दुनिया के सामने चीन का शक्ति प्रदर्शन, विक्ट्री डे परेड में दिखाई नई मिसाइलें DF-61 और JL-3

चीन ने आज पहली बार अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए जेट लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और न्यू इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सहित अपने कुछ आधुनिक हथियारों को दुनिया को दिखाया.

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  • चीन ने आज अपनी विक्ट्री परेड के जरिए दुनिया को सैन्य ताकत से रूबरू कराया
  • परेड में आधुनिक लड़ाकू विमान, मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध हार्डवेयर को दिखाया गया
  • परेड में रूस के राष्ट्रपति पुतिन, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन समेत 26 विदेशी नेता शामिल
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बीजिंग:

अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क है, जाहिर सी बात है कि इसमें कोई दोराय नहीं है. लेकिन अमेरिका की बादशाहत को अब एशियन मुल्क चीन चुनौती देता दिख रहा है. चीन मानता है कि वो दिन दूर नहीं जब वो तरक्की के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ देंगे. अपनी इसी महत्वकांक्षा को लेकर चीन आज दुनिया के सामने अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है. चीन अपनी बढ़ती कूटनीतिक और सैन्य ताकत का प्रदर्शन करने के लिए अब तक की सबसे बड़ी सैन्य परेड का आयोजन कर रहा है, इस परेड में उसके आधुनिक लड़ाकू विमान, मिसाइल और न्यू इलेक्ट्रॉनिक युद्ध हार्डवेयर शामिल है. विक्ट्री डे परेड में पहली बार DF-61 और JL-3 जैसे अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम को सार्वजनिक रूप से दिखाया गया.

क्या-क्या दिखा परेड में?

बीजिंग में आयोजित विक्ट्री डे परेड में चीन ने DF-61 बैलिस्टिक मिसाइल को दिखाया, जो परमाणु क्षमता से लैस है और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम है. इसके साथ ही JL-3 मिसाइल, जो पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती है और अमेरिका तक पहुंचने की क्षमता रखती है. इस परेड का प्रमुख हिस्सा रही. चीन ने समुद्री युद्ध में अपनी बढ़ती ताकत को दर्शाने के लिए एंटी-शिप मिसाइलें भी प्रदर्शित कीं. इसके अलावा, कॉम्बैट ड्रोन को दिखाया जो कि निगरानी और हमले दोनों में सक्षम हैं, और साथ ही लेज़र हथियार व इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम भी परेड में शामिल थे. इन सभी हथियारों ने चीन की तकनीकी और रणनीतिक क्षमता को दुनिया के सामने मजबूती से पेश किया.

चीन की विक्ट्री परेड में दुनिया के नेताओं की शिरकत

द्वितीय विश्वयुद्ध में ‘जापान के आक्रमण' के खिलाफ मिली जीत की 80वीं सालगिरह मनाने के लिए आयोजित इस परेड में सैकड़ों सैनिक शामिल हो रहे हैं. हथियारों के अलावा परेड में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और ईरान, मलेशिया, म्यांमा, मंगोलिया, इंडोनेशिया, ज़िम्बाब्वे और मध्य एशिया के नेताओं समेत 26 विदेशी नेता शिरकत कर रहे हैं. भारत के पड़ोस से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू परेड में शामिल होने पहुंचे हैं.

विक्ट्री परेड की खास बातें-

  • DF-61 मिसाइल को चीन की नई पीढ़ी की भूमि-आधारित बैलिस्टिक मिसाइल माना जा रहा है, जो परमाणु क्षमता से लैस हो सकती है.
  • JL-3 मिसाइल चीन की पनडुब्बियों से लॉन्च की जाने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जो अमेरिका तक मार करने में सक्षम बताई जा रही है.
  • चीन की इस परेड में 10,000 से अधिक सैनिकों ने भाग लिया और सैकड़ों आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया गया.
  • राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने परेड के दौरान सैनिकों का अभिवादन किया और उन्हें देश की सुरक्षा और गौरव का प्रतीक बताया.
  • परेड में चीन की सैन्य ताकत का भव्य प्रदर्शन हुआ, जिसमें ड्रोन, फाइटर जेट्स, अंडरवॉटर हथियार और लेज़र सिस्टम भी शामिल थे.
  • यह परेड न केवल चीन की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन है बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है. खासकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए.
  • इस परेड में शी जिनपिंग के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन भी मौजूद हैं. यह पहली बार है जब ये तीनों नेता एक साथ दिखाई दिए.

 

किम-जोंग उन भी स्पेशल ट्रेन से चीन पहुंचे

उत्तर कोरियाई नेता किम-जोंग उन भी चीन की अपनी दूसरी यात्रा पर ट्रेन से बीजिंग पहुंच चुके हैं, जहां उनका भव्य स्वगात किया गया. उन्होंने 2019 में पहली बार चीन की यात्रा थी. दरअसल उनकी पहली यात्रा के बाद चीन और उत्तर कोरिया के बीच मतभेद की अफवाहें फैली थीं. बताया जाता है कि एकांतप्रिय नेता किम चीन के नियंत्रण से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे और उन्होंने इसके लिए यूक्रेन युद्ध में भाग लेने के लिए अपने सैनिकों को भेजकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ घनिष्ठता बढ़ानी शुरू की थी.

विक्ट्री परेड के पीछे चीन का क्या मकसद

बीजिंग में विशेष रूप से एक सैन्य परेड में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, पुतिन और किम की एक साथ उपस्थिति चीन द्वारा अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक कड़ा संदेश भेजने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने पुतिन और किम दोनों को वाशिंगटन के पाले में लाने के लिए उन्हें लुभाने की कोशिश की थी. बीजिंग में तीनों नेताओं की मुलाकात तियानजिन में 10 सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के हाई-प्रोफाइल शिखर सम्मेलन के बाद हो रही है. एससीओ शिखर सम्मेलन में ट्रंप द्वारा रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शी और पुतिन के साथ बैठकों की चर्चा रही.

अमेरिका को भी ताकत से रूबरू करा रहा चीन

द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी आक्रमण के खिलाफ चीन के प्रतिरोध की स्मृति में आयोजित परेड में विदेशी नेताओं की उपस्थिति जापान और चीन के बीच एक कूटनीतिक विवाद का कारण बन गई है, क्योंकि टोक्यो (जापान) ने विश्व नेताओं से इसमें भाग लेने से परहेज करने की अपील की थी. चीन ने विश्व नेताओं से इस कार्यक्रम में शामिल न होने के जापान के अनुरोध पर राजनयिक विरोध दर्ज कराया है. चीन अपने वैश्विक प्रभाव और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, जिसे शी जिनफिंग की छवि को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. इस परेड को जून में अमेरिकी सेना द्वारा शक्ति प्रदर्शन के लिए आयोजित परेड का जवाब माना जा रहा है.

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