क्या अब इंटरपोल की मदद से हसीना को वापस ला पाएगी यूनुस सरकार? जानें क्या कहता है कानून

भारत और बांग्लादेश के बीच साल 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि हुई थी. इसके तहत दोनों देशों को दोषी ठहराए गए भगोड़ों को सौंपने की अनुमति है. हालांकि, राजनीतिक मामलों में इस संधि को कोई लेना-देना नहीं है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने गैरमौजूदगी में मौत की सजा सुनाई गई है.
  • बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इंटरपोल के माध्यम से भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित कराने की योजना बना रही है.
  • भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में हुई प्रत्यर्पण संधि राजनीतिक मामलों में लागू नहीं होती है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
ढाका:

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनकी गैरमौजूदगी में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने मौत की सजा सुनाई. हसीना बांग्लादेश छोड़ने के बाद से भारत में ही मौजूद हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर उनको वापस कैसे लाया जाए. आइए जानते हैं कि इंटरपोल के तहत बांग्लादेश हसीना को भारत से ला सकता है या नहीं. यह भी जानेंगे कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत क्या भारत ऐसा करने के लिए मजबूर होगा. 

भारत सरकार से किया गया संपर्क 

हसीना के लिए सजा के ऐलान के बाद ही यूनुस सरकार की तरफ से भारत को संपर्क किया गया. इस बीच चर्चा है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इंटरपोल की मदद से हसीना को भारत से वापस लाएगी. आपको बता दें कि इंटरपोल का मतलब इंटरनेशनल आपराधिक पुलिस संगठन है. अब इसकी मदद से यूनुस सरकार हसीना को भारत से प्रत्यर्पित कराने की तैयारी कर रही है. बांग्लादेशी मीडिया में चर्चा है कि शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री को लाने के लिए ट्रिब्यूनल के गिरफ्तारी वारंट के साथ इंटरपोल रेड नोटिस का अनुरोध करने की योजना है. 

बांग्‍लादेश के गृहमंत्री भारत में? 

इसके लिए पहले से ही आवेदन जमा कर दिया गया है. अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने इसकी जानकारी दी. हसीनाके सजा के ऐलान के बाद भारत ने कहा कि वह बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों के लिए प्रतिबद्ध है और सभी हितधारकों के साथ हमेशा रचनात्मक रूप से जुड़ा रहेगा. वहीं, भारत ने बांग्लादेश के औपचारिक लेटर का भी सीधे तौर पर जवाब नहीं दिया है. बांग्लादेशी मीडिया यह भी दावा कर रहा है कि पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल भी भारत में ही मौजूद हैं. हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. 

यह भी पढ़ें- बांग्‍लादेश के NSA भारत में, अजित डोभाल से हुई खास मुलाकात 

क्‍या है भारत के पास विकल्‍प 

भारत और बांग्लादेश के बीच साल 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि हुई थी. इसके तहत दोनों देशों को दोषी ठहराए गए भगोड़ों को सौंपने की अनुमति है. हालांकि, राजनीतिक मामलों में इस संधि को कोई लेना-देना नहीं है. इसका मतलब यह है कि भारत हसीना के प्रत्यर्पण के लिए मजबूर नहीं है. अगर भारत चाहे तो हसीना को औपचारिक तौर पर भेजने से मना भी कर सकता है. भारत ने हसीना के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में भारतीय सरकारी सूत्र के हवाले से बताया गया है कि प्रत्यर्पण एक लंबी प्रक्रिया है जिसके लिए उचित प्रक्रिया, निष्पक्ष प्रतिनिधित्व और विश्वसनीय गवाही सुनिश्चित करने के लिए न्यायाधिकरण के दस्तावेजों की समीक्षा की जरूरत होती है. 

यह भी पढ़ें- भारत के साथ युद्ध की आशंका, पूरी तरह चौकन्ने... पाकिस्‍तान के रक्षा मंत्री का बड़ा बयान 
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi Blast Case: चंदा लेकर आतंकी बनाने का प्लान क्या? | Kachehri | Shubhankar Mishra