किया जा रहा है. संगठन ने कहा कि पूरी दुनिया में हर व्यक्ति को कम से कम एक वैक्सीन डोज लग जानी चाहिए, उसके बाद ही सभी को बूस्टर डोज के बारे में सोचा जा सकता है. डब्ल्यूएचओ ने सितंबर तक हर देश की 10 फीसदी आबादी के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस मंजिल से 56 फीसदी कम ही हासिल हो पाया है. लेकिन अमीर देशों में से 90 फीसदी ने ये टारगेट हासिल कर लिया.
गौरतलब है कि दुनिया के अमीर देशों में तो 60-70 फीसदी लोगों को कोरोना की कम से कम एक वैक्सीन लग चुकी है. भारत में भी कोरोना वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 करोड़ के करीब पहुंचने वाला है. लेकिन गरीब देशों में अभी भी 5 फीसदी आबादी का भी वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है. इससे कोरोना के पूरी तरह खात्मे के लक्ष्य पर सवाल उठने लगे हैं.
क्या फ्रंटलाइन, हेल्थ वर्कर,डॉक्टर की दी जानी चाहिए कोरोना की बूस्टर डोज?