चीन ने श्रीलंका के तीन द्वीपों में हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की एक परियोजना पर भारत के विरोध की खबरों के बीच तीसरे पक्ष की सुरक्षा संबंधी चिंता का हवाला देते हुए रोक लगा दी है. newsfirst.lk समाचार वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी में चीनी फर्म सिनो सोअर हाइब्रिड टेक्नोलॉजी को जाफना के तट से दूर डेल्फ़्ट, नागादीपा और अनलथिवु द्वीपों पर एक हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. तीन टापू तमिलनाडु के करीब स्थित हैं.
भारत का नाम लिए बिना चीनी दूतावास ने बुधवार को एक ट्वीट में पुष्टि की कि श्रीलंका में उत्तरी द्वीपों में सौर ऊर्जा प्रणाली परियोजना को तीसरे पक्ष द्वारा व्यक्त की गई सुरक्षा चिंताओं के कारण निलंबित कर दिया गया है. चीनी दूतावास ने कहा कि इसके बजाय, बीजिंग ने मालदीव में 12 द्वीपों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए 29 नवंबर को एक कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं.
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Newsfirst.lk की रिपोर्ट के अनुसार 2021 की शुरुआत में भारत ने डेल्फ़्ट, नागदीपा और अनलथिवु में श्रीलंका से चीनी कंपनी को सोलर पावर प्लांट बनाए जाने का ठेका दिए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी. यह अनुबंध सहायक विद्युत आपूर्ति विश्वसनीयता सुधार परियोजना का हिस्सा था, जिसे सीलोन विद्युत बोर्ड (सीईबी) द्वारा कार्यान्वित किया जाता और इसे एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा वित्त पोषित किया जाता.
पिछले महीने श्रीलंका सरकार ने कोलंबो पोर्ट पर ईस्टर्न कंटेनर टर्मिलन के निर्माण का ठेका चीन की कंपनी को दिया है, जबकि यह ठेका पहले भारत और जापान को दिया जाना था और श्रीलंका इसके लिए प्रतिबद्ध भी था.
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बीजिंग के विवादास्पद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत श्रीलंका में विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में चीन सबसे बड़े निवेशकों में से एक है. लेकिन इसकी स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमकर आलोचना हुई. उधर, इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया है.
श्रीलंका ने 1.2 अरब डॉलर कर्ज के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हम्बनटोटा बंदरगाह को 99 वर्षों के लिए एक चीनी कंपनी को 2017 में पट्टे पर दे दिया था.
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