"इस वजह से दोनों देशों में है तनाव...", कनाडा से संबंध पर बोले भारत के उच्चायुक्त

कनाडा आतंकी निज्जर की हत्या के बाद से ही भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाता रहा है. कनाडा के इन तमाम आरोपों को भारत शुरू से बेतुका और बेबुनियाद बताता आ रहा है. भारत ने साफ कर दिया है आतंकी निज्जर की हत्या से उसका कोई लेना देना नहीं है.

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कनाडा में भारत के उच्चायुक्त का बड़ा बयान
नई दिल्ली:

कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने मंगलवार को नई दिल्ली और ओटावा के बीच तनाव की सबसे बड़ी वजह के बार में विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच तनाव की सबसे अहम वजह भारत के उस रुख को ना समझ पाना है, जिसके तहत भारत शुरू से ही विदेशी धरती पर दशकों पुराने मुद्दे (खालिस्तान) के उभरने की बात करता रहा है. मॉन्ट्रियल काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक बड़े खतरे की तरह रहा है. 

"भारत का भाग्य भारतीय ही तय करेंगे"

कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों को विदेशी करार देते हुए (क्योंकि उनके पास कनाडाई नागरिकता है, और भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है) वर्मा ने कहा कि विदेशियों की भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर बुरी नजर है. यह भारत के लिए एक बड़े खतरे की तरह है. ऐसे में मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि भारत का भाग्य भारतीय ही तय करेंगे, ना कि कोई विदेशी. 

"भारत का इससे कोई लेना देना नहीं है"

आपको बता दें कि बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे पर कनाडा में जो कुछ भी हो रहा है, वो ज्यादातर वहां की आंतरिक राजनीति के कारण है और इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है. कनाडाई पुलिस ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में शुक्रवार को कहा कि वे जांच कर रहे हैं कि क्या संदिग्धों के भारत सरकार से संबंध थे? 

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"कनाडा ने हमे आज तक कोई सबूत नहीं दिया"

विदेश मंत्री ने कहा था कि कनाडा ने कोई सुबूत नहीं दिया. वे कुछ मामलों में हमारे साथ कोई सबूत साझा नहीं करते, पुलिस एजेंसियां हमारे साथ सहयोग नहीं करतीं. भारत पर आरोप लगाना उनकी राजनीतिक मजबूरी है. कनाडा में चुनाव होने वाले हैं और वे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री का कई देशों के प्रमुख काफी सम्मान करते हैं. हाल में, प्रशांत महासागर क्षेत्र के एक देश के प्रधानमंत्री ने मोदी के पैर छुए थे जबकि आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मोदी को ‘बॉस' कहा था. यहां तक कि (अमेरिका के) राष्ट्रपति (जो) बाइडन ने मोदी की लोकप्रियता का कारण जानना चाहा था.

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