ट्रंप को मैसेज, पाकिस्‍तान साइडलाइन, पहलगाम का जिक्र... तियानज‍िन में हुए SCO सम्‍मेलन की 5 खास बातें 

शिखर सम्मेलन के दौरान, शी जिनपिंग ने अमेरिका-केंद्रित अंतरराष्‍ट्रीय व्यवस्था की रक्षा करने और गुटीय टकराव और धमकाने वाली प्रथाओं को अस्वीकार करने की अपील की है.

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  • तियानजिन में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत, रूस और चीन ने अमेरिका के टैरिफ वॉर के खिलाफ एकजुटता दिखाई.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का पर्दाफाश करते हुए पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की.
  • शिखर सम्मेलन में चीन और रूस ने अमेरिका-केंद्रित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आलोचना की और टकराव का विरोध किया.
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तियानजिन:

चीन के शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन का समापन सोमवार को हो गया. इस सम्‍मेलन में इस बार भारत, रूस और चीन के बीच एक नई केमेस्‍ट्री देखने को मिली. यह सम्‍मेलन ऐसे समय में हो रहा था जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भारत समेत अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर भारी टैरिफ लगा दिए हैं. टैरिफ ने अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर इस सम्‍मेलन को एक अहम वैश्विक सम्‍मेलन के तौर पर बना दिया. यह शिखर सम्मेलन भारत, रूस और चीन को एक मंच पर लेकर आ गया. तीनों देशों ने एक साथ आकर अमेरिका को एक बड़ा संदेश दिया है. यह सम्‍मेलन ऐसे मौके पर हुआ क्‍योंकि भारत और चीन समेत रूस अमेरिका के टैरिफ वॉर के बीच एक बेहतर विकल्‍प तलाशने की कोशिशों में लगा हुआ है. ए‍क नजर डालिए कि इस बार सम्‍मेलन की 5 बड़ी बातों पर. 

शरीफ के सामने पाकिस्‍तान को धोया  

इस सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्‍तानी पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का पर्दाफाश करने का मौका हरगिज नहीं गंवाया नहीं. पीएम मोदी ने सोमवार को पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया और कहा कि पहलगाम हमला न सिर्फ भारत की अंतरात्मा पर हमला है, बल्कि यह मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश के लिए एक खुली चुनौती भी है.

साथ ही उन्होंने आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड त्यागने की जोरदार वकालत की. बाद में, तियानजिन डिक्‍लरेशन में एससीओ के सदस्य देशों ने भी पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और भारत के इस रुख को दोहराया कि आतंकवाद से निपटने में 'दोहरे मानदंड' हरगिज मंजूर नहीं हैं. घोषणापत्र में नई दिल्ली के रुख की पुष्टि की गई और इस बात पर जोर दिया गया कि 'ऐसे हमलों के दोषियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.'  

अमेरिका के लिए बड़ा मैसेज 

यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा था जब भारत के साथ अमेरिका टैरिफ वॉर जारी है और ट्रंप की तरफ से रूस से तेल खरीदने की आलोचना की गई है. जो तस्‍वीरें सम्‍मेलन से आईं उनमें भारत, चीन और रूस के बीच सौहार्द साफ नजर आया. इन तस्‍वीरों से कहीं न कहीं यह इशारा मिलता है कि ट्रंप का टैरिफ का दांव एक बदली हुई जियो-पॉलिटिक्‍स का निर्माण कर सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन की एक सबसे प्रभावशाली तस्वीर X पर साझा की, जिसमें वे पुतिन और शी जिनपिंग के साथ बातचीत करते हुए दिखाई दे रहे हैं. विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने इस पर कहा कि शिखर सम्मेलन ने चीन और रूस की आपसी शक्ति को उजागर कर दिया है. साथ ही अमेरिका के लिए बढ़ते वैश्विक असंतोष का भी फायदा उठाया गया है. 

वहीं चाइना-ग्लोबल साउथ प्रोजेक्ट के चीफ एडीटर एरिक ओलैंडर ने न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि यह शिखर सम्मेलन 'वास्तव में शक्तिशाली दृष्टिकोण' पर आधारित था. उन्होंने आगे कहा, 'ब्रिक्स ने ही डोनाल्ड ट्रंप को कितना परेशान कर दिया है और यही इन समूहों का असली मकसद है.' रॉयटर्स के स्तंभकार क्लाइड रसेल ने भी शिखर सम्मेलन से पहले ही तर्क दिया था कि 'भारत पर ट्रंप के टैरिफ उनके इरादे के विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं, जिसका एक दुष्परिणाम यह होगा कि एक ऐसा देश, जो कभी एक सहयोगी रहा था, अमेरिकी विरोधियों के हाथों में चला जाएगा.' 

शिखर सम्मेलन के दौरान, शी जिनपिंग ने अमेरिका-केंद्रित अंतरराष्‍ट्रीय व्यवस्था की रक्षा करने और गुटीय टकराव और धमकाने वाली प्रथाओं को अस्वीकार करने की अपील की है. उन्होंने कहा, 'हमें द्वितीय विश्व युद्ध पर एक सही ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को बढ़ावा देना चाहिए और शीत युद्ध की मानसिकता, गुटीय टकराव और धमकाने वाली प्रथाओं का विरोध करना चाहिए.' उनके इस बयान को साफतौर पर अमेरिका के लिए एक सीधा संदेश माना गया. 

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प्रधानमंत्री मोदी की खरी-खरी 

पीएम मोदी और शी ने शिखर सम्मेलन में एकता का प्रदर्शन किया लेकिन उन्‍होंने भारत क्षेत्रीय अखंडता से जुड़े मुद्दों को भी उठाया. शी के साथ अपनी बातचीत के दौरान, मोदी ने सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया और बीजिंग से समर्थन मांगा—यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि चीन लगातार पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को काली सूची में डालने के भारत के प्रयासों में रोड़ा अटका रहा है. 

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा पार आतंकवाद को 'प्राथमिकता' बताया. जब उनसे पूछा गया कि क्या पीएम मोदी ने पहलगाम हमले और मई में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से चीनी हथियारों के इस्तेमाल का मसला उठाया, तो मिसरी ने विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया. उन्‍होंने कहा, 'मैं बस इतना कहूंगा कि, बारीकियों में जाए बिना, इस मुद्दे पर चर्चा हुई. प्रधानमंत्री ने इसे उठाया और उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी समझ को बहुत ही स्पष्ट और स्पष्ट रूप से बताया.' 

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पीएम मोदी ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर भी आपत्ति जताई, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि कनेक्टिविटी प्रोजेक्‍ट्स संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए, और इसे एससीओ चार्टर का मूल सिद्धांत बताया. 

तनावपूर्ण संबंधों में सुधार

इस शिखर सम्मेलन ने मोदी को चीन और तुर्की जैसे देशों के साथ तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का भी अवसर दिया. पीएम मोदी ने कहा कि कि 2024 में कजान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद भारत और चीन के बीच 'बेहद उपयोगी चर्चा' हुई, जिसने द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक सकारात्मक दिशा तय की है. उन्होंने कहा, "सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद, शांति और स्थिरता का माहौल बना है.' मोदी ने हाल के सकारात्मक घटनाक्रमों पर भी रोशनी डाली. इनमें सीमा प्रबंधन पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझौता, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और सीधी उड़ानें फिर से शुरू करना शामिल है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2.8 अरब लोगों के हित भारत-चीन सहयोग पर निर्भर हैं.  

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यूक्रेन युद्ध और भारत की तारीफ 

वहीं रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में संकट पश्चिमी देशों द्वारा उकसाए गए तख्तापलट के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ है. यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के प्रयास इस संघर्ष के मुख्य कारणों में से एक हैं. रूसी नेता ने कहा कि संघर्ष के कारणों को खत्‍म किया जाना चाहिए और दीर्घकालिक एवं स्थायी समाधान के लिए सुरक्षा संतुलन बहाल किया जाना चाहिए. पुतिन ने कहा कि रूस इस संकट के समाधान को आसान बनाने के उद्देश्य से चीन, भारत और अन्य रणनीतिक साझेदारों के प्रयासों और प्रस्तावों की सराहना करता है.