- ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पुलिस और सैनिकों ने ड्रग-ट्रैफिकिंग गैंग पर बड़ी कार्रवाई, 81 गिरफ्तार.
- रियो के फेवेलस में ड्रग कार्टेल का कब्जा कई दशकों से है और यह इलाके हिंसा और अपराध का केंद्र बने हुए हैं.
- कोमांडो वर्मेलो समूह ने 1980 के दशक में फेवेलस को ड्रग्स की तस्करी और खरीद-फरोख्त का प्रमुख स्थान बनाया था.
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में मंगलवार को 2,500 ब्राजीलियाई पुलिस और सैनिकों ने एक ड्रग-ट्रैफिकिंग गैंग पर बड़ी रेड की. इस रेड में 81 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया और गोलीबारी हुई जिसमें कम से कम 60 संदिग्ध और चार पुलिस अधिकारी मारे गए. पुलिस ने बताया कि इस ऑपरेशन में हेलीकॉप्टर और बख्तरबंद गाड़ियों में अधिकारी शामिल थे और उन्होंने कॉम्प्लेक्सो डी अलेमाओ और पेन्हा के कम आय वाले इलाकों में बदनाम रेड कमांड को निशाना बनाया. रियो डी जेनेरियो आज से नहीं बल्कि कई दशकों से ड्रग लॉर्ड्स के कब्जे में है. यहां पर ड्रग कार्टेल की कहानी को ऑर्गनाइज्ड क्राइम के मॉडर्न इतिहास की सबसे हिंसक कहानियों में से एक माना जाता है.रियो डी जेनेरियो में ड्रग्स का जाल गरीबी, ताकत, भ्रष्टाचार और जिंदा रहने के नाम पर इस तरह से बुना गया है जिसने ब्राजील के सबसे मशहूर शहर में जिंदगी को नर्क बना दिया है.
1970 से जारी खूनखराबा
रियो के ड्रग कार्टेल की जड़ें फेवेलस में हैं. फेवलेस यानी शहर के आस-पास की घनी पहाड़ी झुग्गियां या स्लम जहां पर बरसों से इस अपराध को आगे बढ़ाया जा रहा है. सन् 1970 के दशक में ब्राजील की मिलिट्री तानाशाही के दौरान पॉलिटिकल कैदियों और आम अपराधियों को एक साथ जेल में रखा जाता था. कैंडिडो मेंडेस (इल्हा ग्रांडे) की जेल के अंदर, इन लोगों ने ऐसे अलायंस बनाने शुरू किए जो बाद में शहर के ड्रग ट्रेड को कंट्रोल करने लगे.
इसी अलायंस से बना कोमांडो वर्मेलो या रेड कमांड, जो असल में गरीबों के बीच एकता का प्रचार करने वाला एक रेवोल्यूशनरी ग्रुप था. लेकिन जैसे ही 1980 के दशक में कोकेन बूम ने साउथ अमेरिका में जगह बनाई, ग्रुप आइडियोलॉजी से प्रॉफिट की तरफ मुड़ गया. उन्होंने रियो के फेवेलस को सेफ हेवन के तौर पर इस्तेमाल करते हुए कोकेन और मारिजुआना इंपोर्ट और बेचना शुरू कर दिया.
AK-47 वाले टीनएजर्स का शासन
लेकिन 1980 के दशक के अंत कोमांडो वर्मेल्हो ने रियो की पहाड़ियों को छोटे-छोटे राज्यों में बदल दिया था. यहां पर एके-47 से लैस टीनएज सोल्जर्स का राज चलता था. हर फेवेला एक मजबूत इलाका बन गया, जहां ड्रग कार्टेल कानून की तरह काम करता था. यहां पर वफादारी की कीमत होती थी, दो वक्त की, नौकरी और सिक्योरिटी. लेकिन यह यूनिटी भी ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकी. दुश्मन लीडर्स ने अलग होकर एमिगोस डॉस एमिगोस (एडीए ) और टेरसेइरो कोमांडो पुरो (टीसीपी) बनाए. इन दोनों संगठनों ने जमीन के लिए खूनी लड़ाइयां शुरू कर दीं. इसकी वजह से रियो दुनिया का एक सबसे खतरनाक शहर बन गया.
पुलिस ने बड़े ऑपरेशन शुरू किए लेकिन भ्रष्टाचार इतना ज्यादा था कि कई अधिकारी भी इसमें फंस गए. कई अधिकारियों ने स्मगलर्स के साथ मिलकर काम किया या मिलिट्री बनाई यानी एक ऐसा पैरामिलिट्री ग्रुप जो फवेला को 'साफ' करने का दावा करते थे लेकिन अक्सर खुद अपराध की दुनिया के राजा बन जाते थे. ये निवासियों से जबरन वसूली करते थे और नशीली दवाओं की बिक्री को नियंत्रित करते थे.
जंग का मैदान बना रियो
ड्रग्स के खिलाफ जंग ने पूरे इलाके को जंग के मैदान में बदल दिया है. हेलीकॉप्टर, आर्मर्ड कारें, और एलीट पुलिस यूनिट्स ने झुग्गियों में धावा बोला है जिसमें अक्सर आम लोगों की मौत हो गई है. रियो के कार्टेल कभी भी कोलंबिया या मेक्सिको जितने बड़े नहीं थे लेकिन वे कोकेन सप्लाई करने की एक अहम कड़ी थे. बोलीविया, पेरू और कोलंबिया से कोकेन की स्मगलिंग ब्राजील के बॉर्डर से की जाती थी और रियो के पोर्ट से बाहर भेजी जाती थी, खासतौर पर यूरोप और वेस्ट अफ्रीका में.
तीन ग्रुप्स में बंटा रियो
साल 2010 के दशक तक ड्रग्स का माहौल फिर से बदल गया. पुलिस के 'शांति प्रोग्राम' ने कुछ समय के लिए हिंसा कम की लेकिन ड्रग कार्टेल भी खुद को बदल चुके थे. उन्होंने साओ पाउलो के प्राइमेइरो कोमांडो दा कैपिटल यानी पीसीसी के साथ गठबंधन किया. यह ब्राजील का सबसे बड़ा क्रिमिनल ऑर्गनाइजेशन है. आज, रियो इन ग्रुप्स के बीच बंटा हुआ है:
कोमांडो वर्मेल्हो सबसे पुराना और सबसे ताकतवर ग्रुप.
टेर्सेइरो कोमांडो पुरो एक कट्टर दुश्मन.
मिलिशिया, जिनमें अक्सर पुराने पुलिस वाले होते हैं और कुछ इलाकों में कार्टेल से ज्यादा इलाके कंट्रोल करते हैं.
फेवलेस बन गया क्राइम का अड्डा
ये ग्रुप सिर्फ ड्रग्स के रास्तों के लिए ही नहीं, बल्कि पॉलिटिक्स, ट्रांसपोर्टेशन और रियल एस्टेट पर कंट्रोल के लिए भी लड़ते हैं. इससे देश में क्राइम एक बहुत बड़ी अंडरग्राउंड इकॉनमी बन चुका है. ब्राजील में ड्रग की लड़ाइयों में हजारों मासूमों की भी जानें गई हैं. फेवेलस में पूरी पीढ़ियां हिंसा के बीच बड़ी होती हैं. यहां पर कई परिवारों में बंदूक रखना पुलिस पर भरोसा करने से ज्यादा सुरक्षित लगता है. इसके बावजूद, लोकल कम्युनिटी म्यूजिक, आर्ट और एक्टिविज्म भी चलता है. आज, रियो के ड्रग कार्टेल भले ही बिखरे हैं लेकिन मजबूत हैं. सरकार दबाव और सामाजिक सुधार के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश कर रही है. फेवलेस, जहां से ड्रग्स की कहानी शुरू हुई थी, आज समस्या और एक अलग भविष्य की उम्मीद, दोनों का केंद्र बन चुके हैं.














