चीन में कोराना जैसे वायरस HMPV से मचा है हाहाकार, जानें बीजिंग से पत्रकार ने क्या-क्या बताया

भयावह कोरोना महामारी से उबरे अभी थोड़ा वक्त भी नहीं हुआ है कि लोग फिर से डरने लगे हैं. उन्हें लग रहा है कि कहीं एक और कोई महामारी उनका चैन न छीन ले, क्योंकि इस तरह की खबरें भारतीय व कुछ देशों की मीडिया में सामने आ रही हैं कि चीन में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं. चीन में पिछले 15 सालों से पत्रकारिता कर रहे अनिल आजाद पांडे ने वहां के हालात के बारे में बताया है. पढ़ें

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कोरोना के बाद अब चीन को लेकर कहा जा रहा है कि वहां HMPV वायरस के चलते बुरे हालात हैं. सोशल मीडिया में दिखाया जा रहा है कि वहां के अस्पतालों में लोगों की भीड़ है, लोग मर रहे हैं और स्थिति खतरनाक हो चुकी है. इतना ही नहीं श्मशान घाट तक फुल हो चुके हैं. सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा दिखाया जा रहा है कि मानो हालात वाकई काबू से बाहर हैं. इनमें चीन के अस्पतालों में मास्क पहने हुए मरीज नजर आ रहे हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कहीं एक और महामारी न दस्तक दे दे, जिससे आम लोग खौफ़ज़दा हो गए हैं, उनके मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर चीन में हो क्या रहा है. चीन की राजधानी बीजिंग में रहते हुए मैंने जो देखा है, जो महसूस किया है उसे बताने की कोशिश रहेगी.

चीन के बड़े शहरों कोई बंदिश नहीं

बीजिंग, शंघाई, क्वांगचो, शनचन और अन्य शहरों में कहीं भी घबराने या तनाव वाला माहौल नजर नहीं आ रहा है, यानी सब कुछ सामान्य ढंग से चल रहा है. बाजारों, ट्रेन स्टेशनों, बस अड्डों और एयरपोर्ट्स पर लोग बिना किसी बंदिश के घूमते हुए दिख रहे हैं. होटल, रेस्टोरेंट और बार भी संचालित हो रहे हैं. एक शहर से दूसरे शहर जाने में भी कोई पाबंदी नहीं है. इतना ही नहीं ऑफिस जाने वाले लोग नॉर्मल ढंग से काम कर रहे हैं. कोविड-19 की तरह न कोई स्कैनिंग हो रही है और न कोई जांच. इस महीने के अंत में चीनी परंपरागत नव वर्ष मनाया जाएगा.  इसकी तैयारियां जोरों पर हैं, बाज़ारों को उत्सव के लिए सजाया जा रहा है. लाल रंग(शुभ रंग माना जाता है) से जुड़ीं विभिन्न वस्तुओं से दुकानें और मॉल भर गए हैं. चीनी लोगों में वायरस का कोई खौफ नहीं है, क्योंकि न्यू ईयर के दौरान कई दिनों की छुट्टियां रहती हैं और चीनी लोग देश-विदेश घूमने के लिए प्लान बना चुके हैं. इस बीच चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम सेंटर का कहना है कि यह कोई नया वायरस नहीं है. ऐसे में घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी जरूर बरतनी चाहिए. बीजिंग में यूआन अस्पताल के एक डॉक्टर ली थोंगचंग के अनुसार-अब तक किसी भी मरीज में वायरस का कोई नया स्ट्रेन नहीं पाया गया है हालांकि स्थानीय मीडिया की कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन के बड़े शहर फ्लू के पीक सीज़न में पहुंच गए हैं.


चीन की सरकार HMVP से लोगों के बीमार होने की बात से कर रहे इंकार

दरअसल, चीन में आजकल कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. इस बीच पिछले कुछ हफ्तों से देश के उत्तरी इलाकों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के संक्रमण के मामलों में इजाफा हुआ है. चीन सरकार व चीनी विशेषज्ञ एचएमपीवी के संक्रमण से लोगों के बीमार होने की बात से इनकार नहीं कर रहे हैं. उनका कहना है कि इसके कारण पीड़ित मरीज़ों में सिरदर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द के अलावा सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण दिख रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक सीज़नल फ्लू की तरह है, जैसा कि लगभग हर साल सर्दियों में होता है, हालांकि इस बार पहले की तुलना में ज्यादा लोगों को इस वायरस ने अपनी चपेट में लिया है. यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को संक्रमित कर रहा है.

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हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कहा HMPV कोरोना वायरस की तरह नहीं

मीडिया में जारी खबरों के उलट हेल्थ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि HMPV कोरोना वायरस की तरह नहीं है. यह वायरस कई दशकों से मौजूद है, अकसर छोटे बच्चे इससे संक्रमित होते रहते हैं, लेकिन यह भी हकीकत है कि यह कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों और लोगों को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि एचएमपीवी में अकसर श्वसन नली के ऊपरी हिस्से में संक्रमण होता है. इसके लक्षण लगभग फ्लू की तरह ही लगते हैं, पर मरीज दवा लेने के बाद कुछ दिन में ठीक हो जा रहे हैं. इस बीच डॉक्टर मास्क पहनने और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर कम से कम जाने की सलाह दे रहे हैं. जैसा कि आमतौर पर फ्लू के इंफेक्शन में कहा जाता है. इसके साथ ही चीनी सोशल मीडिया पर भारतीय न्यूज़ चैनलों में दिखाए जा रहे समाचारों का मज़ाक भी उड़ाया जा रहा है. ऐसे वीडियो के साथ चीन के बाज़ारों और स्टेशनों में लोगों की बेरोकटोक आवाजाही की क्लिपिंग लगाकर पोस्ट की जा रही हैं.

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जानें चीन की सरकार ने क्या कहा

उधर, चीन सरकार का कहना है कि यह प्रमुख फ्लू स्ट्रेन एच1एन1 प्रकार का इंफलुएंजा ए है. चीन ने स्वीकार किया है कि इसके मामलों में इजाफा हुआ है. विशेष तौर पर छोटे बच्चों और बुजुर्गों को इस फ्लू से ज्यादा खतरा है. यहां बता दें कि आजकल उत्तरी चीन में बहुत ठंड पड़ रही है, इस तरह इसे मौसमी फ्लू कहा जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक एचएमपीवी को सबसे पहले साल 2001 में नीदरलैंड में पहचाना गया था. यह वायरस लोगों के बीच सीधे संपर्क से फैलता है या जब कोई व्यक्ति इससे दूषित सतहों को छूता है. ज़्यादातर लोगों में खांसी, बुखार और नाक बंद होना जैसे लक्षण दिखते हैं.

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कोविड के दौरान तो चीन में था ये हाल

मैं कोविड-19 महामारी के दौरान चीन में ही मौजूद था. उस दौरान वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सख्त पाबंदियां लगाई गई थीं. बिना हेल्थ कोड स्कैन करे बिना बाज़ार या आफिस जाने की अनुमति नहीं थी. जैसा कि हम जानते हैं कि हाल के वर्षों में कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई, इसके कारण लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. कई देशों में हालात इतने बेकाबू हो गए थे कि देखकर भी किसी की रूह कांप जाए. शायद ही दुनिया का कोई ऐसा देश होगा जहां कोविड-19 वायरस ने अपना कहर न बरपाया हो. इससे आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ और करोड़ों लोगों की नौकरियां चलीं गयीं. एक शहर से दूसरे शहर जाना भी बहुत मुश्किल हो गया था. और एक देश से दूसरे देश जाने में तमाम तरह की पाबंदियां भी लोगों ने झेलीं. अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में हमें किसी और महामारी का सामना न करना पड़े.

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